NTA UGC NET Modern History Notes PDF in Hindi

NTA UGC NET Modern History Notes PDF

NTA UGC NET History Topic के अंतर्गत UGC NET Special केटेगरी में आज हम विद्यादूत में NTA UGC NET Modern History Notes PDF in Hindi पर लेख प्रस्तुत कर रहे है | NTA UGC NET Exam के Second Paper में इतिहास (History) बहुत ही लोकप्रिय विषय है | NTA UGC NET के अलावा UPSC Exam और UPPSC Exam में इतिहास (History) विषय हमेशा से अभ्यर्थियों की पहली पसंद बना रहा है |

NTA UGC NET History Study Material (एनटीए यूजीसी नेट इतिहास अध्ययन सामग्री) के इस लेख में हम आधुनिक भारत पर नोट्स (Modern History Notes for NTA UGC NET) प्रस्तुत करेंगे |

NTA UGC NET JRF Syllabus के अनुसार यूजीसी नेट परीक्षा (UGC NET Exam) में दो पेपर आते है और दोनों ही पेपर वस्तुनिष्ठ प्रकार के होते है | पहला पेपर जिसका शीर्षक “शिक्षण और शोध अभिवृत्ति” (Teaching and Research Aptitude) है, सभी अभ्यर्थियों के लिए अनिवार्य होता है |

UGC NET Paper First में कुल 50 प्रश्न आयेंगे | सभी प्रश्न वस्तुनिष्ठ और अनिवार्य होंगे | प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का होगा | इसप्रकार यूजीसी नेट पेपर फर्स्ट 100 अंक का होगा |

यूजीसी नेट के पेपर 2 (NTA UGC ) में अभ्यर्थियों द्वारा चयन किये गये विषय से सम्बन्धित 100 प्रश्न आयेंगें | सभी प्रश्न अनिवार्य व वस्तुनिष्ठ प्रकार के होंगें | प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का होगा | अतः यूजीसी नेट पेपर सेकेंड 200 अंक का होगा |

“NTA UGC NET Modern History Notes PDF in Hindi” के पूर्व हमने यूजीसी नेट (NTA UGC NET) से सम्बन्धित निम्न चार लेख प्रतुत किये थे, जो विद्यादूत में बहुत ही पॉपुलर लेख है | इन्हें एक बार आप जरुर देखें –

1 . UGC NET Paper First Study Material PDF in Hindi

2. UGC NET Paper First Notes PDF Free Download in Hindi

3. NTA UGC NET Syllabus & Exam Pattern in Hindi PDF for Paper 1 & 2

4. UGC NET Previous Years Exams Paper PDF Free Download

5. Child Development and Pedagogy in Hindi PDF

एनटीए यूजीसी नेट/जेआरएफ पेपर फर्स्ट और हिस्ट्री सिलेबस आप नीचे दिए गये लिंक से पीडीएफ में डाउनलोड कर सकते है –

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UGC NET JRF Modern History Notes PDF in Hindi लेख में निम्नलिखित टॉपिक्स को भी शामिल किया गया है –

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NTA UGC NET Modern History Notes PDF in Hindi

NTA UGC NET Indian Modern History Notes PDF in Hindi” के अंतर्गत हमने इस लेख को अत्यधिक लम्बा होने के कारण दो भागों में विभाजित किया है | पहले लेख में हम “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885) से लेकर जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल 1919)” तक के टॉपिक को कवर करेंगे जबकि दूसरे लेख में हम “खिलाफत आंदोलन (1919-20) से लेकर माउन्टबेटन योजना और भारत की स्वतंत्रता (1947)” तक के टॉपिक को कवर करेंगें |

एनटीए यूजीसी नेट पेपर 2 के अंतर्गत “NTA UGC NET Modern History Notes PDF in Hindi” के इस लेख में हम भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का उदय और विकास के अंतर्गत निम्न टॉपिक्स का अध्ययन करेंगें |

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885)
  2. बंगाल विभाजन और स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन (1905)
  3. मुस्लिम लीग की स्थापना (1906)
  4. कांग्रेस का सूरत विभाजन (1907)
  5. मार्ले-मिन्टो सुधार (1909)
  6. दिल्ली दरबार (1911)
  7. कामागाटामारू प्रकरण (1914)
  8. होमरूल लीग आन्दोलन (1916)
  9. लखनऊ समझौता (1916)
  10. मांटेग्यू घोषणा (20 अगस्त 1917)
  11. गांधीजी का भारत की राजनीति में प्रवेश
  12. चम्पारण (1917), अहमदाबाद और खेड़ा आन्दोलन (1918)
  13. रौलेट एक्ट (1919)
  14. जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल 1919)
UGC NET SPECIAL
UPTET SPECIAL
UP PGT TGT SPECIAL
RO ARO SPECIAL
UPSC SPECIAL
UPSSSC SPECIAL

NTA UGC Modern History Study Material PDF in Hindi

एनटीए यूजीसी नेट आधुनिक भारतीय इतिहास स्टडी मटेरियल (NTA UGC Modern History Study Material PDF in Hindi) के अंतर्गत हम ऊपर दिए टॉपिक्स पर चर्चा करेंगें |

आपको बता दें कि इस लेख को लिखने में NCERT BOOKS की मदद ली गयी है और इसमे जो भी Dates दी गयी है वो NCERT BOOKS से प्रमाणित की गयी है |

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885)

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसम्बर 1885 को बम्बई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में हुई थी |
  • कांग्रेस के संस्थापक एलन आक्टेवियन ह्यूम (ए.ओ. ह्यूम) और इसके प्रथम अध्यक्ष कलकत्ता के प्रमुख वकील व्योमेशचन्द्र बनर्जी (डब्लू.सी. बनर्जी) थें |
  • ए.ओ. ह्यूम को ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पिता’ कहा जाता है |
  • एलन आक्टेवियन ह्यूम (ए.ओ. ह्यूम) स्काटलैंड के निवासी थें | उन्होंने भारत में इंडियन सिविल सर्विस (आईसीएस) में कई वर्षों तक कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था |
  • ए.ओ. ह्यूम की जीवनी उनके मित्र सर वेडरबर्न ने लिखी थी |
  • लाला लाजपत राय ने लिखा है कि ह्यूम स्वतंत्रता के पुजारी थे और उनका हृदय भारत की निर्धनता और दुर्दशा पर रोता था |
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना और प्रथम अधिवेशन पुणे (पूना) में होना था, लेकिन वहां हैजा (Cholera) फैल जाने के कारण बम्बई में प्रथम अधिवेशन किया गया |
  • कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर भारतीय राष्ट्रीय संघ (इंडियन नेशनल यूनियन) का नाम परिवर्तित करके भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस रखा गया था |
  • एलन आक्टेवियन ह्यूम (ए.ओ. ह्यूम) ने 1884 में भारतीय राष्ट्रीय संघ (इंडियन नेशनल यूनियन) की स्थापना की थी, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अग्रदूत था |
  • भारतीय राष्ट्रीय संघ (इंडियन नेशनल यूनियन) की स्थापना का विचार सर्वप्रथम तत्कालीन वायसराय लार्ड डफरिन के दिमाग में आया था |
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कुल 72 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था |
  • लाला लाजपत राय ने यंग इंडिया में लिखा था कि कांग्रेस लार्ड डफरिन के दिमाग की उपज है |
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने भाग नही लिया था |
  • बाल गंगाधर तिलक ने कांग्रेस के बारे में लिखा है “यदि हम वर्ष में एक बार मेढ़क की भांति टर्राये तो हमे कुछ नही मिलेगा |”
  • डफरिन ने कहा था – “कांग्रेस जनता के उस अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जिसकी संख्या सूक्ष्म है |”
  • विपिनचंद्र पाल ने कांग्रेस को “याचना संस्था” कहा |
  • बंकिमचन्द्र चटर्जी के अनुसार “कांग्रेस के लोग पदों के भूखे है |”
  • अश्विनी कुमार दत्त ने कांग्रेस अधिवेशनों को ‘तीन दिन का तमाशा’ कहा |
  • लार्ड कर्जन के अनुसार “कांग्रेस अपनी मौत की घड़िया गिन रही है, भारत में रहते मेरी सबसे बड़ी इच्छा है कि मैं उसे शांतिपूर्ण मरने में मदद कर सकू |”
  • रजनीपाम दत्त ने अपनी पुस्तक इंडिया टुडे में लिखा है कि कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश सरकार की एक पूर्व नियोजित गुप्त योजना के अनुसार की गयी |

बंगाल विभाजन और स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन (1905)

  • बंगाल विभाजन (1905) के पूर्व बंगाल में वर्तमान का बंगाल, बिहार, उड़ीसा और बांग्लादेश शामिल थें |
  • बंगाल प्रेसीडेंसी उस समय सभी प्रेसीडेंसियों में सबसे बड़ी थी |
  • 1874 ई. में असम बंगाल से अलग हो गया था |
  • बंगाल विभाजन तत्कालीन वायसराय लार्ड कर्जन ने किया था |
  • कर्जन ने बंगाल विभाजन का उद्देश्य प्रशासनिक असुविधा को बताया था | लेकिन वास्तविक कारण प्रशासनिक नही बल्कि राजनीतिक था |
  • बंगाल उस समय भारतीय राष्ट्रीय चेतना का केंद्र-बिंदु था |
  • बंगाल विभाजन का मुख्य उद्देश्य बंगाली राष्ट्रवाद की वृद्धि को कमजोर करना था |
  • कर्जन की बंगाल विभाजन घोषणा के विरोध में स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन आरम्भ हुआ |
  • सबसे पहले बंगाल में ब्रिटेन की वस्तुओं के विरोध बहिष्कार का सुझाव कृष्ण कुमार मित्र ने दिया था |
  • बंगाल के तत्कालीन वायसराय लार्ड कर्जन ने 19 जुलाई 1905 को बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा की थी |
  • लार्ड कर्जन ने 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल विभाजन लागू कर दिया |
  • बंगाल अपने विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल में विभाजित हुआ |
  • पूर्वी बंगाल में असम, व बंगाल (पूर्वी) के राजशाही, ढाका और चटगांव जिले मिलाये गये | इसका मुख्यालय ढाका में था |
  • पूर्वी बंगाल का प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर ब्लूमफील्ड फूलर को बनाया गया |
  • पश्चिमी बंगाल में बिहार व उड़ीसा और पश्चिमी बंगाल शामिल थें | इसकी राजधानी कलकत्ता बनी |
  • पश्चिमी बंगाल का प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर एंड्रयू फ्रेजर को बनाया गया |
  • वर्ष 1911 में ब्रिटिश सरकार ने बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया |

स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन (7 अगस्त 1905)

  • बंगाल विभाजन घोषणा के विरोध में 7 अगस्त 1905 को कलकत्ता के टाउनहाल में स्वदेशी और बहिष्कार आन्दोलन की शुरुआत की गयी |
  • 1905 में कांग्रेस के बनारस अधिवेशन, जिसके अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोखले थे, में स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का अनुमोदन किया गया |
  • रविन्द्रनाथ टैगोर ने इसी समय ‘आमार सोनार बंगला’ गीत लिखा, जो 1971 में बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान बना |
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर वस्तुतः स्वदेशी आंदोलन के आलोचक थें |
  • स्वदेशी आंदोलन में पहली बार महिलाओं ने पूर्णरूप से प्रदर्शन किया |
  • जिस दिन बंगाल-विभाजन लागू हुआ उस दिन को शोक दिवस के रूप में मनाया गया |
  • सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने कहा था कि बंगाल-विभाजन का निर्णय हमारे ऊपर एक बज्र की तरह गिरा है |
  • गोपाल कृष्ण गोखले ने बंगाल-विभाजन पर कहा कि यह एक निर्मम भूल है |
  • बाल गंगाधर तिलक ने स्वदेशी और बहिष्कार आन्दोलन का प्रचार बम्बई और पुणे में, सैयद हैदर रजा ने दिल्ली में, अजीत सिंह व लाला लाजपत राय ने पंजाब एवं उत्तर-प्रदेश में और चिदंबरम पिल्लै ने मद्रास में किया था |
  • अश्विनी कुमार दत्त द्वारा स्थापित ‘स्वदेश बांधव समिति’ ने स्वदेशी आंदोलन के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |
  • स्वदेशी आंदोलन के तहत 15 अगस्त 1906 को एक ‘राष्ट्रीय शिक्षा परिषद’ की स्थापना की गयी |
  • आचार्य पी.सी. राय ने ‘बंगाल केमिकल्स व फार्मास्यूटिकल्स’ की स्थापना की |
  • वर्ष 1906 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में अध्यक्ष दादाभाई नौरोजी ने पहली बार स्वराज की मांग की |
  • यद्यपि बाल गंगाधर तिलक ने ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ का नारा दिया था, लेकिन कांग्रेस के मंच से सर्वप्रथम स्वराज्य की मांग दादाभाई नौरोजी ने किया था |

मुस्लिम लीग की स्थापना (1906)

  • ढाका के नवाब सलीम उल्ला खां के नेतृत्व में 30 दिसम्बर 1906 को ढाका में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना हुई |
  • मुस्लिम लीग के प्रथम अध्यक्ष नवाब वकारुल मुल्क मुश्ताक हुसैन बने |
  • नवाब सलीम उल्ला खां मुस्लिम लीग के संस्थापक अध्यक्ष थे |
  • मुस्लिम लीग का संविधान 1907 में कराची में बना और मुस्लिम लीग के इस संविधान के अनुसार पहला अधिवेशन वर्ष 1908 में अमृतसर में हुआ |
  • मुस्लिम लीग ने अपने अमृतसर अधिवेशन में मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल की मांग की थी, जो मार्ले-मिन्टो सुधार (1909) में प्रदान किया गया था |
  • मुस्लिम लीग की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय मुसलमानों में ब्रिटिश शासन के प्रति निष्ठा का भाव पैदा करना और भारतीय मुसलमानों के राजनीतिक और अन्य अधिकारों की रक्षा करना था |

कांग्रेस का सूरत विभाजन (1907)

  • कांग्रेस का सूरत अधिवेशन दिसम्बर 1907 को ताप्ती नदी के किनारे हुआ |
  • अध्यक्ष पद के लिए उदारवादियों (नरम दल) और उग्र राष्ट्रवादियों (गरम दल) में मतभेद हुआ |
  • उग्र राष्ट्रवादियों (गरम दल) ने सूरत अधिवेशन का अध्यक्ष पहले बाल गंगाधर तिलक और बाद में लाला लाजपत राय को बनाने के लिए दबाव बनाया |
  • लेकिन टकराव के बाद अंत में उदारवादी दल के रासबिहारी घोष अध्यक्ष बनें |
  • अधिवेशन के पूर्व उदारवादियों और उग्र राष्ट्रवादियों के बीच मारपीट होने के कारण उग्र राष्ट्रवादियों (गरम दल) को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया |
  • एनी बेसेंट ने कांग्रेस के सूरत विभाजन को ‘एक दुःखद घटना’ कहा |
  • सूरत विभाजन (1907) के बाद गरम दल का नेतृत्व लाल-बाल-पाल अर्थात् लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चन्द्र पाल ने जबकि नरम दल नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले ने किया |
  • वर्ष 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में पुनः गरम दल और नरम दल का आपस में विलय हो गया |

मार्ले-मिन्टो सुधार (1909)

  • तत्कालीन भारत सचिव मार्ले और वायसराय लार्ड मिन्टो ने ‘भारतीय परिषद् एक्ट 1909’ पारित किया, जिसे ‘मार्ले-मिन्टो’ सुधार भी कहा गया है |
  • मार्ले-मिन्टो एक्ट के अंतर्गत मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचन क्षेत्र और मताधिकार की व्यवस्था की गयी |
  • भारतीय परिषद् एक्ट-1909 के अंतर्गत केन्द्रीय और प्रांतीय विधानमंडलों के आकार और उनकी शक्ति में वृद्धि की गयी |
  • इसमे सदस्यों को प्रस्ताव रखने और प्रश्न पूछने का अधिकार भी दिया गया | बजट प्रस्तावों पर मतदान का भी अधिकार था |
  • कांग्रेस ने इन सुधारों का विरोध किया |
  • तत्कालीन वायसराय ने लिखा था कि ‘याद रखना कि पृथक् निर्वाचन क्षेत्र बनाकर हम ऐसे घातक विष बो रहे है जिसकी फसल अत्यधिक कड़वी होगी |’

दिल्ली दरबार (1911)

  • वर्ष 1911 में इंग्लैंड के सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मेरी के स्वागत के लिए दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन किया गया |
  • दिल्ली दरबार (1911) के समय भारत का वायसराय लार्ड हार्डिंग था |
  • दिल्ली दरबार में बंगाल विभाजन (1905) को रद्द करने की घोषणा की गयी |
  • दिल्ली दरबार के अवसर पर भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गयी |
  • भारत की राजधानी दिल्ली में विधिवत् रूप से स्थानांतरित वर्ष 1912 में हुई |

कामागाटामारू प्रकरण (1914)

  • कामागाटामारू एक पानी के जहाज का नाम था |
  • वर्ष 1914 में घटित कामागाटामारू प्रकरण के अंतर्गत कनाडा सरकार ने उन भारतीय पर अपने देश में घुसने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था, जो भारत से सीधे कनाडा नही आये थें |
  • भारत के गुरदीप सिंह नामक व्यक्ति कामागाटामारू नामक एक पानी के जहाज को किराये पर लेकर 376 यात्रियों के साथ कनाडा के बंदरगाह बैंकूवर पंहुचा था |
  • हुसैन रहीम, सोहनलाल पाठक और बलवंत सिंह ने इन यात्रियों के मदद के लिए ‘शोर कमेटी’ (तटीय समिति) का गठन किया |
  • संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में भगवान सिंह, सोहन सिंह, बरकतउल्ला, रामचन्द्र के नेतृत्व में आंदोलन चलाया |
  • जब जहाज वापस कलकत्ता के बजबज बंदरगाह पहुंचा तब पुलिस और यात्रियों के बीच झड़प हुई जिसमे 18 यात्री मारे गये और शेष 202 यात्रियों को जेल हुई |

होमरूल लीग आन्दोलन (1916)

  • होमरूल लीग आन्दोलन का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहते हुए संवैधानिक तरीके से स्वशासन (होमरूल) प्राप्त करना |
  • भारत में होमरूल आन्दोलन बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट से शुरू किया था |
  • आयरिश होमरूल लीग की भांति भारत में होमरूल लीग की स्थापना का सर्वप्रथम विचार एनी बेसेंट के दिमाग में आया था |
  • बाल गंगाधर तिलक ने अप्रैल 1916 में बेलगांव में अपने होमरूल लीग की स्थापना की |
  • तिलक के होमरूल लीग का प्रभाव कर्नाटक, महाराष्ट्र (बम्बई को छोड़कर), मध्य प्रान्त और बरार तक फैला हुआ था |
  • तिलक ने अपने पत्र ‘मराठा’ और ‘केसरी’ द्वारा अपने लीग का प्रचार किया |
  • एनी बेसेंट ने अपने होमरूल लीग की स्थापना सितम्बर 1916 में मद्रास (अडयार) में की और जार्ज अरुंडेल को अपने होमरूल लीग का सचिव बनाया |
  • एनी बेसेंट के होमरूल लीग का कार्यक्षेत्र तिलक की लीग वाले प्रभाव क्षेत्र को छोड़कर पूरे भारत में था |
  • एनी बेसेण्ट ने अपने साप्ताहिक पत्र ‘कामनवील’ और दैनिक पत्र ‘न्यू इंडिया’ द्वारा अपने लीग का प्रचार किया |
  • गोपाल कृष्ण गोखले की ‘सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसाइटी’ के सदस्यों को होमरूल लीग का सदस्य बनने की इजाजत नही थी |
  • भारत सचिव एडविन मांटेग्यू की घोषणा (20 अगस्त 1917) के बाद एनी बेसेंट ने अपने होमरूल लीग की समाप्त करने की घोषणा कर दी थी |
  • तिलक ने अपने होमरूल आंदोलन को ‘इंडियन अनरेस्ट’ के लेखक वेलेंटाइन शिरोल पर मानहानि का मुकदमा करने हेतु इंग्लैंड प्रस्थान करने के पूर्व तक जारी रखा था |

लखनऊ समझौता (1916)

  • कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन (1916) में कांग्रेस से 1907 (सूरत विभाजन) में निष्कासित गरम दल को पुनः कांग्रेस में शामिल कर लिए गया और मुस्लिम लीग और कांग्रेस में समझौता (लखनऊ समझौता) हुआ |
  • गरम दल और नरम दल को पुनः एक साथ लाने में बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने मुख्य भूमिका निभाई थी |
  • कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता अम्बिका चरण मजुमदार ने की थी |
  • मुस्लिम लीग ने लखनऊ अधिवेशन में ‘स्वराज्य प्राप्ति’ का प्रस्ताव पारित किया |
  • कांग्रेस और मुस्लिम लीग (मुहम्मद अली जिन्ना) के बीच हुए लखनऊ-समझौते (लखनऊ पैक्ट) में कांग्रेस ने साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व को स्वीकार कर लिया, जिसका पहले वो लगातार विरोध कर रही थी |
  • मदनमोहन मालवीय सहित की वरिष्ठ नेता लखनऊ समझौते के खिलाफ थें |

मांटेग्यू घोषणा (20 अगस्त 1917)

  • 20 अगस्त 1917 को भारत सचिव मांटेग्यू ने ब्रिटिश हाउस ऑफ़ कामंस में घोषणा कि “ब्रिटिश शासन की नीति है कि भारत के प्रशासन में भारत की जनता को भागीदार बनाया जाये और स्वशासन हेतु विभिन्न संस्थाओं का क्रमिक विकास किया जाये जिससे भारत में ब्रिटिश साम्राज्य से जुडी कोई उत्तरदायी सरकार स्थापित की जा सके |” इसे मांटेग्यू घोषणा कहा गया |
  • मांटेग्यू घोषणा को उदारवादियों ने ‘भारत का मैग्नाकार्टा’ कहा |
  • मांटेग्यू घोषणा का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि अब होमरूल की मांग को देशद्रोही नही कहा जा सकता था |

गांधी जी का भारत की राजनीति में आगमन

  • गांधीजी (मोहनदास करमचंद गांधी) का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के काठियावाड़ के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था |
  • 13 वर्ष की आयु में गांधीजी का विवाह कस्तूरबा जी से हुआ |
  • वर्ष 1887 में गांधीजी उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु इंग्लैंड चले गये और 1891 में वहां से बैरिस्ट्री पास करके भारत लौटे |
  • वर्ष 1893 में गुजराती व्यापारी दादा अब्दुल्ला के मुकदमे की पैरवी के लिए डरबन (दक्षिण अफ्रीका) गये |
  • गांधीजी दक्षिण अफ्रीका 1 वर्ष के लिए गये थें लेकिन वहां लगभग 22 वर्ष रहें |
  • गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में प्रवासी भारतीयों के प्रति अंग्रेजों की रंगभेद नीति के विरुद्ध 1893 से 1914 तक अहिंसात्मक संघर्ष किया |
  • दक्षिण अफ्रीका में ही गांधीजी ने सर्वप्रथम सत्याग्रह आंदोलन चलाया था |
  • गांधीजी जनवरी 1915 में भारत वापस लौटे और यहाँ पर उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु बनाया |
  • प्रथम विश्व युद्ध में गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार का पूर्ण सहयोग किया और लोगों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रोत्साहित किया |
  • गांधीजी ने खुद को ब्रिटिश सरकार का ‘भर्ती करने वाला सार्जेंट’ कहा |

चम्पारण (1917)

  • गांधीजी ने भारत में अपना पहला सत्याग्रह 1917 बिहार में चम्पारण नामक स्थान पर किया |
  • चम्पारण सत्याग्रह गांधीजी की भारत में अंग्रेजों के खिलाफ पहली लड़ाई थी |
  • 1917 में बिहार में स्थित चम्पारण जिले में किसानों पर किये जा रहे अत्याचार के खिलाफ आंदोलन चलाया |
  • यहाँ पर किसानों को यूरोपीय बागान मालिकों से किये गये एक समझौते के तहत अपनी भूमि के 3/20 भाग पर नील की खेती करना और उत्पादित नील को निश्चित कीमत पर उन्हें बेचना अनिवार्य था |
  • अंग्रेजों की इस प्रणाली को ‘तिनकठिया प्रणाली’ कहा जाता था |
  • चम्पारण के किसान रामचन्द्र शुक्ल के आग्रह पर गांधीजी चंपारण में सत्याग्रह शुरू करने को राजी हुए |
  • गांधीजी के साथ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मजहरुल-हक, जे. बी. कृपलानी, नरहरि पारिख और महादेव देसाई चम्पारण गये थें |
  • गांधीजी के चम्पारण सत्याग्रह की सफलता से प्रभावित होकर रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि प्रदान की |

….आगे जारी रहेगा