संस्कृत बौद्ध ग्रन्थ

Sanskrit Bauddh Granth

संस्कृत बौद्ध ग्रन्थ (Sanskrit Bauddh Granth/Sanskrit Buddhist texts) : प्रारम्भिक बौद्ध ग्रन्थ पालि भाषा में लिखे गये थें | लेकिन समय के साथ बौद्ध धर्म में संस्कृत भाषा का प्रभाव बढ़ा और संस्कृत भाषा में अनेक बौद्ध ग्रन्थ लिखे गये | संस्कृत बौद्ध लेखकों में सबसे महत्वपूर्ण नाम महान दार्शनिक, कवि व नाटककार अश्वघोष का है |

अश्वघोष एक महान दार्शनिक थें | इनकी रचनाओं में दार्शनिकता का प्रभाव मिलता है | लेकिन दर्शन के प्रभाव के बावजूद सरलता और मधुरता उनकी रचनाओं की विशिष्टता है |

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अश्वघोष की रचनाओं में समास एवं श्लेषयुक्त शब्दावलियों का अभाव मिलता है | अश्वघोष ने गौतम बुद्ध के सिद्धांतों को सुंदर व सरल भाषा में जनसाधारण तक पहुँचाने का महान कार्य किया है |

अश्वघोष बौद्ध धर्म के सर्वास्तिवादी सम्प्रदाय के विचारक थें और कुषाण वंशीय शासक कनिष्क की राजदरबार को सुशोभित करते थें |

अश्वघोष के दो महाकाव्य बुद्धचरित व सौन्दरनंद और एक नाटक ग्रंथ शारिपुत्र-प्रकरण सर्वप्रसिद्ध है | बुद्धचरित महाकाव्य में मूलतः 28 सर्ग थें लेकिन वर्तमान में 17 सर्ग ही उपलब्ध है | इन 17 सर्ग में 13 या 14 सर्ग तक ही प्रामाणिक माना जाता है |

बुद्धचरित में गौतम बुद्ध के जीवन का वर्णन सरलता व सरसता से किया गया है | इस महाकाव्य का आरम्भ गौतम बुद्ध के गर्भस्थ होने से होता है और धातु युद्ध, प्रथम संगीति और अशोक के राज्य तक का वर्णन मिलता है |

सौन्दरनंद महाकाव्य में 18 सर्ग है | इस महाकाव्य में गौतम बुद्ध के सौतेले भाई सुंदरनन्द के उनसे प्रभावित होकर सांसारिक विषय-भोगों को त्याग कर प्रव्रज्या ग्रहण करने का काव्यात्मक ढंग से वर्णन किया गया है |

इस ग्रन्थ में नन्द और उसकी पत्नी सुन्दरी के मूक वेदनाओं का सुंदर चित्रण मिलता है साथ ही गौतम बुद्ध के उपदेशों को सरल व सरस भाषा में अंकन किया गया है |

शारिपुत्र-प्रकरण एक नाटक ग्रन्थ है | इसमे शारिपुत्र के बौद्धमत में दीक्षित होने की घटना का नाटकीय वर्णन किया गया है | शारिपुत्रप्रकरण की रचना नाट्यशास्त्र के नियमों के अनुकूल हुई है |

इस नाटक ग्रन्थ की भाषा सरस है और इसमे श्रृंगार रस की प्रधानता है, लेकिन करुण और हास्य रसों का भी सुंदर समावेश किया गया है |

संस्कृत बौद्ध ग्रन्थों में महावस्तु, ललितविस्तर, दिव्यावदान इत्यादि भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है | महावस्तु और ललितविस्तर में गौतम बुद्ध के जीवन का विवरण प्राप्त होता है |

दिव्यावदान में परवर्ती मौर्य राजाओं और शुंग राजा पुष्यमित्र शुंग का वर्णन प्राप्त होता है | ललितविस्तर की गणना बौद्ध धर्म के महायान मत से सम्बन्धित प्राचीनतम ग्रन्थों में की जाती है |

महायान सम्प्रदाय के अन्य ग्रन्थ वज्रछेदिका, माध्यामिककारिका, प्रज्ञापारमिता, संद्धर्भपुण्डरीक इत्यादि है |

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