हड़प्पा सभ्यता के स्थल लोथल का इतिहास

History of Lothal of Harappan Civilization

हड़प्पा सभ्यता के स्थल लोथल का इतिहास (History of Lothal of Harappan Civilization) : लोथल गुजरात के अहमदाबाद जिले में भोगवा नदी के किनारे सरगवाला नामक गाँव के निकट स्थित है | यहाँ का उत्खनन एस.आर.राव के निर्देशन में किया गया था | यहाँ की नगर-निर्माण योजना और प्राप्त उपकरणों को देखकर कुछ विद्वान इसे ‘लघु-मोहनजोदड़ो’ अथवा ‘लघु-हड़प्पा’ भी कहना पसन्द करते है |

सिन्धुघाटी या हड़प्पा सभ्यता का लोथल स्थल दो भागों में विभाजित था – दुर्ग (गढ़ी) और निचला नगर | यहाँ की सम्पूर्ण बस्ती एक ही प्राचीर से घिरी हुई थी | प्राचीर के अंदर ईंटों से निर्मित चबूतरों पर घरों का निर्माण किया गया था | निचला नगर दुर्ग वाले क्षेत्र से तिगुना विस्तृत था |

घरों का निर्माण प्रायः कच्ची ईंटों द्वारा किया गया था | लेकिन कुछ विशिष्ट भवन पक्की ईटों के बनाये गये थें | नगर और भवन योजना सुनियोजित और सुव्यवस्थित थी | यहाँ दरवाजे बगल की गलियों में न खुलकर सामने सड़क पर खुलते थें |

यहाँ नालियों और स्नानागार की फर्श पक्की ईंटों से बनायीं गयी थी | कुछ घरों में वृत्ताकार और चतुर्भुजाकार अग्निवेदियाँ और पशुओं की हड्डियाँ प्राप्त हुई है |

लोथल के पूर्वी भाग में एक बंदरगाह (Dockyard) मिला है, जो विश्व का प्राचीनतम ज्ञात बंदरगाह है | यह बन्दरगाह समुद्री आवागमन तथा व्यापार के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण था | पश्चिम एशिया के साथ हड़प्पा-सभ्यता के व्यापारिक सम्बन्ध में लोथल का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है |

लोथल के उत्खनन से पता चलता है कि लोथल कई बार भीषण बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुआ था |

लोथल से मनके बनाने वालों और तांबे व सोने का काम करने वाले शिल्पियों की उद्योगशालाओं के भी साक्ष्य मिले है | यहाँ से शंख के कार्य करने वाले दस्तकारों व ताम्रकर्मियों के कारखानों के भी साक्ष्य मिले है |

जहाँ हड़प्पा-सभ्यता के प्रायः सभी स्थानों से अनाज पीसने वाले सिल-बट्टे प्राप्त हुए है वही एकमात्र लोथल से ही एक वृत्ताकार चक्की के दो पाट मिले है | इसमे अनाज डालने के लिए ऊपरी पाट में एक छेद भी है |

लोथल से मिट्टी की बनी कुछ खिलौना-गाड़ियाँ मिली है | लोथल से गोरिल्ला जैसी आकृति वाली एक मृण्मूर्ति प्राप्त हुई है | लोथल से प्राप्त एक मृदभांड पर एक पेड़ के नीचे खड़े बारहसिंघे की एक उत्कृष्ट आकृति मिली है |

लोथल में सीप से वस्तुएँ बनाने वाले कारखाने का साक्ष्य मिला है | यहाँ पर बड़ी संख्या में सीप से निर्मित वस्तुएँ प्राप्त हुई है | लोथल से शंख का बना एक दिशामापक यंत्र मिला है | विद्वानों के अनुसार इसका प्रयोग भवनों, नालियों आदि के निर्माण में किया जाता था | लोथल से ही एक खांचे वाला बर्मा (Drill) मिला है |

लोथल से शतरंज की गोटियों की भांति गोटियाँ मिली है जिनके ऊपरी भाग पर बैल, कुत्ता आदि के सिर बने है |

लोथल से एक विशेष प्रकार की गोलाकार बटन जैसी मुहर मिली है जो ‘फारस की खाड़ी’ प्रकार (Persian Gulf Style ) की मुहरों के समान है |

लोथल से ही एक मिट्टी का बना ‘ममी’ का एक मॉडल मिला है |

लोथल से पक्की मिटटी से बने जहाज का एक नमूना प्राप्त हुआ है, जिसमे प्रस्तूल हेतु एक लकड़ी चिन्हित खोल और मस्तूल लगाने हेतु छेद भी मौजूद है |

लोथल से दो शवों के एक साथ दफनाये जाने का साक्ष्य मिला है | कुछ विद्वानों का कहना है कि ये स्त्री और पुरुष के शव है तो कुछ कहते है कि दोनों पुरुष है | जबकि कुछ विद्वान तो इस युगल शवाधान को सती-प्रथा का रूप मानते है |

यहाँ की अधिकतर कब्रों में कंकाल के सिर उत्तर और पैर दक्षिण की ओर मिला है | केवल अपवाद स्वरुप एक कंकाल की दिशा पूर्व-पश्चिम की ओर प्राप्त हुई है |

लोथल एवं रंगपुर से धान (चावल) के अवशेष (धान की भूसी) प्राप्त हुए है, परन्तु यह स्पष्ट रूप से नही कहा जा सकता है कि धान (चावल) की ये किस्मे नियमित रूप से उगाई जाने वाली किस्मे थी अथवा जंगली किस्मे थी |

सिन्धुघाटी सभ्यता के लोथल स्थल से मिली कुछ अन्य वस्तुएं इस प्रकार है –

  1. लोथल से एक घर से सोने के दाने मिले है |
  2. लोथल से एक दिशा मापक यंत्र, पैमाना और साहुल के भी अवशेष प्राप्त हुए है |
  3. सीप और तांबे की बनी चूड़िया प्राप्त हुई है |
  4. लोथल से धान (चावल) के अवशेष मिले है |
  5. लोथल से घोड़ों की लघु मृण्मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुए है |
  6. एक मृद्भाण्ड पर बना कौआ और लोमड़ी का चित्र पंचतन्त्र की चालाक लोमड़ी कहानी जैसा है |
  7. लोथल से नाव के आकार की दो मुहरे प्राप्त हुई है | बटन के आकार की एक मुद्रा भी मिली है |
  8. मेसोपोटामिया मूल की तीन बेलनाकार मुहरे प्राप्त हुई है |
  9. गेहू पीसने के दो पाट मिले है |
  10. रंगाई के कुण्ड (Dyeing Vat) प्राप्त हुए है |
  11. एक मृद्भांड पर बारहसिंगों की आकृति मिली है |
  12. नाव के मॉडल मिले है |
  13. यहाँ बत्तख का चित्रण सबसे अधिक है |
  14. लोथल से बाजरे के दाने मिले है |
  15. लोथल से घोड़े की मिट्टी से बनी आकृति भी प्राप्त हुई है |
  16. लोथल से प्राप्त एक मृण्मूर्ति में एक मानव के धड़ पर एक पशु का सिर लगा हुआ है |
  17. लोथल से ताम्बे से निर्मित कुत्ते, बैल, खरगोश और पक्षी की आकृति प्राप्त हुई है |
  18. लोथल में भी एक चबूतरे पर ईटों से बनी अग्निवेदिका मिली है, जिसमे पशु की जली हुई हड्डियाँ थी |
  19. लोथल से तांबे की सुई मिली है जिसकी नोक की और एक छेद है |
  20. लोथल से भी एक स्केल मिला है, जो हाथी-दांत से निर्मित है |
  21. लोथल और देशलपुर से तांबे की मुहरे प्राप्त हुई है |
  22. लोथल से मिली एक मुहर-छाप पर सूती-कपड़े के निशान के साक्ष्य मिले है |

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