Bauddh Sahitya in Hindi | बौद्ध साहित्य पीडीएफ

Bauddh Sahitya in Hindi

Bauddh Sahitya in Hindi | बौद्ध साहित्य पीडीएफ : विद्यादूत (vidyadoot) में भारत का इतिहास (Bharat Ka Itihaas) के अंतर्गत प्राचीन भारत का इतिहास (Prachin Bharat Ka Itihaas) टॉपिक में आज हम बौद्ध साहित्य (Buddhist Texts) पर प्रकाश डालेंगें | इसके पूर्व हमने प्राचीन भारतीय इतिहास का साहित्यिक स्रोत (Prachin Bharatiya Etihas Ka Sahityik Strot) पर एक महत्वपूर्ण लेख प्रस्तुत किया था, जिसे आप जरुर पढ़ें | जैसा कि हमने पूर्व के लेख में बताया था कि भारत के प्राचीन इतिहास जानने के तीन प्रमुख साधन या स्रोत है – (1) साहित्यिक स्रोत, (2) विदेशी यात्रियों के विवरण और (3) पुरातत्व-सम्बन्धी साक्ष्य | साहित्यिक स्रोत (Sahityik Srot) के अंतर्गत बौद्ध साहित्य का आज हम वर्णन करेंगें |

प्राचीन भारतीय इतिहास के साधन के रूप में बौद्ध साहित्य, जोकि ब्राह्मणेतर साहित्य के अंतर्गत आता है, का महत्वपूर्ण स्थान है | बौद्ध साहित्य पालि और संस्कृत दोनों भाषाओं में मिलते है |

बौद्ध धर्म के हीनयान सम्प्रदाय ने पालि भाषा और महायान ने संस्कृत भाषा का प्रयोग किया था | प्रारम्भिक बौद्ध साहित्य पालि भाषा में लिखे गये थे | आपको ध्यान रखना है कि महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए थे जो उस समय जनसाधारण की भाषा थी |

बौद्ध साहित्य (Bauddh Sahitya in Hindi)

प्राचीन भारतीय इतिहास में प्रमुख बौद्ध साहित्य या बौद्ध ग्रंथ निम्नलिखित है –

  1. सुत्तपिटक
  2. दीर्घ-निकाय
  3. मज्झिम-निकाय
  4. संयुक्त-निकाय
  5. अंगुत्तर-निकाय
  6. खुद्दक-निकाय
  7. जातक
  8. विनय पिटक
  9. पातिमोक्ख
  10. सुत्त विभंग
  11. खन्धक
  12. परिवार
  13. अभिधम्म पिटक
  14. मिलिन्द्पन्हों
  15. दीपवंश
  16. महावंश
  17. बुद्धचरित
  18. सौन्दरनंद
  19. शारिपुत्रप्रकरण
  20. ललितविस्तर

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बौद्ध साहित्य (Bauddh Sahitya in Hindi)

त्रिपिटक : बौद्ध धर्म के प्रारम्भिक साहित्य त्रिपिटक कहलाते है | ये त्रिपिटक है- सुत्तपिटक, विनयपिटक और अभिधम्मपिटक | महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण के पश्चात् त्रिपिटक ग्रन्थों की रचना हुई थी | त्रिपिटक की रचना पालि भाषा में हुई है |

सुत्तपिटक : सुत्त का शाब्दिक अर्थ है – धर्मोपदेश | सुत्तपिटक में महात्मा बुद्ध के मूल वार्तालाप व उपदेशों का संग्रह है | इसमे बौद्ध धर्म सम्बन्धी बातों की चर्चा है |त्रिपिटकों में सर्वाधिक विस्तृत और महत्वपूर्ण सुत्तपिटक है, जो पाँच निकायों (वर्गों) में विभाजित है – दीर्घ-निकाय, मज्झिम-निकाय, संयुक्त-निकाय, अंगुत्तर-निकाय और खुद्दक-निकाय | खुद्दक-निकाय में ‘जातक’ का भी समावेश है | सुत्तपिटक बौद्ध धर्म का ‘इनसाइक्लोपीडिया’ कहलाता है |

दीर्घ-निकाय : दीर्घ निकाय में गौतम बुद्ध से सम्बन्धित लम्बे उपदेशों का संग्रह मिलता है | दीर्घ-निकाय गद्य और पद्य दोनों में रचित है | दीर्घनिकाय या दिघ्घनिकाय में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का समर्थन और दूसरे धर्मों के सिद्धांतों का खंडन मिलता है | दीर्घ-निकाय के सर्वाधिक महत्वपूर्ण सुत्त का नाम “महापरिनिब्बानसुत्त” है | इस निकाय में गौतम बुद्ध के अंतिम समय-काल, अंतिम उद्देश्य, मृत्यु और अन्त्येष्टि का उल्लेख मिलता है, साथ ही उन परिस्थितियों का भी वर्णन मिलता है जिनसे प्रेरित होकर गौतम बुद्ध ने उनका प्रवचन किया |

मज्झिम-निकाय : मज्झिम निकाय में छोटे-छोटे उपदेश मिलते है | मज्झिम निकाय में गौतम बुद्ध का सामान्य व्यक्ति और अलौकिक शक्ति वाले देवता दोनों ही रूपों में वर्णन मिलता है |

संयुक्त-निकाय : संयुक्त निकाय गद्य व पद्य दोनों शैलियों में रचित है | संयुक्त निकाय अनेक ‘संयुक्तों’ का संकलन है |

अंगुत्तर-निकाय : अंगुत्तर निकाय में गौतम बुद्ध द्वारा बौद्ध भिक्षुओं को उपदेश में बताएं जाने वाली बातों का उल्लेख मिलता है | अंगुत्तर निकाय में छठी शताब्दी ईसा पूर्व के 16 महाजनपदों का वर्णन मिलता है | इस निकाय में 2000 से अधिक संक्षिप्त कथनों का संग्रह है, जिन्हें अप्रकृत रूप से प्रत्येक कथन के विषय की संख्या के अनुसार क्रमबद्ध किया गया है |

खुद्दक-निकाय : खुद्दक निकाय भाषा, शैली और विषय की दृष्टि से समस्त निकायों से भिन्न है | लघु ग्रन्थों के संकलन वाला यह निकाय अपने आप में पूर्ण व स्वतंत्र है | खुद्दक निकाय की विषय-सामग्री में सुत्तनिपात, धम्मपद, थेरागाथा, विमानवत्थु, थेरीगाथा, जातक का समावेश है |

जातक : जातक में महात्मा बुद्ध की पूर्वजन्म की कथाओं का वर्णन है | ये चित्रमय कथाएँ महान पालि साहित्य है | बौद्ध धर्म में ऐसी मान्यता है कि गौतम बुद्ध ने बोधिसत्व के रूप में (जो बुद्ध होने वाले थे) अपने पूर्व जन्मों (550 से अधिक पूर्वजन्म) के कार्यों को इन कथाओं में स्वयं वर्णन किया है | प्रत्येक जातक कथा एक प्रकार की लोक-कथा है | जातक ग्राम्य कथाओं और अन्य कथाओं के संक्षिप्त प्रारूप दर्शाती है |

बौद्ध धर्म से सम्बन्धित निम्न परीक्षोपयोगी लेखों को भी जरुर देखें –

  1. गौतम बुद्ध के चार आर्य सत्य को जानें
  2. बौद्ध धर्म में हीनयान और महायान में क्या अंतर है ?
  3. गौतम बुद्ध और उनके बौद्ध धर्म को जानें
  4. बौद्ध धर्म की प्रमुख विशेषाएं क्या है ?
  5. बौद्ध धर्म में प्रतीत्यसमुत्पाद क्या है ?
  6. बौद्ध कालीन शिक्षा के उद्देश्य क्या है ?
  7. बौद्ध कालीन शिक्षा की विशेषाएं
  8. बौद्ध धर्म का आधुनिक शिक्षा में योगदान क्या है ?

विनय पिटक : विनयपिटक में बौद्ध संघ के आचार-विचार के नियमों का संकलन है | विनय पिटक में बौद्ध मठों में निवास करने वाले भिक्षु व भिक्षुणियों के आचरण, अनुशासन सम्बन्धी नियम मिलते है | इस पिटक में दिए गये प्रत्येक नियम के साथ उन परिस्थितियों का भी वर्णन है, जिसके कारण गौतम बुद्ध ने उस नियम का विधान किया था | विनय पिटक में बौद्ध संघ की कार्य प्रणाली की व्यवस्था का भी वर्णन मिलता है | विनय पिटक तीन भागों में विभाजित है – पातिमोक्ख (प्रतिमोक्ष), सुत्त विभंग, खन्धक और परिवार |

पातिमोक्ख : पातिमोक्ख (प्रतिमोक्ष) में अनुशासन से सम्बन्धित नियमों और उसके उल्लंघन किये जाने पर किये जाने वाले प्रायश्चितों का संकलन मिलता है | पातिमोक्ख का बौद्ध समाज में अत्यधिक महत्व था और प्रत्येक महीने में दो बार इसके पाठ किये जाने का विधान किया गया था |

सुत्त विभंग : सुत्त विभंग का शाब्दिक अर्थ ‘सूत्रों पर टिका’ है | सुत्त विभंग के दो भाग है – महाविभंग और भिक्खुनी विभंग | महाविभंग में बौद्ध भिक्षुओं के लिए नियम मिलते है जबकि भिक्खुनी विभंग में बौद्ध भिक्षुणियों के लिए नियमों का वर्णन है |

खन्धक : खन्धक में बौद्ध मठों में निवास करने वाले भिक्षुओं के जीवन से सम्बन्धित विधि-निषेधों का विस्तृत वर्णन मिलता है | खन्धक के दो भाग है – महावग्ग और चुल्लवग्ग | महावग्ग में 10 अध्याय है और इसमे संघ के अति-महत्वपूर्ण विषयों का वर्णन मिलता है जबकि चुल्लवग्ग में 12 अध्याय है और इसमे उल्लेखित विषय ज्यादा महत्वपूर्ण नही है |

परिवार : परिवार विनय पिटक का अंतिम ग्रंथ है | यह ग्रंथ प्रश्न-उत्तर क्रम में है | इसमे विनय पिटक के दूसरे भागों का सारांश प्रश्न-उत्तर के रूप में दिया गया है |

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अभिधम्म पिटक : अभिधम्मपिटक में बौद्धधर्म के सिद्धांत की दार्शनिक व्याख्या मिलती है | इस पिटक में गौतम बुद्ध के उपदेशों, सिद्धांतों और बौद्ध मतों की दार्शनिक व्याख्या मिलती है | अभिधम्मपिटक में सर्वप्रथम संस्कृत भाषा का प्रयोग मिलता है | बौद्ध मत के अनुसार अभिधम्म पिटक का संकलन मौर्य राजा अशोक के शासनकाल में सम्पन्न तृतीय बौद्ध संगीति (बौद्ध सभा) में मोगग्लिपुत्त तिस्स ने किया था | अभिधम्म पिटक के अंतर्गत 7 ग्रंथ शामिल है -कथावत्यु, धम्मसंगणि, यमक, युग्गल पंचती, विभंग, धातुकथा और पट्ठान | इन सभी में कथावत्थु सर्वाधिक महत्वपूर्ण है | कथावत्थु की रचना तृतीय बौद्ध संगीति (बौद्ध सभा) के अवसर पर मोग्गलिपुत्त तिस्स ने की थी |

मिलिन्द्पन्हों : बौद्ध ग्रंथ मिलिन्द्पन्हों में यवन (यूनानी) राजा मेनाण्डर (मिलिंद) और बौद्ध भिक्षु नागसेन के मध्य दार्शनिक वार्तालाप का वर्णन है | इस ग्रंथ में नागसेन मिलिंद के अनेक जटिल दार्शनिक प्रश्नों का उत्तर देकर उसकी धार्मिक जिज्ञासा को शांत करते है | मिलिन्द्पन्हों से ईसा की प्रथम दो शताब्दियों के भारतीय समाज के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है |

दीपवंश : बौद्ध ग्रंथ दीपवंश की रचना लगभग चतुर्थ शताब्दी ईसवी में हुई थी | यह सिंहल द्वीप के इतिहास पर प्रकाश डालने वाला प्रथम ग्रंथ है |

ये भी देखें – आदर्शवाद (आइडियलिस्म) क्या है ?

महावंश : बौद्ध ग्रंथ महावंश की रचना भदन्त महानामा द्वारा की गयी थी | पांचवी और छठी ईसवी में रचित इस ग्रंथ में मगध के शासकों के शासनकाल की क्रमबद्ध सूची प्राप्त होती है |

बुद्धचरित : संस्कृत बौद्धग्रंथ बुद्धचरित की रचना महान बौद्ध कवि, नाटककार और सर्वास्तिवादी सम्प्रदाय के विचारक अश्वघोष ने की थी, जोकि कुषाण राजा कनिष्क की राज्यसभा को सुशोभित करते थें | यह एक बौद्ध महाकाव्य है | इसमे मूलतः 28 सर्ग थें, लेकिन वर्तमान में 17 ही प्राप्त है, जिनमें 13 अथवा 14 सर्ग तक को ही प्रमाणित माना जाता है | अश्वघोष ने बुद्धचरित में गौतम बुद्ध के जीवन का सरल विवरण दिया है |

सौन्दरनंद : संस्कृत बौद्धग्रंथ सौन्दरनंद की रचना भी अश्वघोष ने की थी | यह भी एक बौद्ध महाकाव्य है | इसमे 18 सर्ग है | अश्वघोष ने इस महाकाव्य में गौतम बुद्ध के सौतेले भाई सुन्दरनंद के उनके प्रभाव में आकर सांसारिक भोग-विलास को त्याग कर प्रव्रज्या ग्रहण करने का काव्यात्मक तरीके से वर्णन किया है |

शारिपुत्रप्रकरण : शारिपुत्रप्रकरण अश्वघोष द्वारा रचित संस्कृत नाटक है | इसमे अश्वघोष ने शारिपुत्र के बौद्ध धर्म में दीक्षित होने की घटना को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया है |

ललितविस्तर : ललितविस्तर महात्मा बुद्ध के जीवन की सुवर्णित गाथा है, जिसमे उनकी लीलाओं का वर्णन है | गौतम बुद्ध ने पृथ्वी पर जो विभिन्न क्रीड़ा (ललित) की, उनका वर्णन होने के कारण यह ग्रन्थ ‘ललितविस्तर’ कहलाता है | इस ग्रन्थ का उपयोग कर सर एडविन, एर्नाल्ड ने भगवान बुद्ध के जीवन पर एक महाकाव्य ‘The Light of Asia’ की रचना की थी | ललितविस्तर बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय से सम्बन्धित प्राचीनतम ग्रंथ है |

नोट : विद्यादूत (विद्यादूत वेबसाइट) के सभी लेखों का सर्वाधिकार पूर्णतया सुरक्षित है | किसी भी रूप में कॉपीराइट के उल्लंघन का प्रयास न करें |

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