हड़प्पा सभ्यता का राजनीतिक संगठन

Political Organization of the Harappan Civilization in Hindi

हड़प्पा सभ्यता का राजनीतिक संगठन (Political Organization of the Harappan Civilization) : वर्तमान समय में यह बता पाना अत्यन्त कठिन (लगभग असम्भव) कार्य है कि हड़प्पा सभ्यता के शासक कौन थे, सम्भव है कि वे राजा रहे हो या पुरोहित या व्यापारी | लेकिन हड़प्पा सभ्यता की सांस्कृतिक एकता पर ध्यान देने पर यह अवश्य अनुभव होता है कि ऐसी एकता किसी केन्द्रित सत्ता के बिना सम्भव नही हो सकती थी |

हड़प्पा सभ्यता के राजनीतिक संगठन के विषय में निश्चित व स्पष्ट रूप से कह पाना आसान नही है | कुछ विद्वान मानते है कि हड़प्पा सभ्यता का सम्पूर्ण क्षेत्र एक राजधानी द्वारा शासित होता था | साथ ही उसके कुछ प्रादेशिक प्रशासन-केन्द्र थें या उसके प्रान्तों की राजधानियां थी |

जबकि कुछ विद्वानों का यह भी कहना है कि हड़प्पा सभ्यता का सम्पूर्ण क्षेत्र कई स्वतंत्र राज्यों, रजवाड़ों में विभाजित था और उनमे से हर एक की अलग राजधानी थी, उदाहरणार्थ पंजाब में हड़प्पा, सिन्ध में मोहनजोदड़ो, गुजरात में लोथल, राजस्थान में कालीबंगन |

ऐसा माना जाता है (अनुमान के आधार पर) कि हड़प्पाई समाज तीन वर्गो में विभाजित था | पहला सम्पन्न विशिष्ट वर्ग था, जो नगर-दुर्ग में निवास करता था | इस वर्ग में शासक, राजपरिवार और विशिष्ट लोग रहते थे | दूसरा मध्यम वर्ग था जो सुख-सुविधा सम्पन्न था और तीसरा वर्ग अपेक्षाकृत कुछ कमजोर और सुविधाहीन था | ये दोनों वर्ग नगर के निचले भाग में रहते थे |

कुछ श्रमिको और शिल्पियों के वर्ग नगर से बाहर बस्तियाँ बनाकर भी रहते थे | हड़प्पा सभ्यता में दास-प्रथा का अस्तित्व था कि नही इस पर कुछ निश्चित नही कहा जा सकता |

प्रोफेसर आर.एस.शर्मा लिखते है कि “दास-प्रथा हड़प्पा-सभ्यता की अर्थव्यवस्था और दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण अंग थी, इस सिद्धांत की पुष्टि के लिए समुचित साक्ष्य नही है मिलता | प्राचीन मानदंडों से मूल्यांकन करने पर दो कोठरीवाले छोटे-छोटे मकानों को अनिवार्यतः कुली-आवास नही समझना चाहिए, क्योकि अब भी एक औसत भारतीय परिवार की जरुरत पूरी करने के लिए, जो ज्यादातर बाहर काम करते है, इतनी जगह काफी है |”

अभी तक यह स्पष्ट रूप से पता नही चल पाया है कि हड़प्पाई समाज का यह विभाजन मात्र आर्थिक घटकों पर आधारित था या इसका कोई सामाजिक-धार्मिक आधार भी था |

विद्वानों के अनुसार हड़प्पाई शासकों का ध्यान युद्ध और विजय की और इतना नही था जितना ध्यान वाणिज्य की और था और सम्भवतः हड़प्पा का शासन वणिक्-वर्ग द्वारा शासित था | यह ध्यान देने योग्य बात है कि हड़प्पा सभ्यता में अस्त्र-शस्त्र का अभाव है |

चूकिं हड़प्पा सभ्यता में कोई बड़े महल नही मिले है इसलिए कुछ विद्वानों का तर्क है कि यहाँ के नगरों में शासन राजा नही चलाते थे बल्कि कुछ महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नागरिकों का समूह शासन की बागडोर अपने हाथ में रखता था |

हड़प्पा सभ्यता में मिस्र व मेसोपोटामिया की सभ्यताओं के विपरीत किसी भी स्थल से मन्दिर नही पाया गया है | साथ ही किसी भी प्रकार का कोई धार्मिक भवन भी नही प्राप्त हुआ है | यद्यपि इस बात का अपवाद मोहनजोदड़ो से प्राप्त विशाल स्नानागार हो सकता है, जिसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठान के अंतर्गत शुद्धि (नहाने-धोने) के लिए किया जाता रहा होगा |

हड़प्पा सभ्यता के लोथल स्थल (गुजरात) से हमे अग्नि-पूजा की परपरा का साक्ष्य मिलता है लेकिन इसके लिए वें मन्दिरों का उपयोग नही करते थें |

हड़प्पा सभ्यता के कालीबंगन स्थल (राजस्थान) में ऐसा लगता है कि पुरोहित वर्ग दुर्ग के ऊपरी भाग में निवास करते थें और निचले भाग में स्थित अग्नि-वेदिकाओं पर धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न होते थें |

हड़प्पा संस्कृति में हमे धार्मिक विश्वासों व आचारों में एकरूपता नही दिखती है | इसलिए यह कह पाना सम्भव नही है कि हड़प्पा सभ्यता में पुरोहितों का वैसा ही शासन और प्रभुत्व था, जैसा की निचले मेसोपोटामिया के नगरों में था |

नगर के बाहर स्थित गाँवों में कृषक-परिवार रहते थे, जो कृषि-कर्म के साथ-साथ पशुपालन भी करते थे | नगर के निवासी, जो व्यापार और वाणिज्य के कार्य में संलग्न थे, अपने जीवन-निर्वाह के लिए इन किसानों के अधिशेष-उत्पादन पर निर्भर थे |

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  1. हड़प्पा सभ्यता की उदभव, क्षेत्रफल और सीमाएं
  2. हड़प्पा सभ्यता का कालक्रम
  3. हड़प्पा सभ्यता का नामकरण
  4. हड़प्पा सभ्यता में कृषि व पशुपालन
  5. सिन्धु सभ्यता की नगर योजना प्रणाली
  6. सिन्धु सभ्यता का धार्मिक जीवन
  7. सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन