सिन्धुघाटी सभ्यता के कालीबंगन स्थल की विशेषताएं

Kalibangan Sthal Ki Visheshtayen

सिन्धुघाटी सभ्यता के कालीबंगन स्थल की विशेषताएं (Sindhu Ghaati Sabhyata Ke Kalibangan Sthal Ki Visheshtayen) : कालीबंगन राजस्थान के गंगानगर जिले में घग्गर नदी (प्राचीन सरस्वती नदी जो अब लुप्त हो चुकी है) के तट पर स्थित है | इसका उत्खनन अमलानन्द घोष ने कराया था | कालीबंगन का शाब्दिक अर्थ ‘काले रंग की चूड़िया’ होता है |

कुछ विद्वान हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के बाद कालीबंगन को हड़प्पा सभ्यता की तीसरी तीसरी राजधानी मानते है |

बी.बी.लाल और बी.के.थापड़ के निर्देशन में कालीबंगन का उत्खनन कराया गया था | यहाँ से हड़प्पा-पूर्व और हड़प्पाकालीन दो सांस्कृतिक अवस्थाएं देखने को मिलती है |

कालीबंगन से पूर्व-हड़प्पा और हड़प्पा-सभ्यता की बस्तियों की मौजूदगी के प्रमाण मिले है | कालीबंगन की पूर्व-हड़प्पा अवस्था से जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले है | हल के प्रयोग से पूर्व किसान केवल बीज छितराकर बो सकते थे अथवा फावड़े आदि का प्रयोग खेतो को खोदने में करते थे | हल की खोज ने कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिए, अब हल के द्वारा कम मेहनत से अधिक जल्दी और अधिक गहरी खुदाई सम्भव हो गयी |

कालीबंगन में हल से बने निशानों से पता चलता है कि एक साथ दो फसलें (सम्भवतः चना और सरसोँ) उगाई जाती थी |

कुछ विद्वानों के अनुसार पूर्व-हड़प्पा सभ्यता के बाद कुछ काल तक कालीबंगन की बस्ती भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदा से क्षति पहुँचने की वजह से वीरान हो गयी थी तथा कुछ काल व्यवधान के बाद हड़प्पा सभ्यता पुनः विकसित हुई | इसप्रकार भूकम्प आने के प्राचीनतम साक्ष्य यही से मिलते है | 

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के समान यहाँ पर भी दो टीले मिले है | पूर्वी टीला (निचला नगर) और पश्चिमी टीला (ऊँचा दुर्ग) | दुर्ग के चारो ओर कच्ची ईटों से रक्षा-प्राचीर बनाई गयी थी तथा इसमे प्रवेश के लिए चारो दिशाओ में द्वार बनाये गये थे | दुर्ग को बीच से एक लम्बी दीवार, जो पूर्व-पश्चिम में जाती थी, द्वारा दो भागों में विभाजित किया गया था | अभी तक किसी और हड़प्पाई स्थल से दुर्ग का इस तरह विभाजन किये जाने का उदाहरण नही मिला है | कालीबंगन में दुर्ग ही नही बल्कि निचला नगर के भी रक्षा-प्राचीर से घिरे होने का साक्ष्य मिला है |

कालीबंगन के दुर्ग टीले के दक्षिणी भाग में कुछ चबूतरे मिले है जो मिट्टी और कच्ची ईटों से बने थे | इनमे से एक चबूतरे पर आयताकार सात अग्नि-वेदिकाएँ एक कतार में थी | एक अन्य चबूतरे पर कुआं, अग्निकुण्ड और पक्की ईटों से बना एक आयताकार गर्त, जिसमे पशुओं की हड्डियाँ और हिरन के सींग प्राप्त हुए है | ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इन चबूतरों का धार्मिक महत्व था |

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के पक्की ईटों से निर्मित घरो के विपरीत कालीबंगन के सभी घर कच्ची ईटों के बने हुए होते थे | यहाँ पक्की ईटों का प्रयोग केवल स्नानघरो, नालियों और कुओं को बनाने में किया गया था | हड़प्पा-सभ्यता में केवल कालीबंगन से ही एक फर्श का निर्माण  अलंकृत ईटों से किये जाने का उदाहरण मिला है |

कालीबंगन में सार्वजनिक नालियों के कोई अवशेष नही मिलते है | मकानों की नालियों का पानी नाबदानों (गटर,Gutter) में गिरता था | एकमात्र कालीबंगन से ही लकड़ी को कुरेद कर नाली बनाये जाने का साक्ष्य मिलता है | कालीबंगन में एक बर्तन के टुकड़े पर सूती कपड़े के निशान मिले है |

कालीबंगन से एक ऐसी मिट्टी की पट्टिका प्राप्त हुई है, जिसमे एक साथ लिंग और योनि के प्रतीक बने हुए है | परन्तु हम यह स्पष्ट रूप से नही कह सकते कि सिन्धु घाटी की सभ्यता में लिंग व योनि एक-दूसरे से उसी प्रकार से सम्बन्धित थे जैसा कि वर्तमान काल में | 

कालीबंगन से मिले एक अग्निवेदिका में पशुओं की हड्डियाँ और हिरन के सींग प्राप्त हुए है |

जी.एफ. डेल्स ने अपने शोध में बताया कि घग्गर और उसकी सहायक नदियों का मार्ग-परिवर्तन के कारण कालीबंगन का पतन हुआ था |