प्राचीन इतिहास शब्दावली

Prachin Itihas Shabdawali

प्राचीन इतिहास शब्दावली (Prachin Itihas Shabdawali)

आर्य : एक जन समूह जो संस्कृत, लैटिन व ग्रीक इत्यादि यूरोपीय भाषाएँ बोलता था |

असनातनी सम्प्रदाय : छठी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान उभरा धार्मिक आन्दोलन जिसने वैदिक धर्म को चुनौती दी |

अनात्मवाद : आत्मा की सत्ता को स्वीकार न करना |

अनात्मवादी दर्शन : वह दर्शन जो आत्मा के अस्तित्व का निषेध करता हो |

अदिति : वरुण, मित्र और अर्यमा की माता अथवा देवमाता |

आहत सिक्के : प्राचीनतम भारतीय सिक्के, जिनका आकार अनिश्चित था |

अग्रहार : ब्राह्मणों को अनुदान में प्राप्त गाँव, जिसका भूमिकर उन्हें राज्य को नही देना पड़ता था |

अलवार : आरंभिक मध्यकाल के तमिल देश के वैष्णव संत | इनकी पारंपरिक संख्या बारह थी |  

अवेस्ता : पारसी (ईरानी) लोगों का मूल धर्मग्रंथ, जिसका वेद से घनिष्ठ संबंध है |

अर्थशास्त्र : कौटिल्य द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण विधिग्रंथ |  

एश्यूलियन : यह एक तरह की हाथ की कुल्हाड़ी है | ये कुल्हाड़ियाँ प्रारंभिक हिम युग के दिनों की है, जो सबसे पहले फ़्रांस में पाई गयी है | 

अनीश्वरवादी : जो ईश्वर में विश्वास न रखे |

आजीवक : जैन धर्म का नजदीकी एक अशास्त्रीय मत, जो गौतम बुद्ध के समय फला-फूला था |

अपभ्रंश शैली : यह एक चित्र शैली है, जिसका आरम्भ आठवी सदी में हुआ था |

अमात्य : किसी उच्च पदाधिकारी हेतु मौर्य काल से ही प्रयुक्त किया जाने वाला सरकारी पदनाम |

भाग : भूमि कर |

ब्रह्मदेय : ब्राह्मणों को उपहार में दी गयी कर-मुक्त भूमि या गाँव |

भागवत : विष्णु को समर्पित एक संप्रदाय |वासुदेव-कृष्ण का भक्त |

भाट : राजस्तुति करने वाले कवि |

भुक्ति : उच्चतम प्रशासनिक विभाजन |

ब्राह्मी लिपि : भारत की प्राचीनतम ज्ञात लिपि | भारत की अधिकांश आधुनिक लिपियाँ (तमिल, देवनागरी इत्यादि) ब्राह्मी लिपि से ली गयी है |

भेंट अर्थव्यवस्था : ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमे इसको और इसकी संस्थाओं को बनाएं रखने में उपहार या भेंट विशेष योगदान करते हों |

भौतिकवाद : भौतिक वस्तुओं पर अधिक जोर देना |

चक्रवर्ती क्षेत्र : चक्रवर्ती अथवा एकछत्र सम्राट का अधिकार-क्षेत्र |

चित्रित धूसर मृद्भाण्ड संस्कृति : गंगा दोआब क्षेत्र में प्राप्त भूरे (धूसर) रंग के मृद्भाण्डों से संबंधित संस्कृति |

चित्रलिपि : जिस लिपि में चित्रों को किसी वस्तु इत्यादि के प्रतीक के रूप में प्रयोग में लाया जाएँ |

चैत्य : एक पावन परिसर | इस शब्द का प्रयोग बौद्ध धर्म के उपासना स्थल हेतु भी किया जाता है |

क्लासिकल स्रोत : प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के यूनानी स्रोत |

देवदान : कर-मुक्त भूमि जो उपहार में ब्राह्मणों के मन्दिर के देवताओं के नाम दी जाती थी |

दोआब : दो नदियों के मध्य का क्षेत्र |

गण : एक कबीलाई गणतन्त्र को गण कहा जाता था, जिसका शासन कबीले के सरदार द्वारा चलाया जाता था न कि राजा द्वारा |

गर्भगृह : हिन्दू मन्दिर का वह पवित्रतम स्थान, जहाँ मुख्य देवमूर्ति विराजमान होती है |

गैरिक मृद्भाण्ड : उच्च गंगा मैदानों में पाए जाने वाले मृद्भाण्ड | ये उन तलों पर प्राप्त हुए है जो आरंभिक भारतीय ऐतिहासिक मृद्भाण्ड के आधार है |

जातक कथाएं : महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों से संबंधित कथाएं | प्रत्येक जातक-कथा एक प्रकार की लोक-कथा है |

दस ब्राह्मण जातक : जातक कथाओं की एक पुस्तक का नाम |

जातीय विवाह : एक ही जाति के अंदर वैवाहिक संबंध स्थापित करना |

अंतर्जातीय विवाह : दूसरी जाति में विवाह करना |

जेतावन : बुद्ध को एक व्यापारी द्वारा दान में दी गयी वाटिका |

कलियुग : सृष्टि की चौथी व अंतिम अवस्था |

कोट्टम : एक प्रशासनिक इकाई |

कुमारामात्य : एक उच्च पदाधिकारी का सरकारी पदनाम |

कुरल : तमिल भाषा का महत्वपूर्ण काव्य ग्रंथ |

कुल : वंश या विस्तारित परिवार |

खरोष्ठी : एक लिपि, जिसमे अशोक के शहबाजगढ़ी एवं मानसेहरा के शिलालेख लिखे गये है |

लिपि : लिखने की पद्धति |

मत्स्य न्याय : एक राजनीतिक सिद्धांत जिसके अनुसार अराजकता की परिस्थिति में शक्तिशाली कमजोर को हड़प लेता है |   

महाराजाधिराज : राजाओं का राजा, एक शाही उपाधि |

मृद्भाण्ड : मिट्टी के बर्तन

मठ : मन्दिर अथवा धार्मिक अधिष्ठान से संबद्ध शिक्षा केंद्र |

मुहर/मोहर : लाख या पत्थर या किसी अन्य वस्तु का टुकड़ा, जिसमे कोई आकृति बनी होती है | इसे प्रमाणीकरण हेतु उपयोग में लाया जाता था |

मनका : पत्थर का छोटा टुकड़ा जिसके बीच में तागा पिरोने हेतु छेद होता है |

महाक्षत्रप : महान शासक | राजाओं मुख्य रूप से शक वंश के राजाओं द्वारा अपनाई गयी उपाधि |

मेसोपोटामिया : ईराक का प्राचीन नाम |

मेहराब : दरवाजे के ऊपर की धनुषाकार बनावट|

मोक्ष : पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा |

निर्वाण : पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा |  

नयनार : तमिल देश के आरम्भिक मध्य काल में शैव भक्ति सम्प्रदाय के संत | इनकी संख्या 63 थी |

नागर : मन्दिरों के स्थापत्य की एक शैली, जो मध्य व उत्तरी भारत में विकसित हुई थी | 

नानादेशी : व्यापारियों की श्रेणी जिसके सदस्य विभिन्न क्षेत्रों व जाति के हो |

नौकरशाही : ऐसी सरकार की व्यवस्था, जिसमे अधिकारियों के द्वारा शासन किया जाता है और जो किसी एक शक्ति के प्रति उत्तरदायी होते है | 

पण : सिक्के के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द |

पाशुपत : एक शैव संप्रदाय | शिव या पशुपति के भक्त |

पार्थियन : पार्थिया प्रदेश के निवासी | यह प्रदेश बैक्ट्रिया के पश्चिम और कैस्पियन सागर के दक्षिण-पूर्व में स्थित था | 

पुरालेखशास्त्र : इसमे शिलालेखों का अध्ययन किया जाता है |

पुराण : हिन्दू ग्रन्थ, जिसमे विभिन्न वंशों का इतिहास दिया गया है |

पालि : मगध और कौशल के क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा | बौद्ध साहित्य पालि भाषा में रचा गया |

प्राकृत : अशोक के काल में मगध में बोली जाने वाली भाषा | ऐतिहासिक भारत में प्रथम लिखित सामग्री प्राकृत भाषा में प्राप्त हुई है |

पोरिस : बौद्ध साहित्य में नीची जाति हेतु प्रयोग किया जाने वाला एक शब्द |

प्रशस्ति : अतिशयोक्ति से परिपूर्ण विवरण |

राजुक : एक सरकारी पदनाम, जिसका प्रयोग मौर्यकाल में किया जाता था |

रेडियो कार्बन विधि : यह एक काल निर्धारण की एक विधि है | इस विधि से यह पता लगाया जाता है कि वे भौतिक अवशेष किस काल के है |

स्तूप : गुंबद की तरह का ढांचा, जिसमे गौतम बुद्ध के अवशेष रखे होते है |

सगोत्र विवाह : एक ही कबीले, जाति और गोत्र आदि के अंदर विवाह |

असगोत्र विवाह : जाति, गोत्र आदि से बाहर विवाह |

संप्रदाय : किसी धार्मिक मत से अलग हो गया वह भाग, जो किसी खास धार्मिक विश्वास के आधार पर विकसित होता है |

संगम : विद्वानों की एक संस्था जिसने प्राचीन तमिल रचनाओं को संग्रहित और वर्गीकृत किया |

संगम साहित्य : तमिल क्षेत्र के निवासियों का सबसे प्राचीन साहित्य | यह पहली से तीसरी ईस्वी के मध्य संकलित किया गया |

सप्तांग : सात अंग |

सन्निधाता : कोषाध्यक्ष |

समाहर्ता : भूराजस्व निर्धारित करने वाला अधिकारी |

सार्थवाह : कारवां का प्रमुख |

सीता भूमि : राजा की भूमि या राजा द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित भूमि |

शतमान : चाँदी का सिक्का, जिसका वजन अनाज के लगभग 180 दानों के बराबर होता था |

शैव मत : वह संप्रदाय जो शिव को सर्वोच्च देवता मानता है |

शिखर : किसी मन्दिर के ऊपर का बुर्ज |

ताम्र पाषाण कालीन बस्तियां : उस काल का प्रतिनिधित्व करने वाली बस्तियां जिसमे पाषाण (पत्थर) एवं तांबे दोनों से ही बने उपकरणों का उपयोग किया जाता था |

थेरवाद : एक बौद्ध संप्रदाय |

उदारवादी निरंकुशता : एक अच्छा व उदार राजा, जिसके हाथ में पूर्ण नियन्त्रण हो |

उत्खनन : प्राचीन स्थान पर खुदाई करना |

उत्तरापथ : उत्तरी स्थल मार्ग, जो हिमालय की पहाड़ियों तक जाता था |

वाममार्गी संप्रदाय : वे समस्त धर्म जिन्होंने ब्राह्मण धर्म को चुनौती दी (बौद्ध मत, जैन मत, आजीवक मत आदि)

वास्तुशिल्प : पत्थर, लकड़ी, मिट्टी आदि से बनाई गयी कलात्मक मूर्तियाँ व वस्तुएं |

वेलान बेरियावल : आदिम तमिल कबीलों के मुरुगन देवता पर केन्द्रित अति प्राचीन आवेगपूर्ण रहस्यवादी संप्रदाय |

विहार : बौद्ध मठ

वैष्णव मत : वह संप्रदाय जो विष्णु को सर्वोच्च देवता मानता है |