सुरक्षा वाल्व सिद्धांत

suraksha vailv ka siddhant

सुरक्षा वाल्व का सिद्धांत (सेफ्टी वाल्व थ्योरी/Safety valve theory) : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किसी भारतीय ने नही बल्कि एक सेवानिवृत्त अंग्रेज सिविल अधिकारी एलेन आक्टेवियन ह्यूम ने की थी, इसलिए यह परिकल्पना की गयी कि कांग्रेस की स्थापना ह्यूम ने अंग्रेजी शासन के प्रति बढ़ते हुए असंतोष को ‘सुरक्षा वाल्व’ (सेफ्टी वाल्व) प्रदान करने के लिए की थी | यह कहा जाता है कि कांग्रेस की स्थापना अंग्रेजी सरकार पर आने वाले खतरों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए की गयी थी |

ऐसा कहा जाता है कि ए.ओं.ह्यूम को वायसराय लार्ड डफरिन ने परिचर्चाओं हेतु शिक्षित भारतीय का एक वार्षिक सम्मेलन बुलाने का विचार दिया था |

क्या वाकई सुरक्षा वैल्व के सिद्धांत (सेफ्टी वाल्व थ्योरी) के तहत सोच-विचार कर ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना की थी, यह बात विवादास्पद है | हमारे पास यह बात स्पष्ट करने हेतु कोई विश्वसनीय साक्ष्य उपलब्ध नही है | ऐसा कही भी स्पष्ट वर्णन नही मिलता है कि वायसराय लार्ड डफरिन ने ह्यूम को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का सुझाव दिया था अथवा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सुरक्षा वैल्व के रूप में की गयी थी |

भारतीय अतिवादी नेता लाला लाजपत राय और रजनी पामदत्त ने ‘सुरक्षा वाल्व’ सिद्धांत का समर्थन किया | लाला लाजपत राय ने स्पष्ट रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना को लार्ड डफरिन के दिमाग की उपज बताया | उन्होंने कांग्रेस की आलोचना करते हुए इसे ‘शिक्षित भारतीयों का वार्षिक राष्ट्रीय मेला’ कहा |

जबकि रजनी पामदत्त ने अपनी पुस्तक इंडिया टुडे में लिखा कि ‘कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश सरकार की एक पूर्व निश्चित गुप्त योजना के अनुसार की गयी |’

अगर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना अंग्रेजी सरकार के हितों की रक्षा हेतु ‘सुरक्षा वैल्व’ रही होती तो अंग्रेजी सरकार कांग्रेस के दमन का प्रयास न करती और उसके उत्थान व विकास के लिए कार्य करती, लेकिन ऐसा हमे देखने का नही मिला |

वायसराय लार्ड डफरिन ने खुद कांग्रेस की आलोचना करते हुए उसका उल्लेख ‘सूक्ष्मदर्शी अल्पसंख्यकों’ के प्रवक्ता के रूप में किया साथ ही कांग्रेस पर अंग्रेजी अधिकारियों के विरुद्ध विद्वेष फ़ैलाने का दोषारोपण किया |

वर्ष 1888 में लार्ड डफरिन ने औपचारिक तौर से कुछ देशी रियासतों को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का समर्थन न करने की चेतावनी दी थी |

अंग्रेजी सरकार ने कांग्रेस को कमजोर करने के लिए अपनी प्रभावकारी नीति ‘फूट डालो और राज करो’ द्वारा मुसलमानों को इससे अलग रखने का प्रयास किया | लार्ड कर्जन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को ‘गंदी चीज और देशद्रोही संगठन’ कहा |

अंग्रेजी सरकार की कांग्रेस के प्रति घृणा लार्ड कर्जन के वर्ष 1900 में भारत विषयक सचिव को लिखे गये एक पत्र से उजागर होता है जिसमे वह कहता है कि “कांग्रेस अपने पतन के कगार पर खड़ी है तथा भारत में रहते हुए मेरी एक प्रबल अभिलाषा इसके शांतिपूर्ण अंत में सहयोग करना है |”

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निष्कर्षः यह स्पष्ट रूप से नही कहा जा सकता है कि लार्ड डफरिन के आदेशानुसार ए.ओ.ह्यूम ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कि जो कालान्तर में अंग्रेजी सरकार के ताबूत की अंतिम कील साबित हुई | यह भी स्पष्ट नही है कि लम्बे समय तक ब्रिटिश सरकार की सेवा करने के बाद ए.ओ.ह्यूम ने किस मकसद से कांग्रेस की स्थापना की |

कुछ लोग यह भी मानते है कि वायसराय लार्ड डफरिन और ह्यूम इस बात से सहमत थे कि भारत में एक ऐसी संस्था होनी चाहिए जो अंग्रेजी सरकार को बताये कि उसके शासन में क्या कमियाँ है और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है |

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