सिंधु सभ्यता के हड़प्पा स्थल की विशेषताएं

Hadappa Sthal Ki Visheshtayen

हड़प्पा स्थल की विशेषताएं (Hadappa Sthal Ki Visheshtayen) : सिंधु सभ्यता का हड़प्पा स्थल वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मोन्टगोमरी जिले (वर्तमान शाहीवाल जिले) में रावी नदी के तट पर स्थित है | हड़प्पा स्थल के टीले के विषय में सर्वप्रथम जानकारी 1826 ई. चार्ल्स मैसन (Charles Masson) ने दी थी | लेकिन किसी ने उनकी बातों पर ज्यादा गम्भीरता नही दिखाई थी | 1856 ई. में जब जान ब्रंटन और विलियम ब्रंटन लाहौर और मुल्तान के बीच रेलवे लाइन बिछवा रहे थे तब दुर्भाग्य से उन्होंने इस गुमनाम सभ्यता के भग्नावशेषों की ईटों को रोड़ियों के रूप में रेलवे लाइन पर बिछवा दी थी | इसी समय इस गुमनाम सभ्यता के प्रथम अवशेष प्राप्त हुए थे |

1921 ई. में सर जॉन मार्शल, जो उस समय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक थे, के निर्देशन में रायबहादुर दयाराम साहनी ने इस स्थल का पुनः अन्वेषण करके उत्खनन कार्य शुरू किया | पाठकों को जानना आवश्यक है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India-A.S.I) की स्थापना 1861 ई. में सर अलेक्जेंडर कन्निघम द्वारा तत्कालीन वायसराय कैनिंग की सहायता से की थी | पुरातत्वशास्त्री जॉन मार्शल 1902 ई. से 1928 तक इसके महानिदेशक रहे | वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातत्वीय अनुसन्धान तथा संरक्षण के लिए एक प्रमुख संगठन है | 

हड़प्पा नगर की संरचना पांच किमी. के घेरे में फैली हुई है | हड़प्पा से पूर्वी टीला (निचला नगर) और पश्चिमी टीला (ऊचाँ दुर्ग) प्राप्त हुए है | कुछ विद्वानों के अनुसार शासको के लिए अलग ऊचाँ दुर्ग और साधारण लोगो के लिए निचला नगर होता था |

दुर्ग टीले को मार्टीमर व्हीलर ने ‘माउन्ड ए-बी’ (Mound A-B) का नाम दिया है | दुर्ग को चारो ओर से एक सुरक्षा दीवार से घेरा गया था |

हड़प्पा के दुर्ग के बाहर उत्तर दिशा में एक ऊचाँ टीला मिला है, जिसे ‘माउन्ड-एफ’ (Mound-F) कहा गया है | यहाँ पर अन्नागार, अनाज कूटने के गोल चबूतरे तथा श्रमिक-आवास मिले है |

हड़प्पा के दुर्ग के बाहर, दक्षिण दिशा में एक कब्रिस्तान मिला है जिसे ‘समाधि आर-37’ कहा गया है | इसी के पास ही (दुर्ग के बाहर ही) एक अन्य समाधि मिली है जिसे ‘समाधि-एच’ कहा गया है, लेकिन यह हड़प्पा सभ्यता के बाद के काल की मानी जाती है |

हड़प्पा से प्राप्त एक कब्र में शव को लकड़ी की पेटी में रखकर दफनाया गया था | यद्यपि लकड़ी की पेटी नष्ट हो चुकी थी तथापि उत्खनन में इसके साक्ष्य मिट्टी पर धब्बे के रूप में प्राप्त हुए है | विद्वानों के अनुसार यह शव किसी विदेशी का है |

हड़प्पा में मोहनजोदड़ो के समान विशाल भवनों के अवशेष नही मिलते है | हड़प्पा में सोने के मनकों से बना एक हार मिला है | यहाँ से एक कांसे ओर एक मिट्टी की गाड़ी का मॉडल मिला है | यहाँ से पत्थर और मिट्टी के बने पांसे मिले है |

विद्वानों के अनुसार हड़प्पा में निवासीयों का एक बड़ा भाग खाद्य-उत्पादन से भिन्न अन्य क्रिया-कलापों में संलग्न था, ये लोग अपने लिए अन्न का उत्पादन नही कर रहे थे | उनका मानना है कि वे व्यापार, प्रशासनिक कार्य, धर्म आदि क्षेत्रों में संलग्न होंगे |

हड़प्पा से एक मूर्ति मिली है जो स्लेटी चूने-पत्थर से निर्मित धड़ है | यह मूर्ति नृत्य की मुद्रा में है, जिसका सिर व भुजाएँ नष्ट हो चुके है | इस मूर्ति के गले व कन्धों में छेद है | ऐसा लगता है कि इसमे सिर व भुजाएँ अलग से बनाकर जोडें गये थे | इस मूर्ति की नृत्य-मुद्रा को देखकर मार्शल कहते है कि यह शिव-नटराज की आकृति है |

हड़प्पा से एक लाल-बलुआ पत्थर की मूर्ति प्राप्त हुई है | पूर्णतया नग्न युवा पुरुष की इस मूर्ति का मात्र धड़ ही बचा है | इसका स्वस्थ्य शरीर अत्यंत सजीव एवं स्वाभाविक रूप से गठित है | इस नग्न युवा पुरुष की मूर्ति के गले एवं दोनों कन्धों में छेद है | ऐसा लगता है कि सिर व भुजाएँ अलग से बनाकर जोड़े गये थे, जो नष्ट हो गये होंगे | कुछ विद्वान इस नग्न युवा पुरुष मूर्ति की तुलना जैन तीर्थंकरों की कायोत्सर्ग मुद्रा के प्राचीन रूप से करते है |

हड़प्पा स्थल की विशेषताएं (Hadappa Sthal Ki Visheshtayen)

सिंधु सभ्यता के हड़प्पा स्थल से प्राप्त कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है –

  1. हड़प्पा स्थल की खोज वर्ष 1921 में जॉन मार्शल की अध्यक्षता में दयाराम साहनी ने की थी |
  2. सिन्धु सभ्यता के हड़प्पा स्थल में, मोहनजोदड़ो स्थल के विपरीत, नारी मूर्तियों की तुलना में पुरुष मूर्तियाँ अधिक प्राप्त हुई है |
  3. मोहनजोदड़ो स्थल के विपरीत हड़प्पा स्थल का अन्नागार दुर्ग के बाहर अवस्थित था |
  4. हड़प्पा स्थल से प्राप्त एक मुद्रा पर उल्टा खड़ी एक नग्न स्त्री का चित्रण मिला है, जो अपना पैर बाहर की ओर फैलाये है और जिसके गर्भ से एक पौधा निकलता हुआ दिखाया गया है | इस मुद्रा के पृष्ठ भाग में एक पुरुष हाथ में हंसिया लिए हुए दिखाया गया है साथ ही कुछ स्त्रियाँ जमीन पर विनीत मुद्रा में बैठी हुई है |
  5. हड़प्पा से प्राप्त एक मृण्मूर्ति में स्त्री के गर्भ से एक पौधा निकलता हुआ दिखाया गया है | कुछ विद्वान इसे ‘पृथ्वी-देवी’ (Earth-Goddess) की मूर्ति मानते है |
  6. हड़प्पा से एक स्लेटी चूने पत्थर की नृत्य मुद्रा वाली मूर्ति मिली है, जिसकी तुलना नटराज से की जाती है |
  7. हड़प्पा से वृत्ताकार चबूतरें प्राप्त हुए है, जिन पर अनाज कूटा जाता था | इन वृत्ताकार चबूतरों की संख्या 18 है |
  8. हड़प्पा से छोटी-छोटी 23 मुद्राएँ प्राप्त हुई है जिन पर एक सा लेख है | सम्भव है कि इनका उपयोग ताबीज के रूप में होता होगा |
  9. हड़प्पा से प्राप्त एक मुद्रा पर खरगोश का अंकन मिला है |
  10. यहाँ से एक तांबे का पैमाना (स्केल) प्राप्त हुआ है |
  11. हड़प्पा से एक लाल बलुए पत्थर का धड़ प्राप्त हुआ है, जिसके कंधे व गले में छेद है |
  12. इस स्थल से तांबे की बनी एक इक्कागाड़ी मिली है | इस इक्कागाड़ी के पहिये ठोस है और इसपर एक छतरी बनी है |
  13. हड़प्पा से प्राप्त एक मुद्रा पर पैर में सर्प को दबोचे गरुड़ का चित्रण है |
  14. हड़प्पा स्थल से गधे की हड्डियां प्राप्त हुई है |
  15. हड़प्पा से एक प्रसाधन केस (वैनिटी केस) प्राप्त हुआ है |
  16. हड़प्पा से एक मूर्ति मिली है जिसमे एक कुत्ता मुंह में खरगोश दबाये है |
  17. हड़प्पा से प्राप्त एक मृण्मूर्ति में एक काल्पनिक पशु की एक ही गर्दन से दो सिर लगे है |

ये भी देखें – इतिहास के सभी लेख | शिक्षाशास्त्र के सभी लेख | दर्शनशास्त्र के सभी लेख | समाजशास्त्र के सभी लेख | अर्थशास्त्र के सभी लेख

हड़प्पा सभ्यता के अन्य लेख भी देखें –

  1. हड़प्पा सभ्यता की उदभव, क्षेत्रफल और सीमाएं
  2. हड़प्पा सभ्यता का कालक्रम
  3. हड़प्पा सभ्यता का नामकरण
  4. हड़प्पा सभ्यता में कृषि व पशुपालन
  5. सिन्धु सभ्यता की नगर योजना प्रणाली
  6. सिन्धु सभ्यता का धार्मिक जीवन
  7. सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन