हड़प्पा सभ्यता में माप तौल

Measurement and Weight in Harappan Civilization in Hind

हड़प्पा सभ्यता में माप तौल (Measurement and Weight in Harappan Civilization) : हड़प्पावासी माप-तौल और दशमलव पद्धति से परिचित थे | व्यापार और अन्य आदान-प्रदान में माप-तौल आवश्यक था | हड़प्पा-सभ्यता में उत्खनन के दौरान बड़ी संख्या में पत्थर के बाट मिले है | 

माप-तौल के अधिकांश बाट आकार में घनाकार (cubical) होते थे | कुछ बाट बेलनाकार, ढोलाकर, शंक्वाकार आदि प्रकार के भी होते थे | बाट तौल में 16 या उसके आवर्तको का प्रयोग होता था |

बाट एक क्रम से आगे बढ़ते थे, पहले दुगने क्रम से जैसे 1, 2, 4, 8 से लेकर 64 तक और तदुपरान्त 160 से आगे सोलह के दशमिक गुणजो के रूप में आगे बढ़ते जाते थे, जैसे 320, 640, 1600, 6400, 8000 आदि | महत्वपूर्ण बात यह है कि सोलह के अनुपात की यह परम्परा भारत में आधुनिक काल में 1950 के दशक तक प्रचलन में रही है | सोलह आने का एक रुपया और सोलह छटांक का एक सेर होता था |

हड़प्पावासी मापना भी जानते थे | कुछ स्थलों से ऐसे डंडे (स्केल) प्राप्त हुए है जिन पर माप के निशान दिखाई दे रहे है | मोहनजोदड़ो से एक सीप का बना खण्डित स्केल मिला है |

लोथल से भी एक स्केल मिला है, जो हाथी-दांत से निर्मित है | लम्बाई नापने वाले मापक में 37.6 सेमी. के एक फुट और 51.8 सेमी. से 53.6 सेमी. की लम्बाई, एक हाथ (क्यूबिट) या बाजू के बराबर होती थी |

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  3. हड़प्पा सभ्यता का नामकरण
  4. हड़प्पा सभ्यता में कृषि व पशुपालन
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