औपचारिक शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा में अंतर (aupcharik aur anaupcharik shiksha mein antar) पर चर्चा करने से पहले हम समझेंगें कि शिक्षा क्या है ? (What is Education ?) (shiksha kya hai ?) वास्तव में शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जन्म से लेकर मृत्यु तक अनवरत चलती रहती है | शिक्षा को समयावधि या प्रकार की सीमाओं में बांधा नही जा सकता है | यह मानव विकास का मूल साधन है | एक बालक जन्म से लेकर मृत्यु तक अपने जीवन के विभिन्न अनुभवों से सीखता है तथा उसके जीवन पर उन अनुभवों का स्वाभाविक व व्यापक प्रभाव पड़ता है, जिससे उसका वास्तविक विकास सम्भव होता है |
इस प्रकार शिक्षा व्यक्ति, देश, काल, स्थान, वातावरण आदि के बन्धनों से पूर्णतया मुक्त होती है | यह विभिन्न समाजों में विभिन्न रूपों व प्रकारों में कार्यरत है | व्यवस्था, विषय, प्रभाव, उद्देश्य, अवधि आदि की दृष्टि से शिक्षा के अनेक प्रकार और रूप है |
शिक्षा के प्रकार या शिक्षा के रूप : Shiksha Ke Prakar or Shiksha Ke Roop
अगर हम शिक्षा के प्रकार (shiksha ke prakar) या शिक्षा के रूप (shiksha ke roop) की बात करें तो शिक्षा के कई प्रकार है जैसे –
- औपचारिक शिक्षा (Formal Education), अनौचारिक शिक्षा (Informal Education) और औपचारिकेत्तर शिक्षा (Non formal Education), [Aupcharik Shiksha, Anopcharik Shiksha, Aupcharikettar Shiksha]
- समान शिक्षा (General Education) और विशिष्ट शिक्षा (Specific Education), [Saman Shiksha Aur Vishisht Shiksha]
- सकारात्मक शिक्षा/निश्चयात्मक शिक्षा (Positive Education) और नकारात्मक शिक्षा/निषेधात्मक शिक्षा (Negative Education), [Sakaratmak Shiksha Aur Nakaratmak Shiksha]
- प्रत्यक्ष शिक्षा (Direct Education) और अप्रत्यक्ष शिक्षा (Indirect Education), [Pratyakshya Shiksha Aur Apratyaksha Shiksha]
- वैयक्तिक शिक्षा (Individual Education) और सामूहिक शिक्षा (Collective Education), [Vaiyaktik Shiksha Aur Samuhik Shiksha]
- एकांगी शिक्षा (Onesided Education) और सर्वंगीण शिक्षा (Harmonious Education), [Ekangi Shiksha Aur Sarvangin Shiksha]
उपरोक्त शिक्षा के प्रकार (shiksha ke prakar) शिक्षा के रूप (shiksha ke roop) के बारें में विस्तृत जानकारी विद्यादूत में पहले ही पोस्ट की जा चुकी है | आप शिक्षा के प्रकार की विस्तृत जानकारी यहाँ (शिक्षा के प्रकार) से प्राप्त कर सकते है |
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लेकिन मुख्य रूप से शिक्षा के जो दो प्रकार बहुत महत्वपूर्ण है, वें है – औपचारिक शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा (Formal Education and Informal Education) | आज विद्यादूत (विद्या दूत) में हम शिक्षा के औपचारिक और अनौपचारिक प्रकार (Shiksha Ke Aupcharik Aur Anaupcharik Prakar) में मुख्य अंतर क्या है, पर चर्चा करेंगें |
औपचारिक शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा में अंतर : Difference between Formal Education and Informal Education
अब हम औपचारिक शिक्षा (Aupcharik Shiksha) और अनौपचारिक शिक्षा (Anopcharik Shiksha) को अच्छी तरह से समझते हुए इनके बीच के अंतर को समझेंगें |
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औपचारिक शिक्षा : Formal Education
औपचारिक शिक्षा किसे कहते है ? (What is Formal Education ?) [Aupcharik Shiksha Kya Hai]
औपचारिक शिक्षा एक क्रमबद्ध, तर्कपरक, नियोजित ढंग से दी जाने वाली शिक्षा है, जिसे पूरे प्रयत्नों और कुछ नियमों के साथ उद्देश्यपूर्ण व निश्चयपूर्वक प्रदान किया जाता है |
यह शिक्षा विधिवत और व्यवस्थित होती है | यही कारण है कि औपचारिक शिक्षा कभी भी, कही भी, किसी भी समय अथवा किसी के भी द्वारा नही प्राप्त होती है |
औपचारिक शिक्षा की परिभाषा : Definition of Formal Education
Aupcharik Shiksha Ki Paribhasha : डिक्शनरी ऑफ़ एजुकेशन के अनुसार “औपचारिक शिक्षा वह रूढ़ शिक्षा है, जो क्रमबद्ध, तर्कपरक, नियोजित व सुव्यवस्थित ढंग से प्रदान की जाती है |”
औपचारिक शिक्षा का अर्थ : Meaning of Formal Education
Aupcharik Shiksha Ka Arth : औपचारिक शिक्षा (Formal Education) वह शिक्षा है जो जानबूझकर, पूर्व निश्चित उद्देशों की प्राप्ति के लिए पूर्व निर्धारित पाठ्यक्रम के आधार पर विचारपूर्वक, निर्धारित विधियों के द्वारा निश्चित समय तक निश्चित संस्था में विधिवत व व्यवस्थित रूप से प्रदान की जाती है और यह शिक्षा विद्यालयी पढ़ाई के साथ समाप्त हो जाती है |
औपचारिक शिक्षा को योजनाबद्ध शिक्षा (Planned Education) नियमित शिक्षा, सचेत शिक्षा (Conscious Education) या सविधिक शिक्षा भी कहते है | औपचारिक शिक्षा का प्रमुख स्थान विद्यालय (School) हैं |
औपचारिक शिक्षा के उद्देश्य : Aim of Formal Education
जैसाकि हमें मालूम है कि औपचारिक शिक्षा किसी विद्यालय या शिक्षा संस्था द्वारा नियंत्रित वातावरण में पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दी जाने वाली शिक्षा है | इसलिए औपचारिक शिक्षा की योजना पहले बना ली जाती है और इसके उद्देश्य भी पूर्व-निर्धारित होते हैं |
औपचारिक शिक्षा में शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या, पाठ्यपुस्तकें, शिक्षण-विधियाँ, सहायक-सामग्री, शिक्षा सामग्री, शिक्षण अवधि, शिक्षा संस्था, समय-सारणी आदि सभी पूर्व-निश्चित होते है |
औपचारिक शिक्षा परीक्षा-केन्द्रित होती है तथा प्रमाणपत्र या डिग्री से सम्बन्धित होती है, साथ ही यह विद्यालयी पढ़ाई के साथ समाप्त हो जाती है |
औपचारिक शिक्षा के प्रमुख साधन : Agencies of Formal Education
औपचारिक शिक्षा का सबसे प्रमुख साधन (Agencies) विद्यालय (School) है, क्योकि यही पर बालक को योजनाबद्ध शिक्षा (Planned Education) प्रदान की जाती है | विद्यालय के अतिरिक्त औपचारिक शिक्षा के अन्य साधन मदरसा, चर्च, पुस्तकालय, संग्रहालय (म्यूजियम) आदि हैं |
औपचारिक शिक्षा के गुण दोष : The Merits and Demerits of Formal Education
औपचारिक शिक्षा के गुण-दोष निम्न प्रकार से है –
औपचारिक शिक्षा के गुण या विशेषताएं : Merits of Formal Education
औपचारिक शिक्षा की विशेषताएं या गुण निम्नलिखित है –
- नाम के अनुरूप औपचारिक शिक्षा विविध औपचारिकताओं से युक्त होती है, जो नियमित, विधिवत व व्यवस्थित होती है |
- औपचारिक शिक्षा प्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति, समाज, राज्य आदि की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक है |
- औपचारिक शिक्षा व्यवस्थित ज्ञान के द्वारा छात्रों को उनकी आवश्यकतानुसार रोजगार प्राप्त करने में सहायक है |
- औपचारिक शिक्षा योजनाबद्ध तरीकें से प्रदान की जाती है, जिसमे पाठ्यक्रम, अवधि, शिक्षण-विधि, स्थान आदि सभी पूर्व-निश्चित होते है |
- औपचारिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य परीक्षाओं को उत्तीर्ण करके प्रमाणपत्र/डिग्री प्राप्त करना है |
- औपचारिक शिक्षा विद्यालयी पढ़ाई की समाप्ति के साथ पूर्ण हो जाती है |
- औपचारिक शिक्षा किसी शैक्षिक संस्था के निश्चित व नियंत्रित वातावरण में पूर्व-निर्धारित उद्देशों और कार्यक्रमों के अनुसार प्रदान की जाती है |
- औपचारिक शिक्षा द्वारा शिक्षार्थियों को उनके पाठ्य-विषयों का उचित मार्गदर्शन व उचित ज्ञान निश्चित और निर्धारित समय में मिलता है |
- औपचारिक शिक्षा वंचित बच्चों, अतिपिछड़े समाज/अतिगरीब समाज कर बच्चों को आसानी से प्राप्त नही होती है |
औपचारिक शिक्षा के दोष : Demerits of Formal Education
अनेक गुणों के बावजूद औपचारिक शिक्षा में कुछ दोष भी है |
- औपचारिक शिक्षा कुछ नियमों से बंधी हुई होती है, जिसके कारण औपचारिक शिक्षा कही भी, किसी भी समय और किसी के भी द्वारा प्राप्त नही की जा सकती है |
- औपचारिक शिक्षा में ज्ञान प्राप्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता नही होती है |
- औपचारिक शिक्षा स्वाभाविक रूप से ज्यादा कृत्रिम रूप से चलती है |
- औपचारिक शिक्षा के कृत्रिम होने के कारण शिक्षित बेरोजगारों की समस्या उत्पन्न होती है |
- औपचारिक शिक्षा परीक्षा-प्रधान शिक्षा होती है, जो शिक्षार्थियों द्वारा मात्र परीक्षा में उत्तीर्ण करने तक चलती है |
- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए समय व धन की आवश्यकता होती है | जिसके कारण शिक्षा में अपव्यय और अवरोध की समस्या बढ़ती है |
- औपचारिक शिक्षा परीक्षा प्रधान होती है और यह पाठ्यचर्या, स्थान, समय आदि से बंधी हुई होती है |
- औपचारिक शिक्षा में बालक (शिक्षार्थी) को स्वतंत्र रूप से ज्ञान और अनुभव प्राप्त करने के अवसर नही मिलते है |
- कभी-कभी औपचारिक शिक्षा का पाठ्यक्रम हमारे जीवन सम्बन्धी आवश्यकताओं से परे होता है |
- औपचारिक शिक्षा बालकों के नैतिक-मूल्यों पर बहुत कम ध्यान देती है |
अनौपचारिक शिक्षा : Informal Education
अनौपचारिक शिक्षा किसे कहते है ? (What is Informal Education ?) :
समान्यता एक व्यक्ति अपने सम्पूर्ण जीवन में स्वतः अनिश्चित व स्वाभाविक रूप से जो कुछ भी सीखता है वह अनौपचारिक शिक्षा कहलाती है |
अनौपचारिक शिक्षा वह अनियंत्रित व व्यापक वातावरण है, जिसमे रहते हुए एक बालक अपनी स्वाभाविक प्रकृति के अनुसार बिना किसी बंधन के स्वतंत्रतापूर्वक विभिन्न अनुभव प्राप्त करते हुए विकसित होता है |
इस शिक्षा में नियम, योजना आदि के अभाव के कारण इसे अनियमित शिक्षा भी कहा जाता है | अनौपचारिक शिक्षा को अचेतन शिक्षा (Unconscious Education) या अविधिक शिक्षा भी कहते है |
अनौपचारिक शिक्षा की परिभाषा : Definition of Informal Education
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के अनुसार “अनौपचारिक शिक्षा जीवनपर्यन्त चलने वाली एक प्रक्रिया है और उनकी शिक्षा पर जोर देती है, जिन्होंने पहले शिक्षा त्याग दी थी |”
अनौचारिक शिक्षा का अर्थ : Meaning of Informal Education
अनौपचारिक शिक्षा वह शिक्षा है, जो एक व्यक्ति बौद्धिक व सामाजिक प्राणी होने के कारण जन्म से लेकर मृत्यु तक स्वाभाविक रूप से अनिश्चित, अनायास व अनजाने में सीखता रहता है |
अनौपचारिक शिक्षा इस आदर्श पर आधारित है कि एक व्यक्ति या छात्र जो सीखना चाहे सीखें, जहाँ सीखना चाहे सीखें व जब सीखना चाहे सीखें |
अनौपचारिक शिक्षा लक्ष्य-प्रधान है, प्रत्येक बंधन से मुक्त है, स्वाभाविक जीवन से सम्बन्धित है और स्वतः सीखना इसका आधार है | इसलिए यह शिक्षा बालक को वास्तविक जीवन के लिए तैयार करती है |
अनौपचारिक शिक्षा के उद्देश्य : Aim of Formal Education
अनौपचारिक शिक्षा का उद्देश्य, काल अवधि, पाठ्यचर्या, शिक्षण विधियाँ, स्थान आदि कुछ भी निश्चित नही होता है | यह शिक्षा बिना किसी निश्चित उद्देश्य के जाने-अनजाने जीवनपर्यन्त अनिश्चित व स्वाभाविक रूप से चलती रहती है |
वास्तव में यह एक व्यावहारिक शिक्षा है जिसे व्यक्ति अपनी आवश्यकतानुसार अपने अनुभवों से समाज में सीखता है | अनौचारिक शिक्षा ही बालक को सर्वप्रथम नैतिकता, आचरण, व्यवहार, सभ्यता, संस्कृति का ज्ञान कराती है |
अनौपचारिक शिक्षा के प्रमुख साधन : Agencies of Informal Education
अनौपचारिक शिक्षा का सबसे प्रमुख साधन परिवार है, क्योकि इस शिक्षा की शुरुआत परिवार (Family) से होती है | बालक के सम्पर्क में आने वाले सभी पारिवारिक सदस्य बालक के शिक्षक होते है और वातावरण में उपस्थित समस्त वस्तुएं शिक्षा के साधन होते है |
परिवार के अतिरिक्त अनौपचारिक शिक्षा के अन्य साधन है – पडोस, समाज, धर्म, राज्य, खेल के मैदान, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियों, टेलीविजन, इंटरनेट आदि |
अनौपचारिक शिक्षा के गुण दोष : The Merits and Demerits of Informal Education
अनौपचारिक शिक्षा के गुण-दोष निम्न प्रकार से है –
अनौपचारिक शिक्षा के गुण या विशेषताएं : Merits of Informal Education
अनौपचारिक शिक्षा के गुण या विशेषताएं निम्न प्रकार से है –
- अनौपचारिक शिक्षा, शिक्षा-संस्था (विद्यालय) के बंधन से मुक्त होती है |
- अनौपचारिक शिक्षा वंचित, सुविधाविहीन और अभावग्रस्त बालकों के लिए अतिमहत्वपूर्ण व उपयोगी है |
- अनौपचारिक शिक्षा का आधार स्वतः सीखना है |
- अनौपचारिक शिक्षा ‘स्वयं करके सीखने’ पर जोर देती है | इसलिए इसका ज्ञान स्थायी होता है |
- अनौपचारिक शिक्षा बालक को सभ्यता, संस्कृति, नैतिकता, आचरण आदि का ज्ञान कराती है
- अनौपचारिक शिक्षा जीवनपर्यन्त व जीवन की हर अवस्था (बाल, युवा, पौढ़) में चलती रहती है |
- अनौपचारिक शिक्षा का सम्बन्ध वास्तविक जीवन (Real Life) से है | यह बालक को वास्तविक जीवन के लिए तैयार करती है | इसलिए यह जीवनोपयोगी है |
- अनौचारिक शिक्षा धन, समय व श्रम बचाती है |
- अनौपचारिक शिक्षा लक्ष्य प्रधान है जिसका सम्बन्ध वास्तविक जीवन से होता है |
- अनौपचारिक शिक्षा, औपचारिक शिक्षा की कमी को पूर्ण करती है |
अनौपचारिक शिक्षा के दोष : Demerits of Informal Education
अनौपचारिक शिक्षा के दोष इस प्रकार है –
- अनौपचारिक शिक्षा कभी भी औपचारिक शिक्षा का स्थान नही ले सकती है |
- अनौपचारिक शिक्षा स्वयं सीखने पर जोर देती है पर बालक बिना किसी शिक्षक के स्वयं सबकुछ नही सिखा सकता है |
- अनौपचारिक शिक्षा में नियम, व्यवस्था, योजना का आभाव रहता है |
- अनौपचारिक शिक्षा में छात्र-शिक्षक का प्रत्यक्ष सम्बन्ध न हो पाने के कारण बालक पर स्वयं सीखने की जिम्मेदारी अधिक हो जाती है, जिसके कारण उसकी असफलता की सम्भावना बढ़ जाती है |
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औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा में अंतर : Difference between Formal and Informal Education
औपचारिक शिक्षा (Formal Education) | अनौचारिक शिक्षा (Informal Education) |
सोद्देश्य शिक्षा | लक्ष्य प्रधान शिक्षा |
निश्चित स्थान | स्थान की पाबंदी नही |
विद्यालय प्रमुख साधन | परिवार प्रमुख साधन |
शिक्षा की अवधि निश्चित | जीवनपर्यन्त चलने वाली शिक्षा |
नियमित शिक्षा | अनियमित शिक्षा |
नियंत्रित वातावरण | अनियंत्रित व व्यापक वातावरण |
शिक्षक प्रधान शिक्षा | छात्र केन्द्रित शिक्षा |
विधिवत व व्यवस्थित | अनिश्चित व स्वाभाविक |
क्रमबद्ध, तर्कपरक, नियोजित | वास्तविक, जीवनोपयोगी, व्यावहारिक |
पूर्व निर्धारित पाठ्यक्रम | कोई पाठ्यक्रम नही, वास्तविक जीवन से सम्बन्धित |
परीक्षा केन्द्रित शिक्षा | परीक्षा आदि बंधन से मुक्त |
प्रवेश के लिए निश्चित आयु | आयु सम्बन्धित कोई प्रतिबन्ध नही, जीवनपर्यन्त सीखना |
निश्चित कार्यक्रम | अनिश्चित कार्यक्रम, हर स्थान, हर समय उपलब्ध |
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