Harappan Sabhyata Ki Lipi | हड़प्पा सभ्यता की लिपि

script of harappan civilization

हड़प्पा सभ्यता की लिपि अर्थात् लिखने की पद्धति (Harappan Sabhyata Ki Lipi or Script of Harappan Civilization) : हड़प्पावासियों ने अपनी लेखन-कला का आविष्कार किया था | उन्होंने अपनी एक खास लिपि बनाई, जिसका मेसोपोटामिया एवं मिस्र की लिपियों से कोई साम्य नही है | मेसोपोटामिया व मिस्र की समकालीन लिपियों के साथ हड़प्पाई लिपि की तुलना करने का प्रयास असफल रहा है | पश्चिम एशिया की लिपियों से हड़प्पा सभ्यता की लिपि से कोई सम्बन्ध नजर नही आता है | वस्तुतः यह लिपि हड़प्पा सभ्यता का ही आविष्कार थी |

यह बहुत ही ध्यान देने योग्य बात है कि सम्पूर्ण हड़प्पाकाल में हड़प्पाई लिपि में कोई परिवर्तन नही हुआ जबकि अन्य सभी प्राचीन कालीन लिपियों में समय-समय पर परिवर्तन स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है |

हड़प्पाई लिपि का सबसे पुराना नमूना 1853 में प्राप्त हुआ था | यद्यपि सम्पूर्ण लिपि 1923 ई. तक प्रकाश में आ चुकी थी तथापि इस लिपि को अभी तक पढ़ा नही जा सका है | अभी तक हड़प्पाई लिपि के लगभग 400 नमूने प्राप्त हो चुके है |

हड़प्पा लिपि वर्णनात्मक नही, बल्कि चित्र-लेखात्मक है | चित्र के रूप में लिखा गया प्रत्येक अक्षर किसी ध्वनि, भाव अथवा वस्तु का सूचक है |

विद्वानों के अनुसार हड़प्पाई लिपि दाई से बाई की ओर लिखी जाती थी, और जब अभिलेख एक से अधिक पंक्तियों का होता था तो पहली पंक्ति दाई से बाई, और दूसरी बाई से दाई ओर लिखी जाती थी | हड़प्पाई लिपि की इस लेखन-शैली को “बोउस्ट्रोफेडन” (Boustrophedon) या गोमूत्रिका लेखन शैली अथवा हलावंर्त शैली कहा जाता है |

हड़प्पाई अभिलेख बहुत ही छोटे है | ये उतने लम्बे नही है जितने की मिस्र व मेसोपोटामिया सभ्यता के हैं | अधिकांश अभिलेख मुहरों पर है और अधिकतर बहुत छोटे, कुछ अक्षरों के ही है | इन लेखयुक्त मुहरों का उपयोग सम्भवतः धनी लोग अपनी सम्पत्ति को चिन्हित करने व पहचानने के लिए करते होंगें | कुछ लेख मृदभांडों, ताम्रपट्टो और मिट्टी की मुद्राछापों पर भी मिलते है |

ए.एल. बाशम लिखते है कि निश्चित रूप से हड़प्पा-निवासी मिट्टी की छोटी-छोटी तख्तियों पर अपने लेख नही अंकित करते थे, अन्यथा उनमे से कुछ नगरो के अवशेषों में प्राप्त हुए होते |

धौलावीरा में एक बड़ा उत्कीर्ण लेख मिला है, जो एक काठ की तख्ती पर खुदाई करके उसमे जिप्सम (सफेद चुना ) भरकर तैयार किया गया था | इस लेख के वर्ण काफी बड़े है जिसमे प्रत्येक वर्ण 37 से.मी. लम्बा और 25 से 27 से.मी.चौड़ा है | विद्वान इसे साइनबोर्ड मान रहे है | इस साइनबोर्ड पर लिखे गये लेख के वर्ण अब तक प्राप्त सभी हड़प्पाई अभिलेखों से बड़े है |

कुछ विद्वान हड़प्पा सभ्यता की लिपि को द्रविड़ या आद्य-द्रविड़ भाषा से जोड़ने का प्रयत्न करते है, वही कुछ विद्वान इसे संस्कृत से, तो कुछ इसका सम्बन्ध सुमेरी भाषा से जोड़ने का प्रयास करते है | लेकिन ये सभी प्रयास संतोषप्रद नही है |

हड़प्पाई लिपि के पढ़े न जा पाने से हम उनके विचारों व विश्वासों के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नही हासिल कर पा रहे है | साथ ही यह भी नही कहा जा सकता है कि भारत के प्राचीन साहित्य में हड़प्पा सभ्यता के लोगो का क्या योगदान रहा है |

हड़प्पा सभ्यता की लिपि का पढ़ा न जाने का एक कारण यह भी है कि अब तक कोई भी द्विभाषिक शिलालेख नही मिला है अर्थात् ऐसा कोई अभिलेख अभी तक नही मिला है जिसमे हड़प्पाई लिपि के साथ-साथ वही सामग्री किसी ज्ञात समकालीन लिपि में अंकित हो |

हड़प्पा सभ्यता की लिपि के अपठित रह जाने के कारण हमे यहाँ के लोगों के बौद्धिक पक्ष के विषय में बहुत कम जानकारी प्राप्त हो पाई है |

हड़प्पा सभ्यता की लिपि महत्वपूर्ण तथ्य (important facts on Script of Harappan Civilization)

हड़प्पा सभ्यता की लिपि (Harappan Sabhyata Ki Lipi) से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है –

  1. हड़प्पा सभ्यता की लिपि का सबसे पुराना नमूना वर्ष 1853 में प्राप्त हुआ था | लेकिन स्पष्ट रूप में हड़प्पाई लिपि वर्ष 1923 तक प्रकाश में आई |
  2. हड़प्पा सभ्यता की लिपि में 64 मूल चिन्ह और 250 से 400 तक अक्षर है |
  3. हड़प्पा सभ्यता या सिन्धुघाटी की सभ्यता मेसोपोटामिया के कीलाक्षर और मिस्र के हायरोग्लिफिक लिपि की तरह अभी तक पढ़ी नही जा सकी है |
  4. हड़प्पाई लिपि में प्राप्त सबसे बड़े लेख में लगभग 17 चिन्ह है |
  5. हड़प्पा सभ्यता की लिपि की इस लेखन-शैली को बोउस्ट्रोफेडन या गोमूत्रिका लेखन शैली या हलावंर्त शैली कहा जाता है |

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हड़प्पा सभ्यता के अन्य लेख भी देखे –

  1. हड़प्पा सभ्यता की उदभव, क्षेत्रफल और सीमाएं
  2. हड़प्पा सभ्यता का कालक्रम
  3. हड़प्पा सभ्यता का नामकरण
  4. हड़प्पा सभ्यता में कृषि व पशुपालन
  5. सिन्धु सभ्यता की नगर योजना प्रणाली
  6. सिन्धु सभ्यता का धार्मिक जीवन
  7. सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन