हड़प्पा सभ्यता की परवर्ती भारतीय संस्कृति को देन

Hadappa Sabhyata Ki Parvarti Bharatiya Sanskruti Ko Den

हड़प्पा सभ्यता की परवर्ती भारतीय संस्कृति को देन (Hadappa Sabhyata Ki Parvarti Bharatiya Sanskruti Ko Den) : सिन्धु या हड़प्पा सभ्यता कांस्ययुगीन नगरीय सभ्यता थी | भारत के इतिहास में नगरों का प्रादुर्भाव सबसे पहले हड़प्पा सभ्यता में ही हुआ था | परवर्ती भारतीय सभ्यता के अधिकतर तत्वों का मूल हमे हड़प्पा सभ्यता में दिखाई देता है | यद्यपि हड़प्पा सभ्यता का पतन 1300 ईसा पूर्व के आसपास हो चुका था, फिर भी हड़प्पा सभ्यता में विकसित अनेको सांस्कृतिक विशेषताएं आज भी हमारे दैनिक सांस्कृतिक व भौतिक जीवन में दिखाई देती है |

वर्तमान भारतीय सभ्यता के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, कलात्मक पक्षों का आदि रूप हमें हड़प्पा सभ्यता में दिखाई देता है | मार्शल लिखते है कि हिन्दू धर्म के मुख्य तत्वों का आदि रूप हमे हड़प्पा सभ्यता के धर्म में प्राप्त हो जाता है |

बहुदेववाद हड़प्पा-सभ्यता की ही देन है | यहाँ की अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बहुदेववाद की और संकेत करती है |

शिव-पशुपति जैसे देवता की उपासना हड़प्पा सभ्यता की ही देन लगती है |

सिन्धु या हड़प्पा सभ्यता में कूबड़ वाले बैल का अत्यधिक महत्व था, ऐतिहासिक काल में शिव के वाहन नंदी को विशेष धार्मिक महत्व दिया गया |

पशु-पूजा और वृक्ष-पूजा इसी सभ्यता की देन है | वृक्ष-पूजा के अंतर्गत पीपल की पूजा इसी सभ्यता की देन है |

हड़प्पाई मुहर पर पशु-बलि और मानव-बलि का अंकन मिलता है | ऐतिहासिक काल में ये दोनों प्राथाएं देखने को मिलती है |

लिंग-योनी की पूजा इसी सभ्यता की देन है |

स्वस्तिक का निशान इसी सभ्यता की देन है | वर्तमान में हिन्दुधर्म, बौद्धधर्म और जैनधर्म में स्वस्तिक एक पवित्र प्रतीक माना जाता है |

हड़प्पा सभ्यता में मातृदेवी की पूजा ऐतिहासिक काल की शक्ति-पूजा में दिखती है |

योग सम्बन्धी मृण्मूर्तियों से पता लगता है कि योगा इसी सभ्यता की देन है |

मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार को देखकर सम्भवना प्रकट की जाती है कि जल का धार्मिक महत्व इसी सभ्यता की देन है |

हड़प्पावासी वृक्ष, पशु और मानव-स्वरूप में देवताओं की उपासना करते थे | ऐतिहासिक काल में भी ऐसा देखने को मिलता है |

यहाँ अर्ध-मानवीय देवता की पूजा के भी साक्ष्य मिलते है | ऐतिहासिक काल में हिन्दुधर्म में भगवान गणेश का सिर हाथी और शरीर मानव का माना

गया |

यहाँ से बड़ी संख्या में ताबीज मिले है | ऐतिहासिक काल में भी ताबीजों का प्रयोग मानव बड़ी संख्या में करते है |

हड़प्पा से मिली नग्न युवा पुरुष की मूर्ति की तुलना जैन तीर्थंकरों की कायोत्सर्ग मुद्रा के प्राचीन रूप से की जाती है |

आधुनिक भारत की बैलगाड़िया और नावें हड़प्पाई लोगो द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बैलगाड़ियों और नावों के समान ही है |

इस सभ्यता के आभूषण जैसे मनके के हार, चूड़ियाँ, अंगुठियां, कंघे, लिपस्टिक आदि ऐतिहासिक काल में भी प्रचलित रहे | नौशारो स्थान पर स्त्रियों की कुछ ऐसी मृण्मूर्तियां प्राप्त हुई है जिनकी मांग में आजकल की हिन्दू विवाहित स्त्रियों की भांति सिंदूर लगा हुआ है |

पांसे और शतरंज के खेल का प्रारम्भ इसी सभ्यता से हुआ माना जाता है |

यहाँ से मिट्टी के बने मुखौटे (mask) भी मिले है, जिससे पता चलता है कि नाटक के मंचन का आरम्भ यही से हुआ है |

आधुनिक समय में भारतीय कुम्हार का चाक बनाने की प्रविधि हड़प्पाई लोगो द्वारा अपनाई गयी प्रविधि के समान ही है |

इस सभ्यता में बाट तौल में 16 या उसके आवर्तको का प्रयोग होता था | सोलह के अनुपात की यह परम्परा आधुनिक काल में पचास के दशक तक प्रचलित रही |

माप के निशान वाले डंडे मिले है जो आधुनिक स्केल (scale) का प्राचीन रूप माना जाता है |

शवों के दफ़नाने की प्रथा में शव का सिर आमतौर पर उत्तर दिशा में रखा जाता था | आज भी हिन्दु धर्म में शव का सिर उत्तर दिशा की ओर रखने की प्रथा है |

शवों के पास मिली सामग्रियों से पता चलता है कि ये आत्मा और पुनर्जन्म में विश्वास करते थे | यह विश्वास आज भी हिन्दुधर्म में प्रचलित है |

हवनकुंड के रूप में उपयोग की जाने वाली अग्नि-वेदिकाएं हड़प्पा काल में पाई गयी है |

हडप्पा सभ्यता में पाया ‘कमण्डलु’ आधुनिक भारत में साधु व सन्यासी एक पवित्र पात्र के रूप में अपने पास रखते है |

उपरोक्त बातों से स्पष्ट है कि भारतीय समाज और धर्म (विशेषकर हिन्दू धर्म) बहुत अंश में हड़प्पा सभ्यता का ऋणी है | 

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हड़प्पा या सिन्धु सभ्यता के अन्य लेख भी देखें –

  1. हड़प्पा सभ्यता की उदभव, क्षेत्रफल और सीमाएं
  2. हड़प्पा सभ्यता का कालक्रम
  3. हड़प्पा सभ्यता का नामकरण
  4. हड़प्पा सभ्यता में कृषि व पशुपालन
  5. सिन्धु सभ्यता की नगर योजना प्रणाली
  6. सिन्धु सभ्यता का धार्मिक जीवन
  7. सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन