भारत में बेरोजगारी के प्रकार : Berojgari Ke Prakar

Unemployment in India and its types

भारत में बेरोजगारी और बेरोजगारी के प्रकार (Unemployment in India and its types) : Berojgari Ke Prakar Par Nibandh: विद्यादूत के इस लेख में हम बेरोजगारी के प्रकार (Berojgari Ke Prakar) पर चर्चा करेंगें | सबसे पहले हम जानेंगें कि बेरोजगारी क्या है ? (Berojgari kya hai ?) बेरोजगारी का अर्थ व्यक्तियों की उस स्थिति है, जिसमे सामान्यतया वें प्रचलित मजदूरी दरों पर कार्य करने को तो तैयार रहतें है, लेकिन उन्हें कार्य प्राप्त नही होता |

बेरोजगारी के प्रकार (Berojgari Ke Prakar) : भारत जैसे विकासशील देश में जनसंख्या की अधिकता और रोजगार के अवसरों की अल्पता के कारण बेरोजगारी या बेकारी ने एक विकट समस्या उत्पन्न की है |

यद्यपि विकसित देशों में भी बेरोजगारी पायी जाती है लेकिन विकासशील देशों में पायी जाने वाली बेरोजगारी की समस्या / बेकारी की समस्या ने भयंकर रूप धारण कर रखा है |

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भारत में बेरोजगारी के प्रकार : Berojgari Ke Prakar Par Nibandh

भारत में बेरोजगारी के प्रकार पर निबंध : बेरोजगारी की समस्या का करीबी सम्बन्ध निर्धनता की समस्या (Problem of Poverty) से है | क्योकि जब कोई व्यक्ति बेरोजगारी का सामना करता है तो वह निर्धनता का भी सामना करता है |

भारत में बेरोजगारी के प्रकार (Berojgari Ke Prakar) : सामान्यतया बेरोजगारी के दो रूप होते है –

(1) ऐच्छिक बेरोजगारी और (2) अनैच्छिक बेरोजगारी |

ऐच्छिक बेरोजगारी क्या होती है ? : बेरोजगारी के प्रकार

ऐच्छिक बेरोजगारी वह बेरोजगारी कहलाती है जिसमें लोग स्वयं अपनी इच्छानुसार कोई कार्य नही करना चाहते है या उन्हें जीविकोपार्जन के लिए कार्य करने की जरूरत ही नही महसूस होती है जैसे – अति सम्पन्न-वर्गीय लोग, भिखारी, साधु-संत आदि |

अनैच्छिक बेरोजगारी क्या होती है ? : Berojgari Ke Prakar

अनैच्छिक बेरोजगारी वह बेरोजगारी होती है जिसमें लोगों को अपने व अपने परिवार की जीविकोपार्जन के लिए काम की आवश्यकता होती है लेकिन उन्हें काम नही मिलता | अनैच्छिक बेरोजगारी के कई प्रकार होते है |

अनैच्छिक बेरोजगारी के प्रकार : बेरोजगारी के प्रकार

बेरोजगारी के प्रकार : Berojgari ke prakar : अनैच्छिक बेरोजगारी के प्रकार इस प्रकार है –

  1. संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment)
  2. चक्रीय बेरोजगारी (Cyclic Unemployment)
  3. प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised Unemployment)
  4. खुली बेरोजगारी (Open Unemployment)
  5. मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment)
  6. शिक्षित बेरोजगारी (Educational Unemployment)
  7. अल्प रोजगार (Under Employment )
  8. प्राविधिक बेरोजगारी (Technical Unemployment)

अब हम विस्तार से बेरोजगारी के प्रकार (Berojgari Ke Prakar) को जानेंगें |

संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment)

सबसे पहले हम जानेंगें कि संरचनात्मक बेरोजगारी क्या है ? (Sanrachnatmak Berojgari Kya Hai ?) संरचनात्मक बेरोजगारी लम्बे समय तक मौजूद रहने वाली समस्या है | अर्थव्यवस्था के पिछड़ेपन के कारण जब रोजगार के अवसर कम हो जाते है तो संरचनात्मक बेरोजगारी जन्म लेती है |

सामान्यतया संरचनात्मक बेरोजगारी तब उत्पन्न होती है जब देश की आर्थिक संरचना में बदलाव आता है |

उदाहरणस्वरुप हमारे देश में स्कूटर की मांग खत्म होने के कारण स्कूटर का उत्पादन बंद हो गया है और मोटर-साइकिल की मांग बढ़ जाने के कारण मोटर-साइकिल का उत्पादन बढ़ गया है अतः एक तरफ स्कूटर बनाने वाले मिस्त्री व कारीगर बेरोजगार हो गये है वही दूसरी और मोटर-साइकिल बनाने वाले लोगों की मांग बढ़ गयी है |

चक्रीय बेरोजगारी (Cyclic unemployment)

चक्रीय बेरोजगारी क्या है ? (Chakriya Berojgari Kya Hai ?) : चक्रीय-बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में व्यापर-चक्र के कारण मंदी छा जाने पर उत्पन्न होती है | अर्थव्यवस्था में चक्रीय उतार-चढ़ाव पैदा हो जाने पर मंदी आ जाती है, बड़ी संख्या में मजदूरों को अपना रोजगार खोना पड़ता है और वें बेरोजगार जो जाते हैं |

चक्रीय बेरोजगारी दीर्घकालीन नही रहती, अर्थव्यवस्था में तेजी आने व मंदी खत्म होने पर बेरोजगार हुए लोगों पुनः रोजगार प्राप्त हो जाता है |

प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised unemployment)

छिपी बेरोजगारी किसे कहते है ? (प्रच्छन्न बेरोजगारी क्या है ?) Prachchanan Berojgari Kya Hai ? : जैसा कि नाम से मालूम होता है प्रच्छन्न बेरोजगारी छिपी हुई होती है | प्रच्छन्न बेरोजगारी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों पाई जाती हैं |

प्रच्छन्न बेरोजगारी या छिपी बेरोजगारी के अंतर्गत उत्पादन में कुछ लोगों का योगदान शून्य होता है अगर उन्हें उत्पादन से हटा दिया जाये तो भी कुल उत्पादन में कोई फर्क नही पड़ता है |

छिपी हुई बेरोजगारी किसे कहते है ? : ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के अंतर्गत प्रायः खेतों पर आवश्यकता से अधिक लोग कार्य करते है जबकि उन लोगों में से कुछ की उत्पादकता में कुल वास्तविक योगदान शून्य होता है |

यदि वें उस उत्पादन अपना योगदान नही देते है फिर भी कुल उत्पादन में कोई कमी नही होती है | इसलिए इस प्रकार की बेरोजगारी प्रच्छन्न बेरोजगारी या छिपी हुई बेरोजगारी कहलाती है |

खुली बेरोजगारी (Open unemployment)

खुली बेरोजगारी क्या है ? Khuli Berojgari Kya Hai ? खुली बेरोजगारी के अंतर्गत व्यक्ति बाजार में प्रचलित मजदूरी दरों पर कार्य करने के लिए तो तैयार रहतें है लेकिन उन्हें कार्य नही मिलता है | कार्य करने की इच्छा-शक्ति और क्षमता होने के बावजूद वें बेरोजगार रहते हैं | इसप्रकार की बेरोजगारी खुली बेरोजगारी कहलाती है |

मौसमी बेरोजगारी (Seasonal unemployment)

मौसमी बेरोजगारी क्या है ? (Mausami Berojgari Kya Hoti Hai) मौसमी बेरोजगारी विशेष अवधि में प्रतिवर्ष उत्पन्न होती है | मौसमी बेरोजगारी प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलती है |

कृषि में संलग्न लोगों को एक निश्चित समय में ही रोजगार प्राप्त होता है और बुवाई अथवा कटाई के बाद उनके पास रोजगार के अवसर खत्म हो जाते है और वें लोग बेरोजगार हो जाते है |

अतः प्रतिवर्ष कुछ विशेष कालों या मौसमों में उत्पन्न हुई बेरोजगारी मौसमी बेरोजगारी कहलाती है |

शिक्षित बेरोजगारी (Educational unemployment)

शिक्षित बेरोजगारी का अर्थ ? (Shikshit Berojgari Ka Arth) : नाम के अनुरूप शिक्षित बेरोजगारी का सम्बन्ध शिक्षित वर्ग से है | शिक्षित बेरोजगारी में शिक्षित व्यक्ति अपनी शिक्षा एवं योग्यतानुसार जिस प्रकार का रोजगार चाहता है उसे उससे कम स्तर का रोजगार प्राप्त होता है |

शिक्षित बेरोजगारी की परिभाषा : वह बेरोजगारी जो प्रमुख रूप से शिक्षित वर्ग में पायी जाती है, शिक्षित बेरोजगारी कहलाती है | शिक्षित बेरोजगारी और अल्प रोजगार (Under employment) की स्थिति एक जैसी ही है |

अल्प रोजगार (Under employment )

अल्प बेरोजगारी क्या है ? (Alp Rojgar Kya Hota Hai ?) बेरोजगारी के अल्प-रोजगार की स्थिति में लोगों को रोजगार तो मिलता है लेकिन वह उनकी योग्यता, क्षमता या आवश्यकता से कम होता है | अल्प रोजगार भी एक प्रकार से शिक्षित बेरोजगार की ही स्थिति है |

प्राविधिक बेरोजगारी (Technical unemployment)

प्राविधिक बेरोजगारी क्या होती है ? (Pravidhik Berojgari Kya Hoti Hai ?) प्राविधिक बेरोजगार का सम्बन्ध नई टेक्नोलॉजी से है | जब उद्योग-धंधो में नये दौर के साथ पुरानी टेक्नोलॉजी को छोड़कर नई टेक्नोलॉजी को अपनाया जाता है तब बड़ी संख्या में पुरानी टेक्नोलॉजी से सम्बन्धित मजदूरों की सेवाएं समाप्त कर दी जाती है और वें बेरोजगार हो जाते है | इसप्रकार की बेरोजगारी प्राविधिक बेरोजगारी कहलाती है |

भारत में बेरोजगारी के कारण

भारत में बेरोजगारी या बेकारी के अनेक कारण है | कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित है –

  1. जनसंख्या की अत्यधिक उच्च वृद्धि-दर की वजह से श्रम की पूर्ति में तीव्र वृद्धि |
  2. व्यावसायिक शिक्षा पर अधिक जोर न देना |
  3. लघु व कुटीर उद्योगों के विकास पर कम ध्यान देना |
  4. विकास की गति का धीमा होना |
  5. सम्पत्ति का असमान वितरण |
  6. श्रम प्रधान तकनीक की जगह पर पूंजी प्रधान तकनीक को अपनाना | आदि

भारत में बेरोजगारी के प्रकार : Berojgari Ke Prakar : निष्कर्ष

बेरोजगारी के उपरोक्त प्रकार सामान्यतया सभी प्रकार की अर्थव्यवस्था में देखी जाती है लेकिन विकसित और विकासशील देशों की बेरोजगारी में पर्याप्त अंतर देखने को मिलता है |

विकसित देशों में पाई जाने वाली बेरोजगारी अल्पकालिक और अस्थायी होती है | जबकि विकासशील देशों में, पूँजी की कमी के कारण, पायी जाने वाली बेरोजगारी दीर्घकालिक और स्थायी होती है |

विकसित देशों में जहाँ हमे चक्रीय बेरोजगारी ज्यादा देखने को मिलती है वही विकासशील देशों में हमें संरचनात्मक बेरोजगारी व्यापक रूप से देखने को मिलती है | भारत में बेरोजगारी के लगभग सभी प्रकार देखने को मिलते है |

भारत में संरचनात्मक बेरोजगारी व्यापक रूप में पाई जाती है | भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में प्रच्छन्न व मौसमी बेरोजगारी प्रायः देखने को मिलती है |

भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ती जा रही जनसंख्या के अनुरूप रोजगार बढ़ाने में सफल नही हो पाई है इसलिए भारत में बेरोजगारी की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है | भारत में बेरोजगारी के कारण और बेरोजगारी के निवारण का पता लगाया जाना बहुत जरुरी है | हमे यह पता लगाना है कि भारत में बेरोजगारी का मुख्य कारण क्या है ?

Berojgari Ke Prakar : बेरोजगारी के प्रकार

  1. संरचनात्मक बेरोजगारी : संरचनात्मक बेरोजगारी अर्थव्यवस्था के पिछड़ेपन के कारण रोजगार के अवसर कम होने पर उत्पन्न होती है |
  2. चक्रीय बेरोजगारी : चक्रीय बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में व्यापार-चक्र के कारण उत्पन्न मंदी के कारण उत्पन्न होती है |
  3. प्रच्छन्न बेरोजगारी : कुछ लोगों को उत्पादन के योगदान से हटा देने पर भी उत्पादन में कोई फर्क न पड़ना प्रच्छन्न बेरोजगारी का उदाहरण है |
  4. खुली बेरोजगारी : खुली बेरोजगारी में व्यक्ति को बाजार में प्रचलित मजदूरी दरों पर भी कार्य नही मिलता है |
  5. मौसमी बेरोजगारी : मौसमी बेरोजगारी हर वर्ष कुछ विशेष कालों में उत्पन्न बेरोजगारी होती है |
  6. शिक्षित बेरोजगारी : शिक्षित बेरोजगारी में शिक्षित व्यक्ति को योग्यतानुसार रोजगार नही मिलता है |
  7. अल्प रोजगार : अल्प रोजगार में व्यक्ति को मिला रोजगार उसकी योग्यता के अनुसार नही होता है |
  8. प्राविधिक बेरोजगारी : प्राविधिक बेरोजगारी में नई टेक्नोलॉजी के कारण पुरानी टेक्नोलॉजी से सम्बन्धित मजदूर बेरोजगार हो जाते है |

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