UPTET CTET Child Development and Pedagogy PDF in Hindi Download

UPTET CTET Child Development and Pedagogy PDF in Hindi Download

आज विद्यादूत में UPTET CTET Child Development and Pedagogy PDF in Hindi Download टॉपिक पर लेख प्रस्तुत किया जा रहा है | यूपीटेट (UPTET) और सीटेट (CTET) से सम्बन्धित अन्य महत्वपूर्ण अध्ययन सामग्री (Study Material) एवं लेख आप विद्यादूत की UPTET Special केटेगरी में देख सकते है | उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) और केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) के पेपर प्रथम और द्वितीय के पाठ्यक्रम (सिलेबस) में बाल विकास और शिक्षण विधि अथवा बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र (Child Development and Pedagogy PDF in Hindi for CTET/UPTET) विषय अत्यंत उपयोगी है |

UPTET CTET Child Development and Pedagogy in Hindi PDF के इस लेख को Child Development and Pedagogy Objective Question Answer (MCQ) in Hindi PDF Download के रूप में प्रस्तुत किया गया है | जल्द आपको complete notes on child development and pedagogy study material notes टॉपिक पर भी लेख उपलब्ध कराया जायेगा |

CTET UPTET Child Development and Pedagogy Child Development इस लेख (CTET/UPTET Study Material Notes in Hindi) में अभ्यर्थियों को यूपीटीईटी की संरचना और विषयवस्तु की संक्षिप्त जानकारी भी दी गयी है |

यूपीटीईटी (UPTET) के दो पेपर होंगे | एक प्राथमिक स्तर का और दूसरा उच्च प्राथमिक स्तर का |

यूपीटीईटी का प्रथम पेपर (प्राथमिक स्तर) ऐसे अभ्यर्थियों के लिए है जो कक्षा-1 से कक्षा-5 तक के लिए शिक्षक बनना चाहते है |

जबकि द्वितीय पेपर (उच्च प्राथमिक स्तर) ऐसे अभ्यर्थियों के लिए होगा जो कक्षा-6 से कक्षा-8 तक के लिए शिक्षक बनना चाहते है |

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा अर्थात् उत्तर प्रदेश टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (यूपीटीईटी) के सभी प्रश्न बहुविकल्पीय (multiple choice) होंगे और परीक्षा की समयावधि 150 मिनट अर्थात् ढाई घंटा होगी | प्रत्येक पेपर में 150 प्रश्न आयेंगे और प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का होगा | इस प्रकार पूरा पेपर 150 अंक का होगा |

अभ्यर्थियों को ध्यान रखना है कि यूपीटीईटी परीक्षा के दोनों ही पेपर में नकारात्मक मूल्यांकन (negative marking) नही होगा |

यूपीटीईटी अर्थात् उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश, लखनऊ की इकाई ‘परीक्षा नियामक प्राधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रयागराज’ द्वारा किया जायेगा |

विद्यादूत में UPTET Exam 2021 से सम्बन्धित कुछ अन्य महत्वपूर्ण लेख भी उपलब्ध है जिन्हें आप नीचे देख सकते है –

UPTET CTET Notes in Hindi PDF Download विद्यादूत में इन लेखों पर भी अध्ययन सामग्री प्रस्तुत की गयी है –

  • शिक्षा मनोविज्ञान इन हिंदी पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड
  • शिक्षा शास्त्र नोट्स इन हिंदी
  • बाल विकास के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर पीडीऍफ़ 2021
  • बाल मनोविज्ञान पीडीऍफ़ इन हिंदी
  • बाल विकास प्रैक्टिस टेस्ट पीडीऍफ़ डाउनलोड
  • बाल विकास और शिक्षाशास्त्र के प्रश्न उत्तर पीडीऍफ़

यूपीटीईटी 2021 की संरचना और विषयवस्तु (UPTET 2021 Exam Pattern)

UPTET Exam Pattern 2021 Paper 1 – यूपीटीईटी 2021 के प्रथम प्रश्नपत्र प्राथमिक स्तर (कक्षा-1 से कक्षा-5) की संरचना और विषयवस्तु निम्न प्रकार है –

क्रम संख्याविषयवस्तुअंकप्रश्नों की संख्या
1बाल विकास और शिक्षण विधि3030
2भाषा प्रथम (हिन्दी)3030
3भाषा द्वितीय (संस्कृत/अंग्रेजी/उर्दू)3030
4गणित3030
5पर्यावरणीय अध्ययन3030
कुल150 अंक150 प्रश्न

UPTET Exam Pattern 2021 Paper 2 – यूपीटीईटी 2021 के द्वितीय प्रश्नपत्र उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा-5 से कक्षा-8) की संरचना और विषयवस्तु निम्न प्रकार है –

क्रम संख्याविषय सूचीअंक प्रश्नों की संख्या
1बाल विकास और शिक्षण विधि3030
2भाषा प्रथम (हिन्दी)3030
3भाषा द्वितीय (संस्कृत/अंग्रेजी/उर्दू)3030
4गणित/विज्ञान या सामाजिक अध्ययन6060
5कुल150150

CTET/UPTET Child Development and Pedagogy in Hindi

UPTET 2021 Syllabus Exam Pattern के अनुसार प्रथम प्रश्नपत्र (प्राथमिक स्तर) और द्वितीय प्रश्नपत्र (उच्च प्राथमिक स्तर) में बाल विकास और शिक्षण विधि (Child Development and Pedagogy) से 30 अंक के 30 बहुविकल्पीय प्रश्न आयेंगे | CTET & UPTET Study Material in Hindi PDF Download

बाल विकास का अर्थ है ‘बालक के विकास की प्रक्रिया’ | स्किनर के अनुसार ‘विकास एक सतत और क्रमिक प्रक्रिया है |’ बालक के विकास की प्रक्रिया जन्म से पहले ही गर्भ में ही शुरू हो जाती है | गर्भधारण से शिशु के जन्म तक की अवस्था गर्भावस्था (Prenatal Stage) मानी जाती है |

शिशु के जन्म के पश्चात शैशवावस्था (Infancy) आती है और उसके बाद बाल्यावस्था (Childhood) और फिर किशोरावस्था (Adolescence) आती है और अंत में पौढ़ावस्था (Adulthood) आती है |

बाल विकास के आधार (Foundations of Child Development)

बाल विकास के आधार का अर्थ उन तत्वों से है जिनके द्वारा विकास होता है | विकास के निम्नलिखित दो आधार है –

  1. वंशानुक्रम (Heredity)
  2. वातावरण (Environment)

बाल विकास के कारण (Causes of Child Development)

बालक के शारीरिक व मानसिक क्रियाओं के विकास के निम्नलिखित दो मुख्य कारण माने जाते है –

  1. परिपक्वता (Maturation)
  2. अधिगम (Learning)

परिपक्वता (Maturation) आंतरिक विकास की प्रक्रिया है | परिपक्वता का अर्थ व्यक्ति के आंतरिक अंगों का पौढ़ होना और उसके वंशानुगत गुणों का विकसित होना है |

बालक के शारीरिक अवयवों में नई क्रिया को सीखने (अधिगम) की क्षमता परिपक्वता के कारण उत्पन्न होती है |

अधिगम (Learning) को सामान्य भाषा में ‘सीखना’ कहते है | अधिगम जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है | वुडवर्थ (Woodworth) लिखते है कि “नये ज्ञान और नई प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया अधिगम की प्रक्रिया है |”

विकास की अवस्थाएं (Stages of Development)

विकास क्रम में मानव के शारीरिक व मानसिक के पक्ष में जो कुछ भी प्रगतिशील परिवर्तन होता है वह विकास (Development) कहलाता है | विकास की अवस्थाओं के विभिन्न सोपानों के विषय में विद्वानों में मतभेद देखने को मिलते है | सामान्य रूप से मानव विकास की अवस्थाओं को निम्न अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है –

  1. प्रारम्भिक बाल्यकाल – जन्म से 12 वर्ष की आयु तक
  2. पूर्व किशोरावस्था – 12 वर्ष से 16 वर्ष की आयु तक
  3. किशोरावस्था – 16 वर्ष से 21 वर्ष की आयु तक
  4. वयस्कावस्था – 21 वर्ष के बाद

विकास के पक्ष (Aspects of Development)

ऊपर बताई गयी विकास की प्रत्येक अवस्था में व्यक्ति के विकास को निम्न पक्षों में विभाजित किया जा सकता है | शिक्षा की दृष्टि से विकास के निम्न समस्त पक्षों का अत्यंत महत्व है, क्योकि बाल विकास की प्रक्रिया में इन पक्षों का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है |

  1. शारीरिक विकास (Physical Development)
  2. मानसिक विकास (Mental Development)
  3. सामाजिक विकास (Social Development)
  4. संवेगात्मक विकास (Emotional Development)
  5. चारित्रिक विकास (Character Development)

बाल विकास में होने वाले परिवर्तनों के प्रकार (Types of Changes in Child Development)

बालक के विकास में होने वाले परिवर्तन का सम्बन्ध उसके शरीर और मन से होता है | हरलॉक (Hurlock) ने विकास में होने वाले मुख्य परिवर्तनों को निम्न चार भागों में विभाजित किया है –

  1. आकार में परिवर्तन (Changes in Size)
  2. अनुपात में परिवर्तन (Changes in Proportion)
  3. पुरानी आकृतियों का लोप (Disappearance of Old Features)
  4. नई आकृतियों की प्राप्ति (Acquisition of New Features)

बाल विकास के सिद्धांत (Principles of Child Development)

मनोवैज्ञानिकों ने बालक के शारीरिक, मानसिक और अन्य प्रकार के विकास में होने वाले परिवर्तनों के अध्ययनों के आधार पर कुछ सिद्धांतों का सृजन किया है | इन सिद्धांतों को बाल विकास का सिद्धांत (Principles of child development) कहते है |

गैरिसन और अन्य (Garrison & Others) के अनुसार, “जब बालक विकास की एक अवस्था से दूसरी अवस्था में प्रवेश करता है तब हमें उसमे कुछ परिवर्तन देखने को मिलते है | अध्ययनों ने सिद्ध कर दिया है कि ये परिवर्तन निश्चित सिद्धांतों के अनुसार होते है | यही विकास का सिद्धांत कहलाते है |

बाल विकास के कुछ प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित है –

  1. सतत् विकास का सिद्धांत (Principle of Continuous Development)
  2. वैयक्तिक विभिन्नता का सिद्धांत (Principle of Individual Differences)
  3. परस्पर सम्बन्ध का सिद्धांत (Principle of Interrelation)
  4. विकास क्रम का सिद्धांत (Uniformity of Pattern)
  5. एकीकरण का सिद्धांत (Principle of Integration)
  6. विकास की दिशा का सिद्धांत (Principle of Development Direction)

बालक का सामाजिक विकास (Social Development of Child)

बालक के सामाजिक विकास का अर्थ बालक का समाजीकरण करना है | दूसरे शब्दों में सामाजिक विकास का अर्थ बालक में समाज के नियमों के अनुरूप व्यवहार करने की योग्यता का विकास है |

सामाजिकता के विकास से बालक में समायोजन की क्षमता पैदा होती है | हरलॉक (Hurlock) लिखते है कि “सामाजिक विकास का तात्पर्य सामाजिक अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवहार करने की योग्यता को प्राप्त करना है |”

बालक का समाजीकरण करने में परिवार, पड़ोस, खेल का मैदान, समुदाय, स्कूल, धर्म, सामाजिक व राजनीतिक संस्थाएं प्रमुख भूमिका निभाते है | बालक के जीवन में समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से शुरू होती है |

अधिगम के प्रमुख सिद्धांत (Theories OF Learning)

अधिगम के सिद्धांत के अंतर्गत अधिगम सम्बन्धी समस्याओं का व्यापक समाधान प्रस्तुत किया गया है | मनोवैज्ञानिकों या मनोवैज्ञानिक सम्प्रदाय द्वारा प्रस्तुत अधिगम सिद्धांतों में एकरुपता नही है |

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अधिगम के भिन्न-भिन्न सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है | हमे कुछ अधिगम सिद्धांतों में समानता तो कुछ में विभिन्नता दिखाई देती है |

अधिगम के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित है –

अधिगम सिद्धान्तप्रतिपादक
अनुकूलित प्रत्यावर्तन का सिद्धांत (Conditioned Reflex Theory)पावलाव
उद्दीपक-अनुक्रिया अनुबंध सिद्धांत (S-R Bond Theory)थार्नडाईक
सक्रिय अनुकूलन सिद्धांत (Operant Conditioning Theory)स्किनर
क्षेत्र सिद्धांत (Field Theory)लेविन
सबलीकरण सिद्धांत (Reinforcement Theory)हल
चिन्ह अधिगम सिद्धांत (Sign Learning Theory)टालमैन
सूझ का सिद्धांत (Insight Theory)कोहलर

अधिगम की प्रभावपूर्ण विधियाँ (Effective Methods of Learning)

अधिगम की प्रभावपूर्ण विधियों के द्वारा किसी विषय को तत्परता और सरलता से सीखा अथवा स्मरण किया जा सकता है | अधिगम की सफलता बहुत कुछ अधिगम की विधियों पर निर्भर है |

अधिगम की मुख्य प्रभावपूर्ण विधियाँ निम्नलिखित है –

  1. खण्ड अथवा पूर्ण विधि (Part or Whole Method)
  2. अविराम अथवा विराम विधि (Massed or Spaced Method)
  3. आकस्मिक अथवा संकल्पित विधि (Incidental or Intentional Method)

अधिगम की खण्ड विधि (Part Method of Learning)

अधिगम की खंड विधि में पाठ की विषयवस्तु को कई खण्डों में विभाजित करके अलग-अलग सीखना होता है | लेकिन यह विभाजन स्वाभाविक और तथ्य परक होना आवश्यक होता है | अधिगम की यह विधि विस्तृत और जटिल पाठों के लिए विशेष उपयोगी है |

अधिगम की पूर्ण विधि (Whole Method of Learning)

अधिगम की पूर्ण विधि में पाठ पूर्ण रूप से पढ़ा और सीखा जाता है | चूँकि इस विधि में पाठ को समग्र रूप में एक साथ बार-बार पढ़ा जाता है इसलिए छात्र पाठ की समस्त विषयवस्तु को सीख लेते है |

अधिगम की अविराम विधि (Massed Method of Learning)

अधिगम की अविराम विधि में अधिगमकर्ता बिना विश्राम किये अविराम गति से लगातार अधिगम करता रहता है | जब विषय सामग्री छोटी और सरल होती है तब अविराम विधि से सीखना (अधिगम) लाभप्रद होता है |

अधिगम की विराम विधि (Spaced Mehod of Learning)

अधिगम की विराम विधि में लगातार अधिगम न करके बीच-बीच में विराम या विश्राम देकर अधिगम किया जाता है | जब विषय सामग्री लम्बी और कठिन होती है तब विराम विधि से सीखना (अधिगम) लाभप्रद होता है |

अधिगम की आकस्मिक विधि (Incidental Method of Learning)

आकस्मिक अधिगम में व्यक्ति बिना किसी प्रयास और उद्देश्य से अधिगम कर लेता है | दूसरे शब्दों में आकस्मिक अधिगम में व्यक्ति प्रायः बिना किसी उद्देश्य के बहुत सी बातें बिना कोई प्रयास किये सीख लेता है |

अधिगम की संकल्पिक विधि (Intentional Method of Learning)

संकल्पित अधिगम में व्यक्ति अपनी रूचि, इच्छा व उद्देश्य से अधिगम करता है | संकल्पित अधिगम में अधिगमकर्ता अधिगम के लिए सक्रिय रूप से तत्पर रहता है | अधिगम की संकल्पित विधि में अधिगम अधिक स्थायी व लाभप्रद होता है |

Child Development and Pedagogy Objective Questions Answers (MCQ) PDF

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर इस प्रकार है –

प्रश्न 01. निम्नलिखित में से कौन सा अच्छे शिक्षण की विशेषता नही है ?

(1) सहानुभूतिपूर्ण (2) स्वेच्छाचारी (3) जनतांत्रिक (4) वांछनीय सूचनाएँ देने वाला

उत्तर. सभी प्रश्नों के उत्तर एक साथ नीचे दिए गये है |

प्रश्न 02. निम्नलिखित में से कौन सा संवेग का तत्व नही है ?

(1) व्यवहारात्मक (2) संज्ञानात्मक (3) दैहिक (4) संवेदी

प्रश्न 03. अभिप्रेरणा का प्रत्याशा सिद्धांत किसके द्वारा दिया गया है ?

(1) विक्टर ब्रूम (2) हर्जबर्ग (3) मास्लो (4) स्किनर

प्रश्न 04. सूक्ष्म शिक्षण चक्र का प्रथम पद होता है ?

(1) प्रतिपुष्टि (2) योजना बनाना (3) शिक्षण (4) प्रस्तावना

प्रश्न 05. इनमे से व्कौं मनोवैज्ञानिक भाषा विकास से संबद्ध है ?

(1) पावलाव (2) चामस्की (3) बिने (4) मास्लो

प्रश्न 06. क्रियाप्रसूत अनुबंधन का दूसरा नाम क्या है ?

(1) समीपस्थ अनुबंधन (2) प्राचीन अनुबंधन (3) नैमित्तिक अनुबंधन (4) चिन्ह अनुबंधन

प्रश्न 07. निम्नलिखित में से कौन सा अधिगम के पठार का कारण नही है ?

(1) प्रेरणा की सीमा (2) शारीरिक सीमा (3) विद्यालय का असहयोग (4) ज्ञान की सीमा

प्रश्न 08. स्टेनफोर्ड-बिने परीक्षण मापन करता है ?

(1) व्यक्तित्व का (2) बुद्धि का (3) पढने की दक्षता का (4) उपर्युक्त में से कोई नही

प्रश्न 09. निम्नलिखित में से कौन सा सीखने के मुख्य नियमों में शामिल नही है ?

(1) प्रभाव का नियम (2) तत्परता का नियम (3) अभ्यास का नियम (4) बहु-अनुक्रिया का नियम

प्रश्न 10. अन्तर्मुखी व्यक्तित्व और बहिर्मुखी व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसने किया है ?

(1) फ्रायड (2) युंग (3) मन (4) आलपोर्ट

प्रश्न 11. सीखने की वह अवधि, जब सीखने की प्रक्रिया में कोई उन्नति नही होती, क्या कहलाती है ?

(1) सीखने का वक्र (2) सीखने का पठार (3) स्मृति (4) अवधान

प्रश्न 12. गोलमैन निम्न में से किससे सम्बन्धित है ?

(1) संवेगात्मक बुद्धि (2) सामाजिक बुद्धि (3) आध्यात्मिक बुद्धि (4) सामान्य बुद्धि

प्रश्न 13. मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला को किसने स्थापित किया था ?

(1) डब्ल्यू वुण्ट (2) पावलाव (3) सिगमंड (4) वाटसन

प्रश्न 14. क्रोध व भय प्रकार है –

(1) अभिप्रेरणा (2) परिकल्पना (3) मूलप्रवृत्ति (4) संवेग

प्रश्न 15. मानव व्यक्तित्व के मनो-लैंगिक विकास को निम्नलिखित में से किसने महत्व दिया था ?

(1) कमेनियस (2) हॉल (3) फ्रायड (4) हालिंगवर्थ

प्रश्न 16. अंतर्दृष्टि (सूझ) द्वारा सीखने के सिद्धांत में कोहलर ने प्रयोग किया था ?

(1) वनमानुष पर (2) चूहे पर (3) बिल्ली पर (4) कुत्ते पर

प्रश्न 17. मनोविज्ञान का शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा योगदान है –

(1) विषय केन्द्रित शिक्षा (2) क्रिया केन्द्रित शिक्षा (3) शिक्षक केन्द्रित शिक्षा (4) बाल केन्द्रित शिक्षा

प्रश्न 18. कक्षा शिक्षण में पाठ प्रस्तावना सोपान सीखने के किस नियम पर आधारित है ?

(1) प्रभाव का नियम (2) सादृश्यता का नियम (3) तत्परता का नियम (4) साहचर्य का नियम

प्रश्न 19. मैस्लो ने अभिप्रेरणा का वर्गीकरण किया है –

(1) स्वाभाविक और कृत्रिम (2) कम महत्वपूर्ण और अधिक महत्वपूर्ण (3) जन्मजात और अर्जित (4) अभिप्रेरणा और प्रलोभन

प्रश्न 20. अभिप्रेरणा के मूलप्रवृत्ति सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया है ?

(1) मैकडुगल (2) फ्रायड (3) हल (4) मेसलो

UPTET/CTET Child Development and Pedagogy PDF in Hindi : Answer

उत्तर 01. (2) स्वेच्छाचारी

उत्तर 02. (4) संवेदी

उत्तर 03. (1) विक्टर ब्रूम | अभिप्रेरणा का प्रत्याशा सिद्धांत वर्ष 1964 में विक्टर ब्रूम ने प्रतिपादित किया था |

उत्तर 04. (2) योजना बनाना | सूक्ष्म शिक्षण चक्र का प्रथम पद योजना बनाना है | ए. डब्लू. एलन को सूक्ष्म शिक्षण का प्रतिपादक माना जाता है |

उत्तर 05. (2) चामस्की | नोआम चामस्की भाषा विकास से सम्बन्धित मनोवैज्ञानिक है | चामस्की ने जेनेरेटिव ग्रामर (प्रजनक व्याकरण) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था | चामस्की बीसवी सदी के भाषाविज्ञान में सबसे बड़े योगदानकर्ता के रूप में जाने जाते है |

उत्तर 06. (3) नैमित्तिक अनुबंधन | क्रियाप्रसूत अनुबंधन का दूसरा नाम नैमित्तिक अनुबंधन है | क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत (Operant Conditioning Theory) का प्रतिपादन अमेरिका के मनोवैज्ञानिक बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) ने किया था | स्किनर के प्रयोग (क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत) में चूहा पुरस्कार प्राप्त करने के लिए लीवर को ऑपरेट करता है | इसीलिए इस अधिगम को नैमित्तिक अधिगम (Instrumental Conditioning) कहते है |

उत्तर 07. (3) विद्यालय का असहयोग

उत्तर 08. (2) बुद्धि का | स्टेनफोर्ड-बिने परीक्षण बुद्धि का मापन करता है |

उत्तर 09. (4) बहु-अनुक्रिया का नियम | थार्नडाइक ने सीखने के तीन मुख्य नियम – तत्परता का नियम, अभ्यास का नियम और प्रभाव का नियम – बताया है |

उत्तर 10. (2) युंग | अन्तर्मुखी व्यक्तित्व, बहिर्मुखी व्यक्तित्व और उभयमुखी व्यक्तित्व का वर्गीकरण युंग ने किया है |

उत्तर 11. (2) सीखने का पठार | सीखने की वह अवधि, जब सीखने की प्रक्रिया में कोई उन्नति नही होती, सीखने का पठार कहलाती है ?

उत्तर 12. (1) संवेगात्मक बुद्धि | गोलमैन का सम्बन्ध संवेगात्मक (Emotional Intelligence) से है |

उत्तर 13. (1) डब्ल्यू वुण्ट | विलहेल्म वुण्ट ने जर्मनी के लिपजिंग विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला स्थापित किया था | विलहेल्म वुण्ट (Wilheham Wundt) ने मनोविज्ञान को चेतना के विज्ञान (Science of Consciousness) के रूप में परिभाषित किया था |

उत्तर 14. (4) संवेग | क्रोध व भय संवेग के प्रकार है |

उत्तर 15. (3) फ्रायड | मनोविश्लेषण के प्रतिपादक सिगमंड फ्रायड ने मनोलैंगिक विकास की 5 अवस्थाओं को बताया है | ये 5 अवस्थाएं है –

1मौखिक अवस्था
2गुदा अवस्था
3लैगिक अवस्था
4अदृश्यवस्था
5जननेन्द्रियावस्था

उत्तर 16. (1) वनमानुष पर | जर्मन मनोवैज्ञानिक वॉल्फगैंग कोहलर ने 1925 में सूझ/अंतर्दृष्टि सिद्धांत का प्रतिपादन किया था | इस सिद्धांत का विवरण कोहलर ने ‘दि मेंटलिटी ऑफ़ एप्स’ नामक अपनी पुस्तक में दी है | कोहलर को ‘सुल्तान’ नामक वनमानुष पर किये गये अपने प्रयोग से विशेष ख्याति मिली थी | कोहलर ने सुल्तान पर दो प्रयोग किये थें – 1. छड़ी का प्रयोग 2. बॉक्स का प्रयोग

उत्तर 17. (4) बाल केन्द्रित शिक्षा

उत्तर 18. (3) तत्परता का नियम

उत्तर 19. (3) जन्मजात और अर्जित | मैस्लो ने अभिप्रेरणा को दो भागों में विभाजित किया है – जन्मजात अभिप्रेरणा और अर्जित अभिप्रेरणा | जन्मजात अभिप्रेरणा में भूख, प्यास, नींद, दर्द आदि आते है जबकि अर्जित अभिप्रेरणा में रूचि, प्रतिष्ठा, आदत आदि आते है |

उत्तर 20. (1) मैकडुगल | अभिप्रेरणा के मूलप्रवृत्ति सिद्धांत का प्रतिपादन वर्ष 1908 में विलियम मैकडुगल ने किया था |

अभिप्रेरणा के सिद्धांतप्रतिपादक
मूलप्रवृत्ति सिद्धांत (Instinct Theory)विलियम मैकडुगल (William McDougall)
मनो-विश्लेषणात्मक सिद्धांत (Psycho Analytic Theory)सिगमंड फ्रायड (Sigmund freud)
लक्ष्य निर्धारण सिद्धांत (Goal Setting Theory)लॉक और लेथम (Goal Setting Theory)
अंतर्नोद ह्रास सिद्धांत (Drive Reduction Theory)क्लार्क लियोनार्ड हल (Clark Leonard Hull)
आवश्यकता पदानुक्रम सिद्धांत (Need Heirarchy Theory)अब्राहम मेसलो (Abraham Maslow)

ये भी देखें –

  1. UGC NET SPECIAL
  2. UP PGT TGT SPECIAL
  3. RO ARO SPECIAL
  4. UPSC SPECIAL
  5. UPSSSC SPECIAL
  6. UPTET SPECIAL

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