Hinayana Aur Mahayana Mein Antar : हीनयान और महायान में अंतर

Hinayana Aur Mahayana Mein Antar

Hinayana Aur Mahayana Mein Antar (हीनयान और महायान में अंतर) : विद्यादूत (vidyadoot) के इस लेख में हम बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय (Schools of Buddhism) हीनयान और महायान (Hinayana and Mahayana) पर चर्चा करेंगें | इसके पूर्व विद्यादूत में धर्म और दर्शन पर कुछ लेख प्रस्तुत किये जा चुके है, जिन्हें आप यहाँ पर क्लिक करके देख सकते है | इस लेख में हम बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय हीनयान और महायान में अंतर (Difference betweet hinayana and mahayana in hindi) को समझने से पहले बौद्ध धर्म का संक्षिप्त इतिहास को जानेंगें |

ई.पू. छठी शताब्दी में उत्तर भारत में वैदिक कर्मकाण्ड के विरुद्ध प्रतिक्रियास्वरुप दो नये धार्मिक क्रांतियों का जन्म हुआ | वास्तव में ये दोनों क्रांतियाँ तत्कालीन सामाजिक और धार्मिक व्यवस्था के विरोधस्वरूप सुधार आन्दोलन के रूप में उत्पन्न हुई |

इन दोनों धार्मिक क्रांतियों में से एक का नेतृत्व गौतम बुद्ध ने किया जबकि दूसरी का नेतृत्व महावीर स्वामी ने किया | गौतम बुद्ध द्वारा स्थापित धर्म बौद्ध धर्म कहलाया | महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था | इनका सम्बन्ध गौतम (या गोतम) के प्राचीन वंश से था |

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गौतम बुद्ध का जन्म ईसा की छठी शताब्दी पूर्व हिमालय की तराई में स्थित कपिलवस्तु में एक राजसी परिवार में हुआ था | इन्होने 29 वर्ष की युवावस्था में मानवजाति को दुःखग्रस्त देखकर संसार से वैराग्य लेकर सत्य की खोज में वन की ओर प्रस्थान किया | गृहत्याग की इस घटना को बौद्ध धर्म में महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है |

तपस्वी के रूप में विभिन्न प्रकार के कष्टों को झेलने के बाद गया में एक वट-वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान अर्थात् बोधि (Enlightenment) की प्राप्ति हुई और वें बुद्ध (Enlightened) कहलायें |

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इस महान घटना के पश्चात् गया को बोध गया और उस वट-वृक्ष को बोधिवृक्ष कहा गया | बोधि-प्राप्ति के बाद बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ (ऋषिपत्तन मृगदाव) में अपने उन 5 साथियों को दिया, जिन्होंने उरुवेला में उनका साथ छोड़ दिया था | इस महान घटना को बौद्ध धर्म में धर्मचक्रप्रवर्तन कहा गया है | यही से बौद्ध धर्म और बौद्ध दर्शन का आरम्भ हुआ |

गौतम बुद्ध और बौद्ध धर्म के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को पढ़ें – गौतम बुद्ध और बौद्ध धर्म का इतिहास | बौद्ध धर्म की विशेषताएं

Hinayana Aur Mahayana Mein Antar : हीनयान और महायान में अंतर

Difference betweet hinayana and mahayana in hindi : जब हम विश्व के धर्मों के बारे में जानकारी प्राप्त करते है तो देखते है कि समय के साथ उनका विभाजन भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों में हुआ | अगर हम ईसाई धर्म को देखते है तो पाते है कि ईसाई धर्म का विभाजन प्रोटेस्टैंट और कैथोलिक सम्प्रदायों में हुआ, इसी प्रकार इस्लाम धर्म का भी विभाजन सुन्नी व शिया सम्प्रदायों में हुआ, जैन धर्म का विभाजन दिगम्बर व श्वेताम्बर स्म्प्रदाओं में हुआ |

विश्व के अन्य धर्मों की भांति बौद्ध धर्म का भी विभाजन हो गया | बौद्धधर्म में धार्मिक मतभेद के कारण कुषाण राजा कनिष्क के समय दो प्रधान सम्प्रदायों का जन्म हुआ – हीनयान और महायान |

हीनयान सम्प्रदाय बौद्ध धर्म का प्राचीनतम रूप है जबकि महायान सम्प्रदाय बौद्ध धर्म का विकसित रूप है |

बौद्ध धर्म का हीनयान और महायान सम्प्रदाय (Religious School of Buddhism : Hinayana and Mahayana)

बौद्ध धर्म के हीनयान और महायान सम्प्रदायों में अंतर (Hinayana Aur Mahayana Mein Antar) को समझने से पहले हम हीनयान सम्प्रदाय (Hinyana Sampradaya) और महायान सम्प्रदाय (Mahayana Sampradaya) की संक्षिप्त विशेषताओं पर दृष्टि डालेंगें |

बौद्ध धर्म का हीनयान सम्प्रदाय (What is Hinayana in Hindi)

हीनयान सम्प्रदाय : बौद्ध धर्म का हीनयान सम्प्रदाय महात्मा बुद्ध के उपदेशों पर आधारित है | हीनयान बौद्ध धर्म का प्राचीन व मौलिक सम्प्रदाय है | यह प्रारम्भिक बौद्ध दर्शन की परम्परा में विश्वास रखता है |

हीनयान के अनुसार मानव स्वयं के कठिन प्रयत्नों द्वारा ही निर्वाण की प्राप्ति कर सकता है | इसीलिए हीनयान को कठिनयान (difficult path) भी कहा जाता है |

हीनयान का आधार पाली भाषा का साहित्य है, जिसमे गौतम बुद्ध की शिक्षाएं व उपदेश संग्रहित है | बौद्ध धर्म का हीनयान सम्प्रदाय लंका, बर्मा, श्याम आदि देशों में प्रचलित है |

हीनयान सम्प्रदाय सभी वस्तुओं को क्षणभंगुर मानता है | यह आत्मा की सत्ता को स्वीकार नही करता है और न ही ईश्वर में विश्वास करता है | इसीलिए हीनयान को अनात्मवादी और अनीश्वरवादी धर्म कहा जाता है |

हीनयान के अनुसार जीवन का चरम लक्ष्य निर्वाण की प्राप्ति या अर्हत होना है | इसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने प्रयासों से ही निर्वाण की प्राप्ति करनी है |

हीनयान में स्वावलंबन (self help) पर अत्यधिक बल दिया गया है | इसके अनुसार व्यक्ति को स्वयं के प्रयासों से ही निर्वाण की प्राप्ति हो सकती है | इसलिए व्यक्ति को केवल अपने मोक्ष की ही चिंता करनी चाहिए |

हीनयान ने भिक्षु-जीवन (संन्यास) को आदर्श माना है | इनके अनुसार सभी मानवों में बुद्ध बनने की क्षमता नही होती है | लेकिन हीनयान ने गौतम बुद्ध को ईश्वर न मानकर महात्मा माना है |

बौद्ध धर्म का महायान सम्प्रदाय (What is Mahayana in Hindi)

महायान सम्प्रदाय : बौद्ध धर्म का विकसित रूप महायान है | यह बौद्ध धर्म का सुधारवादी सम्प्रदाय है | महायान सम्प्रदाय को ‘सहजयान’ (easy path) भी कहा जाता है क्योकि प्रत्येक व्यक्ति इसके सिद्धातों का पालन सहजता से कर सकता है | बौद्ध धर्म का महायान सम्प्रदाय चीन, जापान, कोरिया आदि देशों में प्रचलित है |

बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय में अपनी मुक्ति की अपेक्षा विश्व के सभी जीवों की मुक्ति को अधिक महत्व दिया गया है | महायान में ईश्वर की भक्ति पर जोर देकर महात्मा बुद्ध को ईश्वर का स्थान दिया गया है |

महायान में आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है | महायान के अनुसार यदि आत्मा के अस्तित्व को न स्वीकार किया जाये तो मुक्ति किसे मिलेगी ? मुक्ति के लिए आत्मा के अस्तित्व का होना आवश्यक हो जाता है |

महायान में संन्यास को महत्व नही दिया गया है | महायान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति संसार में रहकर ही निर्वाण प्राप्त कर सकता है |

बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय का चरम लक्ष्य बोधिसत्व को प्राप्त करना है | महायान में बोधिसत्व का अर्थ उस व्यक्ति से लिया गया है, जो बोधिसत्व की प्राप्ति करता है और विश्व-कल्याण के लिए कार्य करता है |

हीनयान और महायान में अंतर : Hinayana Aur Mahayana Difference in Hindi

अब हम Hinayana Aur Mahayana Mein Antar (हीनयान और महायान में अंतर) को समझेंगें –

हीनयान सम्प्रदाय बौद्धधर्म का मौलिक व प्राचीनतम रूप है और महायान बौद्धधर्म का विकसित रूप है | हीनयान का अर्थ है ‘छोटी गाड़ी’ या ‘छोटा पन्थ’ और महायान का अर्थ है ‘बड़ी गाड़ी’ या ‘बड़ा पन्थ’ |

ये भी देखें – बौद्ध दर्शन में प्रतीत्यसमुत्पाद क्या है ?

बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय हीनयान और महायान में मुख्य अन्तर (Hinayana Aur Mahayana Mein Antar) निम्नलिखित है –

1. हीनयान बुद्ध के उपदेशों पर आधारित है | यह प्राचीन और मौलिक बौद्ध धर्म (दर्शन) की परम्परा में ही विश्वास करता है | यह रूढ़िवादी है और बौद्ध धर्म में किसी भी परिवर्तन का घोर विरोधी है | जबकि महायान उदार और प्रगतिशील है, इसीलिए इसने बौद्ध धर्म अनेक नये विचारों का समावेश किया है |

2. हीनयान बुद्ध को ईश्वर न मानकर महात्मा के रूप में मानता है | जबकि महायान बुद्ध को ईश्वर के रूप में मानता है |

3. हीनयान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को मुक्ति (निर्वाण) की प्राप्ति के लिए स्वयं प्रयास करना चाहिए | वह महात्मा बुद्ध के कथन “आत्मदीपो भव” (अपना प्रकाश खुद बनो) पर विशेष जोर देता है तथा मानता है कि मानव को सिर्फ निजी मोक्ष की चिन्ता करनी चाहिए | इसप्रकार इसमे लोक-कल्याण की भावना का निषेध हुआ है | इसके विपरीत महायान लोक-कल्याण की भावना को महत्व देता है | महायान में अपनी मुक्ति की अपेक्षा जगत् के समस्त प्राणी की मुक्ति पर जोर दिया गया है | इसप्रकार हीनयान वैयक्तिक (व्यक्तिगत) मोक्ष आदर्श मानता है जबकि महायान सामूहिक या सार्वभौम मोक्ष को |

4. हीनयान मूर्ति-पूजा का पूर्णतः विरोधी है | जबकि महायान में मूर्ति-पूजा का भी विधान है |

5. हीनयान जीवन का चरम लक्ष्य ‘अर्हत्’ की प्राप्ति को मानता है | अर्हत् केवल अपनी मुक्ति के लिए ही प्रयत्नशील रहते है | यह लोक-कल्याण की भावना की उपेक्षा करता है | यह महात्मा बुद्ध के आदर्श वाक्य ‘आत्मदीपो भव’ पर जोर देता है | जबकि महायान जीवन का चरम लक्ष्य ‘बोधिसत्व’ (बोधि या ज्ञान प्राप्ति की इच्छा रखने वाला व्यक्ति) को प्राप्त करना मानता है | महायान के अनुसार बोधिसत्व वह व्यक्ति है, जो बोधिसत्व की प्राप्ति करके लोक-कल्याण में संलग्न रहता है | महायान में अपनी मुक्ति की अपेक्षा विश्व के समस्त जीवों की मुक्ति पर जोर दिया गया है |

6. हीनयान में संन्यास या भिक्षु जीवन पर अत्यंत जोर दिया गया है | जबकि महायान में संन्यास की आलोचना की गयी है | उसके अनुसार संसार में रहकर ही निर्वाण (मुक्ति) की प्राप्ति की जा सकती है | 

7. हीनयान (नित्य)आत्मा की सत्ता को नही मानता है | जबकि महायान में (नित्य)आत्मा की सत्ता को स्वीकार किया गया है |

8. हीनयान के प्रमुख सम्प्रदाय थेरवाद (स्थविरवाद), वैभाषिक (सर्वास्तिवाद) और सौत्रान्तिक हैं | जबकि महायान के प्रमुख सम्प्रदाय माध्यमिक (शून्यवाद), योगाचार (विज्ञानवाद) और स्वतन्त्र-योगाचार या स्वतन्त्र-विज्ञानवाद है |

ये भी देखें – बुद्ध के चार आर्य सत्य को जानें

Hinayana Aur Mahayana Mein Antar : बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय हीनयान और महायान में अंतर

बौद्ध धर्म के दो प्रमुख सम्प्रदाय हीनयान और महायान में अंतर (Hinayana Aur Mahayana Mein Antar)

हीनयानमहायान
हीनयान निर्वाण का छोटा मार्ग है |महायान निर्वाण का बड़ा मार्ग है |
हीनयान में गौतम बुद्ध को एक महापुरुष माना जाता है |महायान में गौतम बुद्ध को ईश्वर माना जाता है |
हीनयान पुनर्जन्म, मूर्तिपूजा व भक्ति में विश्वास नही करता है |महायान पुर्नजन्म और मूर्तिपूजा में विश्वास करता है | साथ ही महायान में तीर्थों को भी स्थान दिया गया है |
हीनयान महात्मा बुद्ध के उपदेशों को मौलिक रूप से प्रस्तुत करता है |महायान बौद्ध सिद्धांत को पारमार्थिक, रहस्यमय और श्रद्धात्मक रूप से विकसित करता है |
हीनयान को अनात्मवादी कहा जाता है क्योकि यह आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार नही करता है | इसके अनुसार कोई भी वस्तु नित्य नही है, बल्कि क्षणभंगुर है |महायान आत्मा की सत्ता पर पूर्ण विश्वास करता है | इसके अनुसार आत्मा के अस्तित्व के अभाव में निर्वाण का विचार ही महत्वहीन हो जाता है | यदि आत्मा का अस्तित्व नही हो तो निर्वाण (मोक्ष) किसे प्राप्त होगा |
हीनयान व्यक्तिवादी धर्म है, जिसके अनुसार प्रत्येक मानव को अपने प्रयासों से ही मोक्ष की प्राप्ति करनी चाहिए |महायान में मानवसेवा व परोपकार को अत्यधिक महत्व दिया गया है | इसका उद्देश्य समस्त मानव जाति का कल्याण करना है |
हीनयान एक निरीश्वरवादी धर्म है, जिसमे ईश्वर का कोई स्थान नही है | यहाँ बुद्ध के उपदेशों, भिक्षु जीवन, तपस्या को ही विशेष महत्व दिया गया है |महायान में बुद्ध को ईश्वर का स्थान दिया गया है | बुद्ध की मूर्तियों की उपासना की गयी | महायान के अनुसार बुद्ध प्राणियों के कल्याण के लिए पृथ्वी पर अवतार लेते है |
हीनयान की साधना पद्धति अत्यंत कठोर है और यह भिक्षु जीवन को महत्व देता है |महायान मुख्यतः एक गृहस्थ धर्म है | इसमे भिक्षुओं के साथ-साथ सामान्य उपासकों को भी महत्व दिया गया है |
हीनयान ज्ञान के संचय पर जोर देता है और व्यक्तिगत निर्वाण को महत्व देता है |महायान भक्तिप्रधान धर्म है | यह भक्ति व प्रेम को अधिक महत्व देता है |
हीनयान निर्वाण की प्राप्ति के लिए भिक्षु-जीवन व संन्यास को महत्व देता है |महायान निर्वाण की प्राप्ति के लिए संसार से पलायन को महत्व नही देता है | इसके अनुसार निर्वाण की प्राप्ति हेतु संसार से संन्यास नही बल्कि सांसारिकता से आसक्ति आवश्यक है |
हीनयान का आदर्श अर्हत पद की प्राप्ति है | जो मानव अपनी साधना से निर्वाण की प्राप्ति करते है, वें अर्हत कहलाते है | लेकिन निर्वाण की प्राप्ति के बाद उनका पुनर्जन्म नही होता है |महायान का आदर्श बोधिसत्व है | बोधिसत्व मोक्ष की प्राप्ति के पश्चात् भी अन्य प्राणियों की मुक्ति के लिए निरंतर प्रयत्न करते रहते है |
हीनयान में स्वार्थपरता दिखाई देती है |महायान में परमार्थ व लोकहित भावना दिखाई देती है |

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बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय हीनयान और महायान से सम्बन्धित प्रश्न उत्तर (FAQs)

प्रश्न 01- बौद्ध धर्म के दो मुख्य सम्प्रदाय कौन से हैं ?

उत्तर – बौद्ध धर्म के दो मुख्य सम्प्रदाय हीनयान और महायान है | हीनयान बौद्ध धर्म का प्राचीनतम रूप है जबकि महायान बौद्ध धर्म का विकसित रूप है |

प्रश्न 02- बौद्ध धर्म का हीनयान सम्प्रदाय किन देशों में प्रचलित है ?

उत्तर – बौद्ध धर्म का हीनयान सम्प्रदाय लंका, बर्मा, श्याम आदि देशों में प्रचलित है |

प्रश्न 03- बौद्ध धर्म का महायान सम्प्रदाय किन देशों में प्रचलित है ?

उत्तर – बौद्ध धर्म का महायान सम्प्रदाय चीन, जापान, कोरिया आदि देशों में प्रचलित है |

प्रश्न 04- हीनयान सम्प्रदाय के आत्मा और ईश्वर के विषय में क्या विचार है ?

उत्तर – हीनयान सम्प्रदाय ईश्वर और आत्मा की सत्ता में विश्वास नही करता है | यह अनीश्वरवादी धर्म है |

प्रश्न 05- बौद्ध धर्म के हीनयान सम्प्रदाय में ईश्वर का स्थान किसे दिया गया है ?

उत्तर – बौद्ध धर्म के हीनयान सम्प्रदाय में ईश्वर का स्थान कम्म (कर्म) और धम्म (धर्म) को दिया गया है | हीनयान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्म (कम्म) के अनुसार मन, शरीर और निवास-स्थान प्राप्त होता है | हीनयान के अनुसार विश्व का नियामक धम्म (धर्म) है | धम्म के फलस्वरूप ही व्यक्ति के कर्म-फल का विनाश नही होता है |

प्रश्न 06- हीनयान के अनुसार जीवन का चरम लक्ष्य क्या है ?

उत्तर – हीनयान के अनुसार जीवन का चरम लक्ष्य निर्वाण प्राप्त करना अथवा अर्हत् होना है |

प्रश्न 07- हीनयान के अनुसार निर्वाण का क्या अर्थ होता है ?

उत्तर – हीनयान के अनुसार निर्वाण का अर्थ बुझ जाना होता है | जैसे दीपक के बुझ जाने से उसके प्रकाश का अंत हो जाता है, वैसे ही निर्वाण को प्राप्त करने के बाद व्यक्ति के सभी दुःखों का विनाश हो जाता है |

प्रश्न 08- हीनयान के अनुसार निर्वाण को प्राप्त करने के लिए मनुष्य को क्या करना आवश्यक है ?

उत्तर – हीनयान के अनुसार निर्वाण को प्राप्त करने के लिए मनुष्य को महात्मा बुद्ध के चार आर्य सत्य का मनन और चिन्तन करना आवश्यक है |

प्रश्न 09- हीनयान में बुद्ध को क्या माना है ?

उत्तर – हीनयान में बुद्ध को महात्मा माना है | उनके अनुसार वे ईश्वर नही थें | वें सामान्य मानव से इस अर्थ में उच्च थें की उनकी प्रतिभा विलक्षण थीं | सभी मानवों में बुद्ध बनने की शक्ति नही होती है |

प्रश्न 10- बौद्ध धर्म के किस सम्प्रदाय में बोधिसत्व की कल्पना की गयी है ?

उत्तर – बौद्ध धर्म में बोधिसत्व की कल्पना की गयी है | महायान के अनुसार बोधिसत्व वह मानव है जो बोधिसत्व को प्राप्त करता है और विश्व-कल्याण में संलग्न रहता है |

प्रश्न 11- महायान में बुद्ध को क्या माना गया है ?

उत्तर – महायान में बुद्ध को ईश्वर माना गया है | महायान मूर्ति-पूजा और आत्मा के अस्तित्व को भी स्वीकार करता है |

प्रश्न 12- महायान सम्प्रदाय में संन्यास के प्रति क्या विचार व्यक्त किया गया है ?

उत्तर – बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय में संन्यास या संसार से पलायन की प्रवृत्ति की कड़ी आलोचना की गयी है |

नोट – विद्यादूत वेबसाइट के सभी लेखों का सर्वाधिकार विद्यादूत के पास सुरक्षित है |

सम्बन्धित प्रश्न –

  • बौद्ध धर्म के हीनयान और महायान सम्प्रदाय के बीच मुख्य अंतरों की व्याख्या करें |
  • बौद्ध धर्म के हीनयान और महायान सम्प्रदाय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें |
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