राष्ट्रीय आय की मूल अवधारणाएं | Main Concept of National Income

Main concept of national income

राष्ट्रीय आय की मूल अवधारणाएं (Main concept of national income) : विद्यादूत के अर्थव्यवस्था केटेगरी में आज हम राष्ट्रीय आय क्या होती है (Rashtriya aay kya hoti hai) और राष्ट्रीय आय की मूल अवधारणाएं (Rashtriya aay ki mool avadhaaranaen) पर चर्चा करेंगें | सबसे पहले हम जानेंगें कि “राष्ट्रीय आय क्या होती है” या “राष्ट्रीय आय का क्या अर्थ होता है | “अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय के द्वारा किसी देश के आर्थिक विकास स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है | किसी भी देश की राष्ट्रीय आय उस देश के द्वारा एक वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम ‘वस्तुओं एवं सेवाओं’ का मौद्रिक मूल्य है |

दूसरे शब्दों में, किसी अर्थव्यवस्था में किसी एक लेखा वर्ष की अवधि के अंतर्गत उत्पादित अंतिम वस्तुओं व सेवाओं (goods and services) के बाजार मूल्य को राष्ट्रीय आय (national income) कहा जाता है |

ये भी देखें –

इसमे से उत्पादन में प्रयुक्त मशीनों व पूँजी की घिसावट (depreciation or capital consumption allowance) को घटा दिया जाता है तथा विदेशों से प्राप्त विशुद्ध आय (निर्यात-आयात) को जोड़ दिया जाता है | 

पाठकों को बता दें कि अंतिम वस्तु का अर्थ क्या होता है ? वस्तु का ऐसा प्रकार जिनका अंतिम उपयोग उपभोक्ताओं के द्वारा किया जाता है अर्थात् जिनमे पुनः कोई परिवर्तन नही होता है, उन्हें अंतिम वस्तु कहा जाता है | अंतिम वस्तुओं में आर्थिक प्रक्रम के अंतर्गत पुनः कोई परिवर्तन नही होता है |

दूसरे शब्दों में, उपभोक्ताओं द्वारा उपभोग अथवा उत्पादकों द्वारा निवेश हेतु खरीदे गये पदार्थों को अंतिम वस्तु कहा जाता है | अंतिम वस्तुओं का आगे और निर्माण अथवा पुनः विक्रय नही होता है | जैसे उपभोक्ता द्वारा खरीदे गये बिस्कुट. डबलरोटी, मक्खन इत्यादी | 

आपको यह भी बता दें कि मध्यवर्ती वस्तुएं क्या होती है ? मध्यवर्ती वस्तुएं वें वस्तुएं एवं सेवाएं कहलाती है, जो प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं को उपलब्ध न होकर उत्पादन में सहयोग करती है |

दूसरे शब्दों में मध्यवर्ती वस्तुएं वें है जो प्रायः अन्य वस्तुओं के उत्पादन में कच्चे माल के रूप में प्रयोग की जाती है | जैसे कच्चा माल, कोयला, तेल, बिजली, ईधन और इंजीनियरों व तकनीकी कर्मचारियों की सेवाएं इत्यादि |

आपको ध्यान रखना है कि कोई वस्तु अंतिम है अथवा मध्यवर्ती ? यह निर्णय उस वस्तु के प्रयोग पर निर्भर करता है | जैसे किसी हलवाई द्वारा उपयोग किया गया दूध मध्यवर्ती वस्तु माना जायेगा वही किसी परिवार द्वारा उपयोग किया गया दूध अंतिम वस्तु माना जायेगा |

यहाँ यह ध्यान देना आवश्यक है कि राष्ट्रीय आय की गणना में मध्यवर्ती वस्तुओं को शामिल नही किया जाता है | केवल अंतिम वस्तुएं ही राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल की जाती है | इसका कारण यह है कि अंतिम वस्तु के मूल्य में मध्यवर्ती वस्तु का मूल्य भी शामिल होता है |

अतः राष्ट्रीय आय की गणना में उन वस्तुओं व सेवाओं को शामिल किया जाता है जिनका उपयोग उपभोग में होता है न कि पुनः उत्पादन में | जैसा कि हमने बताया कि राष्ट्रीय आय सभी वस्तुओं एवं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है |

प्रश्न उठता है कि मौद्रिक मूल्य ही क्यों ? मौद्रिक मूल्य इसलिए क्योकि वर्तमान में देश की वस्तुओं एवं सेवाओं का सामान्य भाजक मुद्रा ही है और मुद्रा के अलावा हमारे पास दूसरी अन्य कोई ऐसी इकाई (यूनिट) नही है जिसमे हम सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को व्यक्त कर सके |

इसे हम और सरल शब्दों में समझते है, जैसे वजन की इकाई किग्रा या ग्राम और कपड़े की इकाई मीटर, आदि है लेकिन विभिन्न प्रकार की इकाइयों को हम एक साथ जोड़ नही सकते है, अर्थात् कपड़े की माप हेतु जिस मीटर का प्रयोग किया जाता है, उससे टनों में गेहूं को नही मापा जा सकता है | इसलिए इनके मूल्य को हम मुद्रा में परिवर्तित करके सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product) को मुद्रा में व्यक्त करते है | अर्थात् एक सामान्य माप के पैमाने हेतु हम मुद्रा का प्रयोग करते है |

फिशर (Fisher) के अनुसार राष्ट्रीय आय में केवल उन सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है, जो अंतिम रूप से उपभोक्ताओं को उपभोग हेतु प्राप्त होती है, फिर चाहे वें भौतिक वातावरण से प्राप्त हो या मानवीय वातावरण से |

भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय आय (National Income) का मापन कार्य वर्ष 1867-68 में दादा भाई नौरोजी द्वारा किया गया था | लेकिन राष्ट्रीय आय के प्रथम वैज्ञानिक आंकड़े प्रो. वी.के.आर.वी. राव द्वारा वर्ष 1931-32 में तैयार किया गया था | भारत की आजादी के पश्चात् वर्ष 1949 में भारत सरकार द्वारा प्रो. पी.सी. महालनोबिस की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आय समिति (नेशनल इनकम कमेटी) का गठन किया गया |

इस समिति के अन्य सदस्यों में प्रो. वी.के.आर.वी. राव और प्रो. डी.आर. गाडगिल प्रमुख थें | राष्ट्रीय आय समिति ने वर्ष 1948-51 की अवधि हेतु भारत की राष्ट्रीय आय के अनुमान प्रस्तुत किये थें |

बाद में केंद्रीय सांख्यिकी गठन (सी.एस.ओ.) के गठन के पश्चात् विभाजित रूप से भारत की राष्ट्रीय आय की गणना का कार्य आरम्भ किया जाने लगा |

राष्ट्रीय आय की मुख्य विशेषताएं

भारत की राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित मुख्य बातें (विशेषताएं) निम्नलिखित है –

  • राष्ट्रीय आय देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण सूचकांक है |
  • राष्ट्रीय आय राष्ट्र की उत्पादन क्रियाओं की माप होती है |
  • राष्ट्रीय आय सभी उत्पादित अंतिम ‘वस्तुओं एवं सेवाओं’ के मौद्रिक मूल्य का योग है |
  • राष्ट्रीय आय की गणना में देश के निवासियों द्वारा देश व विदेशों से अर्जित आय को शामिल किया जाता है |
  • राष्ट्रीय आय की गणना वार्षिक आधार पर की जाती है | अर्थात् राष्ट्रीय आय एक वित्तीय वर्ष (भारत में 1 अप्रैल से अगले वर्ष 31 मार्च तक) की आय है |
  • वार्षिक कुल उत्पादन में मशीनों की घिसावट, टूट-फूट एवं उत्पादन सम्बन्धी व्यय इत्यादि को घटा दिया जाता है |
  • राष्ट्रीय आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय (निर्यात-आयात) को जोड़ दिया जाता है |
  • किसी वर्ष की राष्ट्रीय आय उसी वर्ष के मूल्य स्तर पर निर्धारित होती है |
  • कोई दो वर्षों की राष्ट्रीय आय की तुलना करके प्रतिशत परिवर्तन का अनुमान लगाया जा सकता है |
  • कई वर्ष के राष्ट्रीय आय से हमे यह पता चल जाता है कि अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास हो रहा है अथवा नही |
  • स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय किसी आधार वर्ष पर निकाली जाती है | 
  • सेकेण्ड हैण्ड वस्तुओं के विक्रय को राष्ट्रीय आय में शामिल नही किया जाता है | लेकिन सेकेण्ड हैण्ड वस्तुओं की विक्रय में दलाल की आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है | इसके अलावा सरकार के उपयोग हेतु विदेशों से खरीदी गयी सेकेण्ड हैण्ड वस्तुओं को राष्ट्रीय आय का हिस्सा माना जाता है |
  • हस्तांतरित आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नही किया जाता है | वृद्धावस्था पेंशन, जेब खर्च, कर अदायगी, विद्यार्थियों की छात्रवृत्तियां इत्यादि कुछ हस्तांतरित आय के उदाहरण है |
  • स्व-उपयोग हेतु किये गये कार्य को राष्ट्रीय आय में शामिल नही किया जाता है | जैसे गृहणी द्वारा किये गये गृह-कार्य व बच्चों की देखभाल, अपने घर में बागवानी आदि |
  • मध्यवर्ती वस्तुओं को राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल नही किया जाता है |

राष्ट्रीय आय के सम्बन्धित समुच्चय

  • GDP MP : Gross Domestic Product at Market Price (बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद)
  • GDP FC : Gross Domestic Product at Factor Cost (साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद)
  • NDP MP : Net Domestic Product at Market Price (बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद)
  • NDP FC : Net Domestic Product and Factor Cost (साधन लागत पर निवल घरेलू उत्पाद)
  • NNP FC : Net National Product at Factor Cost (साधन लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद)
  • GNP FC : Gross National Product and Factor Cost (साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद)
  • NNP MP : Net National Product at Market Price (बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद)
  • GNP MP : Gross National Product at Market Price (बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद)

राष्ट्रीय आय की मूल अवधारणाएं | Main concept of national income

सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product or GDP)

किसी देश की भौगोलिक सीमा के अंतर्गत एक लेखा वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम ‘वस्तुओं एवं सेवाओं’ के मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) कहते है |

दूसरे शब्दों में, सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) में किसी घरेलू अर्थव्यवस्था के अंतर्गत एक लेखा वर्ष के दौरान अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के सभी उत्पादन की माप की जाती है |

सकल घरेलू उत्पाद (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) में विदेशियों के द्वारा देश में अर्जित आय को शामिल किया जाता है, परन्तु विदेशों से भारतीयों द्वारा भेजी गयी आय को शामिल नही किया जाता है |

उदाहरणार्थ, भारत के नागरिक अमेरिका में मजदूरी अर्जित करते है, जो अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद में शामिल होगा, भारत के नही |

निवल (शुद्ध) घरेलू उत्पाद (Net Domestic Product or NDP) 

उत्पादन के कार्य में लगी मशीनों इत्यादि का प्रयोग के कारण घिसावट एवं टूट-फूट होती रहती है | यही कारण है कि सम्पूर्ण उत्पाद का वास्तविक मूल्य उनके मौद्रिक मूल्य से कुछ कम होता है | अतः उत्पादन के कुल मूल्य से घिसावट एवं टूट-फूट को घटा देने पर हमे निवल (शुद्ध) घरेलू उत्पाद (Net Domestic Product) प्राप्त होता है |

दूसरे शब्दों में, सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) में से जब उत्पादन में प्रयुक्त मशीनों एवं पूंजी की घिसावट को घटा देते है तब हमें निवल घरेलू उत्पाद (Net Domestic Product) प्राप्त होता है |

इस प्रकार,

निवल घरेलू उत्पाद (NDP) = सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट (मूल्यह्रास)

अर्थात् Net Domestic Product (NDP) =  Gross Domestic Product – Depreciation

सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product or GNP)

देश के उत्पादन का कुछ भाग विदेशों को निर्यात किया जाता है साथ ही विदेशों से कुछ वस्तुएं एवं सेवाएं आयात भी होती है | निर्यात होने पर निर्यात मूल्य के बराबर आय प्राप्त होती है जबकि आयात के बराबर देश की आय विदेश चली जाती है |

अतः सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) में से आयात मूल्य को घटा देते है और निर्यात मूल्य को जोड़ देते है | इस प्रकार प्राप्त मूल्य सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product) दर्शाता है |

दूसरे शब्दों में, किसी देश द्वारा एक वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product) कहा जाता है |

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एवं सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी) मूलतः समान अवधारणाएँ है, दोनों में मूलतः अंतर यह है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में देश के भीतर जनित समस्त आय, जिसमे देश के अंदर विदेशियों द्वारा अर्जित आय भी सम्मिलित होती है, को जोड़ा जाता है लेकिन विदेशों से भारतीयों के द्वारा भेजी गयी आय को शामिल नही किया जाता है |

इस प्रकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बंद अर्थव्यवस्था की अवधारणा है जिसमे अंतर्राष्ट्रीय व्यापर को सम्मिलित नही किया जाता है |

इसके विपरीत सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी) की गणना करते समय विदेशियों के द्वारा देश में जनित आय को शामिल नही किया जाता है किन्तु भारतीयों के द्वारा विदेशों से भेजी गयी आय को शामिल किया जाता है | अर्थात् सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी) की गणना में हम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को शामिल करते है |

निवल (शुद्ध) राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product or NNP)

मशीनरी आदि की घिसावट व टूट-फूट को निकाल देने से शुद्ध उत्पादन का शुद्ध मौद्रिक मूल्य प्राप्त होता है | इस प्रकार से प्राप्त मूल्य को निवल राष्ट्रीय उत्पाद (शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद) कहते है |

दूसरे, सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी) में से जब हम उत्पादन में प्रयुक्त मशीनों व पूंजी की घिसावट (ह्रास) को घटा देते है, तब निवल (शुद्ध) राष्ट्रीय उत्पाद (एनएनपी) प्राप्त होता है |

इस प्रकार, निवल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट (मूल्यह्रास)

अर्थात् Net National Product (NNP) = Gross National Product (GNP) – Depreciation

प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income)

राष्ट्रीय आय (NI) में परिवर्तन को अधिक वास्तविक रूप से प्रकट करने के लिए प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) का प्रयोग किया जाता है | राष्ट्रीय आय देश के निवासियों की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन को दर्शाती है |

जब राष्ट्रीय आय को जनसंख्या से भाग देते है तो प्रति व्यक्ति आय प्राप्त होती है |

इस प्रकार, प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) = राष्ट्रीय आय (National Income) / सम्बन्धित वर्ष की जनसंख्या (Population of the relevant year)

वैयक्तिक आय (Personal Income)

किसी वर्ष में देश के सभी निवासियों को होने वाली वास्तविक आय को हम वैयक्तिक आय (व्यक्तिगत आय) कहते है |

वैयक्तिक आय (Personal Income) को प्राप्त के लिए हम राष्ट्रीय आय (National Income) में अंतरण भुगतान (Transfer Payments) को जोड़ देते है और इसमे से निगम कर (Corporate Tax), कम्पनियों के अवितरित लाभ (Undistributed Profits) और सामाजिक सुरक्षा अंशदान (Social Security Contribution) को घटा देते है |

अर्थात्

वैयक्तिक आय (Personal Income) = राष्ट्रीय आय (National Income) + अंतरण भुगतान (Transfer Payments) – निगम कर (Corporate Tax) – अवितरित लाभ (Undistributed Profits) – सामाजिक सुरक्षा अंशदान (Social Security Contribution)

व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income)

सम्पूर्ण आय का वह हिस्सा जो आय धारक व्यय करने के लिए स्वतंत्र होता है व्यक्तिगत व्यय योग्य आय होते है | प्रत्येक वर्ष वैयक्तिक आय में से कुछ राशि सरकार द्वारा प्रत्यक्ष कर के रूप में ले ली जाती है | आय का केवल वह हिस्सा जो व्यक्तिगत प्रत्यक्ष कर के भुगतान के पश्चात आय धारक के पास बचता है वह ही आय धारक व्यय करने हेतु स्वतंत्र होता है |

इस प्रकार, वैयक्तिक आय में से प्रत्यक्ष कर को घटाने पर जो राशि प्राप्त होती है, वह व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) होती है |

अर्थात् व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत आय – प्रत्यक्ष कर – अनिवार्य शुल्क व दंड

बाजार कीमत 

ग्राहक द्वारा बाजार में खरीदारी करते समय किसी वस्तु के लिए चुकाई गयी कीमत, उस वस्तु की ‘बाजार कीमत’ कहलाती है | विक्रेता अप्रत्यक्ष करों (Indirect Tax) के रूप में इस कीमत का हिस्सा सरकार के पास जमा कर देते है |  

निष्कर्ष

राष्ट्रीय आय (National Income or NI)

  • साधन लागत (Factor Cost) पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product) को राष्ट्रीय आय (National Income) कहा जाता है |
  • प्रचलित कीमतों पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद में से अप्रत्यक्ष कर को घटा देने और उपादान (सब्सिडी) को जोड़ देने पर राष्ट्रीय आय प्राप्त होती है |
  • राष्ट्रीय आय (National Income) = प्रचलित कीमतों पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (NNP at Current Price) – अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) + उपादान (Subsidy)

बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP MP)

  • सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एक देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का बाजार मूल्य है |
  • इसमे समस्त निवासियों और गैर-निवासियों द्वारा दिए गये उत्पादन को सम्मिलित किया जाता है, चाहे उत्पादन का स्वामित्व एक स्थानीय कम्पनी का हो अथवा एक विदेशी स्वामित्व का |
  • इसमे समस्त चीजों का मापन बाजार कीमतों पर होता है |
  • बाजार कीमतें वही कीमतें है जो उपभोक्ताओं द्वारा की जाती है | बाजार कीमतों में उत्पाद करों और उपदानों को भी सम्मिलित किया जाता है |

साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP FC)

  • साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद, बाजार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद में से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर घटाने पर प्राप्त होती है |
  • ‘साधन लागत’ शब्द का उपयोग उत्पादकों द्वारा दी गयी कीमत हेतु किया जाता है | इसलिए बाजार कीमतों में से शुद्ध अप्रत्यक्ष करों को घटाने पर साधन लागत प्राप्त होती है |
  • साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एक देश की घरेलू सीमा में फर्मों द्वारा एक वर्ष में किये गये उत्पादन के मौद्रिक मूल्य का माप है |

बाजार कीमतों पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP MP)

  • इसमे नीति निर्धारकों को यह पता चलता है कि चालू सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को बनाये रखने हेतु देश को कितना खर्चा करना पड़ेगा |\यदि मूल्यह्रास की वजह से हुई पूँजी स्टॉक की हानि को विस्थापित नही किया जाता तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) घटेगा |

साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP FC)

  • साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (एनडीपी) उत्पादन के साधनों द्वारा मजदूरी, लाभ, लगान एवं ब्याज के रूप में देश की घरेलू सीमा के अंदर अर्जित आय है |

बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP MP

  • एक देश के समस्त उत्पादन के साधनों द्वारा एक वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP MP) है और इसे बाजार कीमतों पर मापा जाता है |
  • सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP MP) में एक देश के समस्त नागरिकों द्वारा उत्पादित आर्थिक उत्पादन को सम्मिलित किया जाता है, चाहे ये नागरिक राष्ट्रीय सीमा के भीतर स्थापित हो या विदेशों में स्थापित हो |
  • समस्त चीजों का मूल्यांकन बाजार कीमतों पर होता है | 

साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP FC)

  • साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP FC) एक अर्थव्यवस्था के समस्त उत्पादन के साधनों द्वारा प्राप्त उत्पादन का माप है |

बाजार कीमतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP MP)

  • यह इस बात का मापदण्ड है कि एक देश एक निश्चित समयावधि में कितना उपयोग कर सकता है |
  • शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP MP) देश के नागरिकों द्वारा किए गये उत्पादन का माप है चाहे वह उत्पादन देश की घेरलू सीमा में किया गया हो अथवा विदेशों में किया गया हो | 

साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP FC) / राष्ट्रीय आय (NI)

  • साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP FC) एक देश के उत्पादन के समस्त साधनों द्वारा एक वर्ष में मजदूरी, लाभ, लगान एवं ब्याज के रूप में अर्जित साधन आय का योग है |
  • यह राष्ट्रीय उत्पाद है, लेकिन राष्ट्रीय सीमा में उत्पादन तक ही सीमित नही है |
  • यह शुद्ध घरेलू साधन आय और विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन का योग है | 

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महत्वपूर्ण बिन्दु

  • ‘घरेलू आय’ में प्रयुक्त शब्द घरेलू का मतलब देश के आर्थिक क्षेत्र से है |
  • देश का आर्थिक क्षेत्र उसके भौगोलिक क्षेत्र से कुछ अलग होता है |
  • निवासी की अवधारणा ‘नागरिक’ से अलग होती है |
  • उत्पादकों द्वारा अन्य उत्पादकों से खरीदी गयी चीजें, जिन्हें वे अपने उत्पादन कार्य में उपभोग करते है या जिन्हें आगे बेंच सकते है, ‘मध्यवर्ती’ वस्तुएं कही जाती है |
  • अंतिम वस्तुएं उन वस्तुओं को कहा जाता है, जिन्हें अंतिम उपभोग एवं निवेश के लिए प्राप्त किया जाता है |
  • सकल की अवधारणा में मूल्यह्रास शामिल है लेकिन निवल की अवधारणा में मूल्यह्रास को शामिल नही करते है |
  • देश की आर्थिक सीमा में स्थित समस्त उत्पादक इकाइयों द्वारा की गयी मूल्य वृद्धि का योग ही घरेलू उत्पाद है |
  • साधन लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद ही राष्ट्रीय आय है |
  • राष्ट्रीय उत्पाद = घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त निवल साधन आय