आदर्शवाद और शिक्षा के उद्देश्य

Aadarshwad Aur Shiksha Ke Uddeshya

आदर्शवाद और शिक्षा के उद्देश्य (Aadarshwad Aur Shiksha Ke Uddeshya) : विद्यादूत के इस लेख में हम आदर्शवाद और शिक्षा के उद्देश्य (Idealism and aim of Education in Hindi) अर्थात् “आदर्शवाद के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य क्या है” पर चर्चा करेंगें | पिछले कुछ लेखों में हमनें आदर्शवाद (Idealism) टॉपिक पर विस्तार से चर्चा की है, जिसे आप “आदर्शवाद के सभी लेख” में देख सकते है | आदर्शवादियों ने शिक्षा व्यवस्था में शिक्षा के उद्देश्य को सर्वाधिक महत्व दिया है | रॉस (Ross) लिखते है कि “आदर्शवाद ने विधियों की अपेक्षा शिक्षा के उद्देश्यों और लक्ष्यों के लिए अधिक योगदान दिया है |”

आदर्शवादियों ने शिक्षा को ज्ञान एवं प्रक्रिया दोनों ही रूपों में स्वीकार किया है | वे मानते है कि मानव में सद्गुणों को विकसित करने वाली शिक्षा ही वास्तविक शिक्षा है |

आदर्शवाद और शिक्षा के उद्देश्य

आदर्शवादियों के अनुसार शिक्षा के उदेश्य निम्नलिखित है –

  1. आत्मानुभूति का उद्देश्य
  2. आध्यात्मिक चेतना के विकास का उद्देश्य
  3. नैतिक व चारित्रिक विकास का उद्देश्य
  4. शारीरिक एवं मानसिक विकास का उद्देश्य
  5. संस्कृति की रक्षा, विकास व हस्तांतरण का उद्देश्य
  6. श्रेष्ठ नागरिकों के निर्माण का उद्देश्य
  7. बुद्धि व विवेक शक्ति में वृद्धि का उद्देश्य
  8. पवित्र जीवन की प्राप्ति का उद्देश्य

आदर्शवाद और शिक्षा के उद्देश्य (Aadarshwad Aur Shiksha Ke Uddeshya)

अब हम विस्तार से आदर्शवाद और शिक्षा के उद्देश्य (Aadarshwad Aur Shiksha Ke Uddeshya) को जानेंगें –

आत्मानुभूति का उद्देश्य

आदर्शवादी मानते है कि मानव जीवन का अंतिम उद्देश्य आत्मानुभूति है | एडम्स लिखते है कि “शिक्षा के अनेक आदर्शों में से आत्मानुभूति एक है, जो विशेष रूप से आदर्शवाद से सम्बद्ध है | आत्मानुभूति का अर्थ ईश्वर की प्राप्ति अथवा आत्मा-परमात्मा के चरम स्वरुप को जानना है | आदर्शवादियों के अनुसार आत्मानुभूति ही शिक्षा है | इसलिए वें शिक्षा का सर्वप्रथम उद्देश्य बालक के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करके उसका उन्नयन करना मानते है | उनके अनुसार व्यक्तित्व का विकास इस प्रकार करना चाहिए कि वह आत्मानुभूति करने योग्य बन जाएँ |

जेम्स एस. रॉस लिखते है कि “आदर्शवाद से विशेष रूप से सम्बन्धित शिक्षा का उद्देश्य है, व्यक्तित्व की उच्चता अथवा आत्मानुभूति (Self-realization), आत्म (Self) की सर्वोच्च क्षमताओं को वास्तविक या यथार्थ रूप देना | [“The aim of education specially associated with idealism namely, the exaltation of personality, or self-realization, the making actual or real the highest potentialities of the self.” – James S. Ross]

आध्यात्मिक चेतना के विकास का उद्देश्य

आदर्शवादियों के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य आध्यात्मिक चेतना का विकास करना भी है | शिक्षा का उद्देश्य ऐसा होना चाहिए कि बालक आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित होकर आध्यात्मिक चेतना और आध्यात्मिक मूल्यों की अनुभूति करने लगे |

रस्क लिखते है कि “शिक्षा मानव-जाति को इस योग्य बनाये कि वह अपनी संस्कृति की सहायता से आध्यात्मिक जगत् में अधिक से अधिक पूर्णरूप से प्रवेश कर सके तथा आध्यात्मिक जगत् की सीमाओं का भी विस्तार कर सके |” [“Education must enable mankind through its culture to enter more and more fully into the spiritual realm, and also to enlarge the boundaries of the spiritual realm.” – Robert R. Rusk]

जेम्स एस. रॉस के अनुसार “शिक्षा का कार्य हमे परम सार्वभौमिक मूल्यों की खोज करने में सहायता करना है, जिससे ब्रह्माण्ड का सत्य हमारा सत्य बन सके और हमारे जीवन को शक्ति प्रदान कर सके | [“The function of education is to help us in our exploration of the ultimate universal values so the truth of the universe may become our truth and give power to our life.” – James S. Ross]

नैतिक व चारित्रिक विकास का उद्देश्य

आदर्शवादी मानव जीवन में नैतिक और चारित्रिक विकास पर बल देते है | उनके अनुसार शिक्षा का उद्देश्य बालक का नैतिक व चारित्रिक विकास करना भी है | प्लेटो व्यक्ति, समाज व राज्य सभी दृष्टि से नैतिकता को परम आवश्यक मानते थें | जर्मन शिक्षाशास्त्री हरबर्ट लिखते है कि “चरित्र व व्यक्तित्व विचारों के द्वारा ही विकसित होते है |” [Character and personality are developed through the implanting of ideas.” – Herbart]

शारीरिक एवं मानसिक विकास का उद्देश्य

आदर्शवादी शिक्षा का एक प्रमुख उद्देश्य बालक का शारीरिक और मानसिक विकास करना भी है | आदर्शवादी मानते है कि आध्यात्मिक अनुभूति के लिए मानव का शारीरिक व मानसिक विकास होना अतिआवश्यक है | इसलिए वें शिक्षा द्वारा सर्वप्रथम मानव के शारीरिक व मानसिक विकास पर जोर देते है |

संस्कृति की रक्षा, विकास व हस्तांतरण का उद्देश्य

संस्कृति मानव समाज की धरोहर है | मानव इसके विकास हेतु प्राचीन काल से ही प्रयासरत है | आदर्शवादी संस्कृति की रक्षा, विकास और हस्तांतरण को शिक्षा का एक प्रमुख उद्देश्य मानते है, क्योकि सृष्टि के सृजन के बाद मानव ने अपनी रचनात्मक प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप इन्हे प्राप्त किया है | संस्कृति की रक्षा, विकास और हस्तांतरण शिक्षा द्वारा ही किया जाना है | सांस्कृतिक विरासत की रक्षा, संवर्धन और नवीन पीढ़ी को हस्तांतरण शिक्षा का प्रमुख कार्य है |

महात्मा गाँधी लिखते है कि “संस्कृति नींव है, प्रारम्भिक वस्तु है | तुम्हारे सूक्ष्मतम व्यवहार में इसे दिखना चाहिये |” [Culture is foundation, the primary things. It must show itself in the smallest detail of your conduct.” – Mahatma Gandhi] |

ओटवे के अनुसार, “ शिक्षा का एक कार्य सांस्कृतिक मूल्यों और समाज की व्यवहार-विधियों को अपने युवा और मुख्य सदस्यों को हस्तांतरित करना है |” [“One of the tasks of education is to hand over cultural values and behaviour patterns of society to its young and potential members. – Ottaway.]

श्रेष्ठ नागरिकों के निर्माण का उद्देश्य

आदर्शवादियों के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य राज्य के लिए श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण करना भी है | श्रेष्ठ नागरिकों का तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों से था जिनमे अपने राज्य के प्रति समर्पण की भावना पायी जाती है | श्रेष्ठ नागरिक अपने हितों की तुलना में राज्य के हितों को सर्वोपरि मानते है | ऐसे श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण आदर्शवादी शिक्षा द्वारा ही किया जा सकता है |

बुद्धि व विवेक शक्ति में वृद्धि का उद्देश्य

आध्यात्मिक मूल्यों अथवा आत्मानुभूति की प्राप्ति के लिए बुद्धि और विवेक शक्ति में वृद्धि अतिआवश्यक है | इसलिए आदर्शवादी मानते है कि शिक्षा का उद्देश्य ऐसा होना चाहिए जो बालक में बुद्धि व विवेक शक्ति का विकास करें | जर्मन दार्शनिक कांट सबसे ज्यादा जोर मानव के बौद्धिक विकास पर देते थें | एडम्स के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य बालक की बुद्धि और विवेक को विकसित करना है |

पवित्र जीवन की प्राप्ति का उद्देश्य

आदर्शवादियों के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य पवित्र जीवन की प्राप्ति भी है | उनके अनुसार बालक को ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे उसमे आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो और वह पवित्र जीवन जीने के योग्य बन सके |

फ्रॉबेल – शिक्षा का उद्देश्य एक आस्थापूर्ण, शुद्ध, कलंकरहित पवित्र जीवन की प्राप्ति है |” [The object of education is the realization of a faithful, pure, invaluable and hence holy life.” – Frobel]

उपर्युक्त बातों से स्पष्ट होता है कि आदर्शवादी शिक्षा का चरम उद्देश्य मानव के सर्वांगीण विकास के माध्यम से आत्मज्ञान की प्राप्ति है, जिससे वह आत्मानुभूति करने योग्य बन जाये |

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