बौद्ध धर्म की प्रमुख विशेषताएं : Main Characteristics of Buddhism : विद्यादूत (vidyadoot) के इस लेख में हम बौद्ध धर्म की विशेषताओं (Characteristics of Buddhism) पर चर्चा करेंगें | ईसा पूर्व छठी शताब्दी के नास्तिक सम्प्रदायों में बौद्ध धर्म का नाम सर्वप्रमुख है | गौतम बुद्ध (Gautama Buddha – 563 B.C.-483 B.C.) द्वारा प्रतिपादित बौद्ध धर्म की जन्मभूमि भारत है, लेकिन यह भारत की सीमाओं में नही बंधा और समय के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय धर्म बन गया | बौद्ध धर्म का विकास भारत की अपेक्षा अन्य देशों जैसे तिब्बत, सिंहल, चीन, बर्मा, कोरिया, जापान, जावा, मंगोलिया आदि में अधिक हुआ |
बुद्ध, जिनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था, का जन्म हिमालय-तराई के कपिलवस्तु नामक स्थान के राजवंश में हुआ था | युवावस्था में ही सिद्धार्थ ने समस्त वैभव-विलास और घर-परिवार को त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया |
जरामरण के साक्षात् दृश्यों को देखकर सिद्धार्थ के मन में यह विश्वास पैदा हुआ कि संसार में मात्र दुःख-ही-दुःख है | उन्होंने संन्यासी का जीवन अपनाकर संसार में व्याप्त दुःखों के मूल कारण को और उनसे मुक्ति पाने के उपायों को जानने का अथक प्रयास किये |
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सिद्धार्थ अनेक धर्मोपदेशकों और संन्यासियों के पास ज्ञान-प्राप्ति के लिए भटकते रहें | विभिन्न प्रकार की यातनाएँ झेलने के बाद सिद्धार्थ को सत्य के दर्शन हुए | ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्हें दुःख और उसके निरोध का उपाय मिला |
सिद्धार्थ तत्व-ज्ञान अर्थात् बोधि (Enlightenment) प्राप्त करने के उपरांत बुद्ध (Enlightened) कहलायें | बुद्ध के अतिरिक्त उन्हें अर्हत (The Worthy) और तथागत (जो वस्तुओं के वास्तविक स्वरुप को जानता है) की संज्ञा से भी विभूषित किया गया |
ज्ञान प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध ने लोक-कल्याण की भावना की से प्रेरित होकर अपने उपदेशों को जन-साधारण तक पहुँचाने का कार्य किया | महात्मा बुद्ध के उपदेशों के परिणामस्वरूप बौद्ध धर्म और बौद्ध दर्शन का विकास हुआ |
बौद्ध धर्म की मुख्य विशेषताएं : Main Characteristics of Buddhism
बौद्ध धर्म के तत्कालीन समय में लोकप्रिय होने का सबसे प्रमुख कारण उस समय के प्रचलित धर्म के प्रति जन-साधारण में असंतोष की भावना का विद्यमान होना | बौद्ध धर्म के अहिंसावादी सिद्धांत ने इसे अत्यधिक लोकप्रिय बनाया |
बौद्ध धर्म की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित है –
- बौद्ध धर्म ‘मध्यम-मार्ग’ (न अत्यधिक विलासिता और न अत्यधिक संयम) पर विश्वास करता है |
- बौद्ध धर्म जीवन का चरम लक्ष्य निर्वाण की प्राप्ति को मानता है |
- बौद्ध धर्म संसार को दुःखमय मानता है तथा दुःखनिरोध (दुःखों का अंत) को निर्वाण मानता है |
- बौद्ध धर्म ईश्वर और वेदों की प्रमाणिकता पर विश्वास नही करता है | महात्मा बुद्ध के अनुसार मानव स्वयं अपने भाग्य का निर्णायक है, कोई ईश्वर नही है |
- बौद्ध धर्म ‘अनात्मवाद’ (No-soul theory) को मानता है | महात्मा बुद्ध के अनुसार संसार में न कोई (नित्य) आत्मा है और न (नित्य) आत्मा की तरह कोई अन्य वस्तु |
- बौद्ध धर्म वर्ण को गुण व कर्म के अनुसार मानता है, जन्म के आधार पर | (इसीलिए यह धर्म निम्नवर्ण में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ |)
- बौद्ध धर्म की शिक्षा का सारांश ‘चार आर्य सत्य’ में निहित है |
- बौद्ध धर्म अहिंसा और पशुओं (विशेषकर गायें) की रक्षा पर अत्यधिक जोर दिया | [उल्लेखनीय है कि बौद्ध धर्म के प्रभाव के कारण ही हिन्दू धर्म (ब्रह्मण धर्म) में गौरक्षा को महत्व मिला |]
- बौद्ध धर्म प्रत्यक्षवादी है | यह हर उस चीज का बहिष्कार करता है जो प्रत्यक्ष रूप से ज्ञात न हो | महात्मा बुद्ध कभी भी प्रत्यक्ष व तर्क के दायरे के बाहर की किसी बात को स्वीकार नही करते थे |
- बौद्ध धर्म कर्म-सिद्धांत और पुनर्जन्म में विश्वास रखता है | महात्मा बुद्ध के अनुसार यदि मानव अपने जीवन में सत्कर्म करता है तो वह अगले जन्म में उच्च जीवन प्राप्त करता है |
- बौद्ध धर्म व्यवहारनिष्ठ है | महात्मा बुद्ध के उपदेश प्रधानता व्यावहारिक है | व्यावहरिक महत्व के कारण ही उन्होंने चार आर्य-सत्यों का उपदेश दिया | [एक बार जब बुद्ध एक शिंशपा-वृक्ष के नीचे बैठे हुए थे, तब उन्होंने उसके कुछ पत्ते अपने हाथ में लिए और आस-पास बैठे हुए अपने शिष्यों से यह बताने के लिए कहा कि शिंशपा के सारे-के-सारे पत्ते वही है या पेड़ पर कुछ और भी है | जब उन्होंने कहा कि निसन्देह और भी है, तब बुद्ध ने कहा, “इतनी ही असंदिग्ध यह बात भी है कि जितना मैंने तुम्हे बताया है उससे भी अधिक मुझे ज्ञात है |” फिर भी बुद्ध ने उन सारी बातों को नही बताया जो उन्हें ज्ञात थी, क्योकि उन्हें उनका कोई व्यावहारिक उपयोग नही दिखाई दिया | एम. हिरियन्ना- भारतीय दर्शन की रूपरेखा]
- बौद्ध धर्म क्षणिकवाद सिद्धांत को मानता है जिसके अनुसार संसार की प्रत्येक वस्तु का अस्तित्व क्षणमात्र के लिए ही रहता है | क्षणिकवाद प्रत्येक वस्तु को क्षण-क्षण बदलती रहने वाली मानता है |
- बौद्ध धर्म तत्कालीन ब्राह्मण धर्म की तुलना में अधिक उदार और अधिक जनतान्त्रिक था |
- बौद्ध धर्म यथार्थवाद को महत्व देता है | महात्मा बुद्ध ने अन्धविश्वासों को अस्वीकार कर कर्म के सिद्धान्त को स्वीकार किया | यही कारण है कि उन्होंने ईश्वर की सत्ता को नही माना | उनकी शिक्षायें यथार्थ अनुभव पर आधारित थी |
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