आर्थिक शब्दावली | Economic Glossary

Economic Glossary

आर्थिक शब्दावली (Economic Glossary) : विद्यादूत के इस लेख में हम भारतीय अर्थव्यवस्था के अंतर्गत आर्थिक शब्दावली (Economic Glossary) पर चर्चा करेंगें |

आर्बिट्रेज (Arbitrage) : किसी वस्तु या मुद्रा को एक साथ दो या अधिक बाजारों में विभिन्न कीमतों पर खरीदने और बेचने की प्रक्रिया आर्बिट्रेज (Arbitrage) कहलाती है | यदि दो स्थानों में मूल्य अंतर हो तो कम मूल्य वाले स्थान से वस्तु खरीदकर अधिक मूल्य वाले स्थान पर बेचना भी आर्बिट्रेज (Arbitrage) कहा जाता है |

दूसरे शब्दों में, अल्प-अवधि के कोष को अधिकतम लाभ के उद्देश्य से एक प्रकार के निवेश से निकालकर दूसरे प्रकार के निवेश में लगाने को आर्बिट्रेज (Arbitrage) कहा जाता है |

आर्बिट्रेज (Arbitrage) प्रक्रिया को सम्पादित करने वाला कीमतों के अंतर के कारण लाभ अर्जित करता है | विदेशी मुद्रा बाजार में आर्बिट्रेज का प्रयोग व्यापक रूप से होता है |

एमोर्टाइजेशन (Amortization) : किसी ऋण का ब्याज सहित पूर्ण भुगतान एमोर्टाइजेशन (Amortization) कहलाता है | किसी ऋण को किस्तों में अदा करना |

ऐट पार (At Par) : किसी शेयर को उसी कीमत पर, जो उस शेयर के शेयर प्रमाणपत्र पर अंकित हो, जारी करना अथवा बेचना |

ऐट प्रीमियम (At Premium) : शेयर प्रमाणपत्र पर अंकित मूल्य की तुलना में अधिक मूल्य पर शेयर को जारी करना अथवा बेचना |

कृषि साख पत्र (Agricultural Credit Card) : वाणिज्यिक बैकों द्वारा आरम्भ की गयी कृषि साख पत्र (Agricultural Credit Card) व्यवस्था के अंतर्गत अच्छे उत्पादन रिकॉर्ड वाले किसानों को कृषि के लिए तत्काल ऋण प्रदान करने की सुविधा प्रदान की है, जिसके लिए विशेष औपचारिकताएं नही होती |

प्रबंधित कीमतें (Administered Prices) : सरकार अथवा सरकारी एजेंसी द्वारा किसी वस्तु की निर्धारित कीमते, जिसके निर्धारण पर बाजार की शक्तियों का प्रभाव नही होता |

परिसम्पत्ति (Asset) : किसी व्यक्ति अथवा फर्म की समस्त प्रकार की चल-अचल सम्पत्ति, जिसके द्वारा वह अपने ऋणों का क़ानूनी भुगतान कर सकता है |

पूर्ववर्ती तिथि (Ante Date) : किसी बिल, चेक अथवा लेख पर वर्तमान तिथि न लिखकर कोई पिछली तिथि लिखना पूर्ववर्ती तिथि (Ante Date) कहलाता है |

मूल्यानुसार कर (Ad Valorem Tax) : मूल्यानुसार कर (Ad Valorem Tax) ऐसा कर है जो लेन-देन (transaction) के मूल्य पर आधारित होता है | यह खुदरा, थोक अथवा विनिर्माण स्तर पर कीमत के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में होता है |

उभय पक्षिता (Bilaterallism) : उभय पक्षिता (Bilaterallism) दो देशों के मध्य व्यापार और भुगतान के लिए की गयी विशिष्ट व्यवस्था है |

काला धन (Black Money) : लोगो दवारा अपने पास गुप्त रूप से रखा गया ऐसा धन (मुद्रा व अन्य सम्पत्ति), जिसका लेखपत्रों में कोई लेखांकन नही होता तथा उस पर किसी प्रकार का कर (टैक्स) नही दिया जाता अथवा वह गैरकानूनी तरह से कमाया जाता है |

काला बाजार (Black Market) : व्यापारियों द्वारा वस्तुओं के गोदामों में जमाखोरी करके उसका कृत्रिम अभाव पैदा करना, ताकि उसकी बिक्री अधिक कीमतों पर हो तथा अधिक लाभ अर्जित हो |

क्रेता बाजार (Buyer’s Market) : क्रेता बाजार (Buyer’s Market) ऐसा बाजार है जिसमे वस्तु की मांग पूर्ति से कम होने के कारण उपभोक्ता कीमतों को अत्यधिक नीचे करवा लेता है |

बांड (Bond) : बांड (Bond) केंद्र अथवा राज्य सरकारों द्वारा जारी एक प्रकार का निश्चित ब्याज वाला प्रतिभूति है, जो प्रायः लम्बी अवधि वाले होते है, लेकिन अन्य प्रकार के भी हो सकते है |

बैंक दर (Bank Rate) : बैंक दर (Bank Rate) केन्द्रीय बैंक द्वारा अन्य अन्य बैंक से ली जाने वाली ब्याज दर है | बैंक दर (Bank Rate) ब्याज की वह दर है, जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों के विनिमय बिलों और अन्य वाणिज्यिक पत्रों की पुनर्कटौती करता है |

धारक चेक (Bearer Cheque) : एक चेक (Cheque), जिस पर धारक (Bearer) लिखा हो, जिसका मतलब यह है कि, उस चेक के सम्बन्ध में, उस चेक को बैंक में प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति तथा उसे जारी करने वाले व्यक्ति दोनों के अधिकार समान है |

बफर स्टॉक (Buffer Stock) : किसी वस्तु की भविष्य में पैदा होने वाली संदिग्ध कमी अथवा अभाव का सामना करने के लिए बनाया गया उस वस्तु का भंडार बफर स्टॉक (Buffer Stock) कहलाता है |

ब्लू चिप्स (Blue Chips) : ब्लू चिप्स (Blue Chips) शब्द का प्रयोग ऐसी प्रमुख लोकप्रिय कम्पनियों के शेयर के लिए किया जाता है, जो पिछले कई वर्षों से लगातार संवृद्धि के मार्ग पर अग्रसर हो, और भविष्य में भी उनका और विकास होने की सम्भावना हो | ऐसी कंपनीयों के शेयर को खरीदने पर हानि की सम्भावना बहुत कम होती है और इनके क्रेता बाजार में हमेशा उपलब्ध रहते है |

घटिया ऋण (Bad Debt) : घटिया ऋण (Bad Debt) ऐसा ऋण होता है, जिसकी वसूली संदिग्ध अथवा अत्यधिक कठिन होती है |

बदला (Badla) : निवेशक शेयर बाजार में किसी शेयर की तात्कालिक मूल्य-वृद्धि की उम्मीद में खरीद करता है, लेकिन सौदे की निपटान तिथि तक उसके मूल्य में वृद्धि न हो, तो निवेशक या तो पूर्ण भुगतान करके उन शेयरों की सुपुर्दगी ले सकता है या अपने सौदे को अपनी निपटान तिथि तक आगे बढ़ा सकता है, जिसके लिए उसे सौदे के कुल मूल्य के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में भुगतान करना होता है, जिसे बदला (Badla) कहा जाता है |

जन्म दर (Birth Rate) : एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या पर जन्म लेने वाले जीवित शिशुओं की संख्या जन्म दर कहलाती है |

बजट घाटा (Budget Deficit) : बजट घाटा (Budget Deficit) सरकार के कर राजस्व से अधिक व्यय करने पर उसके बजट में आया घाटा है | इसकी पूर्ति उधार द्वारा की जाती है |

बजटीय समर्थन (Budgetary Support) : केंद्र सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के घाटे को पूर्ण करने के लिए उनके शेयरों की खरीद अथवा उन्हें ऋण प्रदान करने हेतु बजट में प्रावधान करना होता है, जिसे बजटीय समर्थन (Budgetary Support) कहा जाता है |

बोनस (Bonus) : बोनस (Bonus) उद्यमी द्वारा अपने कर्मचारियों को नियमित वेतन के अलावा दिया गया धन है अथवा किसी उद्यम द्वारा अपने भागीदार को सामान्य लाभांश के अलावा दिया गया धन है |

ब्रॉड-बैंडिंग सुविधा (Broad Banding Facility) : किसी कंपनी को उत्पादों की कई श्रेणियों के उत्पादन का लाइसेंस देना, जिससे वह बाजार में मांग के अनुरूप अपने उत्पाद के प्रतिरूप में परिवर्तन कर सके |

अवमूल्यन (Devaluation) : यदि सरकार स्वदेशी मुद्रा का विनिमय मूल्य अन्य मुद्राओं की तुलना में जान बूझ कर कम कर देती है, तो इसे उस मुद्रा का अवमूल्यन (Devaluation) कहते है |

दूसरे शब्दों में किसी भी मुद्रा के अन्य मुद्राओं के साथ विनिमय की अधिकृत दरों में कमी करना, इसका उद्देश्य व्यापार संतुलन के घाटे को कम करना है |

अहस्तक्षेप नीति (Laissez fair) : अहस्तक्षेप नीति (Laissez fair) के अंतर्गत निजी आर्थिक गतिविधियों में किसी प्रकार का सरकारी हस्तक्षेप नही रहता है | व्यक्ति बाजार की शक्तियों से प्रेरित होकर अपनी पूंजी का उपयोग करता है |

दूसरे शब्दों में, जब सरकार सामरिक महत्व के मामलों (मुद्रा, रक्षा इत्यादि) के अलावा शेष सभी मामलों को बाजार की शक्तियों पर छोड़ देती है तथा इन मामलों में हस्तक्षेप नही करती है तब इस नीति को हस्तक्षेप नीति कहा जाता है |

अनुदान (Subsidy) : अनुदान (Subsidy) सरकार द्वारा किसी उद्योग अथवा व्यापार को किया गया भुगतान होता है, ताकि उससे उत्पादित वस्तु की कीमते न बढे अथवा वह अपनी गतिविधियां बंद न करें | अनुदान (Subsidy) का उद्देश्य उद्योगों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी सहायता देना है |

अस्थिर उद्योग (Footloose Industry) : ऐसे उद्योग अस्थिर उद्योग (Footloose Industry) कहे जाते है जो किसी विशिष्ट अवस्थिति सम्बन्धी आवश्यकताओं के न होने की वजह से कही भी स्थापित किये जा सकते है | अर्थात् अस्थिर उद्योग की किसी विशेष क्षेत्र में ही स्थापना आवश्यक नही है |

अतिरेक बजट (Surplus Budget) : अतिरेक बजट (Surplus Budget) ऐसा बजट होता है, जिसमे सरकार की आय उसके व्यय से अधिक होती है |

अधिविकर्ष (Overdraft) : जमाकर्ता द्वारा बैंक से अपनी कुल जमा की तुलना में अधिक धन निकाल लेना अधिविकर्ष (Overdraft) कहलाता है | बैंक चालू खाते में अधिविकर्ष (Overdraft) की सुविधा देते है, जो व्यवहार में नकद साख खाते की तरह कार्य करता है | इसमे खाताधारक अपनी आवश्यकतानुसार स्वीकृत मात्रा तक का अधिविकर्ष (Overdraft)कर सकता है | अधिविकर्ष (ओवरड्राफ्ट) की राशि पर ब्याज देय होता है |

अधिकृत पूंजी (Authorised Capital) : अधिकृत पूंजी (Authorised Capital) कंपनियों के रजिस्ट्रार द्वारा किसी कंपनी की किसी इकाई की आवश्यकताओं की जाँच करके निर्धारित की गयी पूंजी की वह अधिकतम मात्रा है, जिस सीमा तक वह कंपनी पूंजी बाजार में अपने शेयर जारी कर सकती है | बिना पूर्व अनुमति के कोई कंपनी अधिकृत पूंजी (Authorised Capital) से अधिक अंश-पूंजी एकत्रित नही कर सकती है |

अर्थमिति (Econometrics) : अर्थमिति (Econometrics) अर्थशास्त्र के अध्ययन की वह पद्धति है, जिसमे आर्थिक सिद्धांतों का अध्ययन गणितीय एवं सांख्यकीय तकनीकों की मदद से किया जाता है |

अभ्यंश (Quota) : अभ्यंश (Quota) किसी वस्तु के आयात पर लगाया गया एक भौतिक नियन्त्रण है जिससे एक निश्चित सीमा के पश्चात् किसी वस्तु का आयात हो ही नही पाए |

आर्थिक संवृद्धि (Economic Growth) : किसी देश की अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता व राष्ट्रीय आय में वृद्धि की प्रक्रिया |

आर्थिक नियोजन (Economic Planning) : आर्थिक संसाधनो का पूर्व आकलन करके, प्राथमिकताओं के आधार पर पूर्व निर्धारित लक्ष्यों को एक निर्धारित अवधि में प्राप्त करने हेतु संसाधनों का योजनाबद्ध उपयोग करना आर्थिक नियोजन कहलाता है |

दूसरे शब्दों में, आर्थिक विकास की ऐसी पूर्व नियोजित पद्धति जिसमे एक निश्चित समयावधि हेतु योजना बनाकर विभिन्न क्षेत्रो का विकास किया जाता है |

आर्थिक सेवाएं (Economic Services) : किसी देश के बजट में आर्थिक गतिविधियों जैसे ऊर्जा, उद्योग, कृषि एवं संबंधित कार्य, खनिज यातायात, विज्ञान, टेक्नोलॉजी तथा पर्यावरण के सम्बन्ध में निर्मित की गयी विभिन्न परियोजनाएं |

आयात शुल्क (Import Duty) : आयात शुल्क (Import Duty) किसी वस्तु के आयात पर लगाया गया कर होता है |

आयात कोटा (Import Quota) : आयात कोटा (Import Quota) किसी वस्तु के आयात पर लगाई गयी मात्रात्मक सीमा है |

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