हड़प्पा सभ्यता का कालक्रम (Chronology of Harappan Civilization) : आज हड़प्पा सभ्यता का कालक्रम बहुत हद तक इसके विभिन्न स्थलों की रेडियो-कार्बन तिथियों पर आधारित है |
हड़प्पा सभ्यता कांस्य युग की है | प्रथम सभ्यताओं के विकास में कांसे के महत्व के परिणामस्वरूप प्रथम सभ्यताओं का युग (काल) कांस्य युग (Bronze Age) कहलाता है तथा ये सभ्यताएँ कांस्य-युगीन सभ्यताएँ कहलाती है |
रेडियो कार्बन (कार्बन-14) विधि के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का काल-निर्धारण निम्न प्रकार किया गया है –
परिपक्व-हड़प्पा का काल | लगभग 2600-1900 ई.पू. |
पूर्व-हड़प्पा का काल | लगभग 3500-2600 ई.पू. |
उत्तर-हड़प्पा का काल | लगभग 1900-1300 ई.पू. |
पाठकों को बता दे कि रेडियो कार्बन विधि के द्वारा हजारों वर्ष पुरानी कार्बनिक वस्तु के काल का पता लगाना सम्भव है | जीवित जीव और पौधें अपने आस-पास के वातवरण से कार्बन (जिसमे कार्बन-14 या 14-C भी मौजूद रहता है, जो एक रेडियोधर्मी तत्व है) ग्रहण करते रहते है | जीवों और पौधों के मरने के बाद इस कार्बन की मात्रा कम होने लगती है | इस प्रकार कार्बन की मात्रा से अवशेषों की पुरातनता का पता लगाया जा सकता है |
पूर्व-हड़प्पा काल में पहाड़ों और मैदानों में बहुत सी बस्तियां स्थापित हुई | इसी समय बड़ी संख्या में गॉव आबाद हुए | इस काल में तांबा, चाक और हल का प्रयोग करके अनेक प्रकार के मिटटी के अदभुत बर्तन बनाये जाते थे |
यह अत्यधिक रोचक और महत्वपूर्ण बात है कि सम्पूर्ण हड़प्पा-सभ्यता में मिटटी के बर्तनों में एकरूपता मिलती है |
परिपक्व-हड़प्पा काल में सुनियोजित ढंग से बड़े नगरों का उदय हुआ, सुदूर स्थानों के साथ व्यापार, मुहरें, मृदभांड (मिटटी के बर्तन), बाँट, ईटें आदि में एकरुपता आदि |
उत्तर-हड़प्पा काल में अनेक हड़प्पाई नगरों से आबादी खत्म हो गयी, नगरीय जीवन का ह्रास, शिल्प और मिटटी के बर्तन की परम्परा बरकरार रही |
मार्शल ने हड़प्पा सभ्यता का काल 3250-2750 ई.पू. माना है | व्हीलर ने इसका काल 2500-1500 ई.पू. माना है | एम.एस.वत्स ने 3500-2700 ई.पू., फेयर सर्विस ने 2000-1500 ई.पू. और मैके ने इसका काल 2800-2500 ई.पू. माना है |
हड़प्पा पुरातत्व का कालक्रम
1826 ईस्वी | हड़प्पा के टीले का सबसे पहले चार्ल्स मैसन ने उल्लेख किया | |
1853 ईस्वी | अलेक्जेंडर कनिंघम को हड़प्पा सभ्यता की मुहर प्राप्त हुई | |
1921 ईस्वी | दयाराम सहनी ने हड़प्पा स्थल में उत्खनन आरम्भ किया | |
1922 ईस्वी | राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो स्थल में सिन्धु संस्कृति की खोज की | |
1926-31 ईस्वी | मोहनजोदड़ो में मैके महोदय द्वारा अतिरिक्त खुदाई करवाई गयी | |
1931 ईस्वी | मोहनजोदड़ो स्थल में इस वर्ष तक खुदाई जारी रही | |
1935 ईस्वी | मैके महोदय द्वारा चन्हुदड़ो का उत्खनन कराया गया |
1946 ईस्वी | मार्टिमर व्हीलर के निर्देशन में उत्खनन कार्य | पुरातात्विक महत्व की अनेक वस्तुएं प्राप्त | |
स्वतंत्रता पश्चात का काल | सूरज भान, जे.पी. जोशी, आर.एस. बिष्ट, बी.बी. लाल, बी.के. थापर, एस.आर. राव, और अन्य ने हड़प्पा सभ्यता और उससे सम्बद्ध स्थलों की खुदाई की | |
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