आर्यों का भारत आगमन

Aryans' arrival in India

आर्यों का भारत आगमन (Aryans’ arrival in India) : वैदिक संस्कृति की सम्पूर्ण महत्वपूर्ण जानकारी हमे वेदों से प्राप्त होती है | इस संस्कृति के प्रवर्तक आर्य थें | इसलिए कभी कभी वैदिक संस्कृति (सभ्यता) को आर्य संस्कृति (सभ्यता) भी कहा जाता है | आर्य शब्द का अर्थ श्रेष्ठ, अभिजात्य, कुलीन, स्वतंत्र, उत्कृष्ट आदि होता है |आर्य भारत-यूरोपीय परिवार की भाषाएँ बोलते थे | यह प्राचीन भाषा आज भी अपने परिवर्तित स्वरूप में सम्पूर्ण ईरान और यूरोप में बोली जाती है | इसके आलावा यह प्राचीन भाषा वर्तमान में भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश क्षेत्रों में भी बोली जाती है | 

विद्वानों का मानना है कि ईरान के प्राचीनतम ग्रन्थ ‘अवेस्ता’ और ऋग्वेद में समान भाषा का प्रयोग हुआ है | ऋग्वेद की अनेक बातें अवेस्ता से मिलती है | ये भी माना गया है कि ‘अवेस्ता’ की रचना ऋग्वेद से भी पहले हुई थी | ऐसा माना जा रहा है कि भारत आगमन के क्रम में आर्यों ने ईरान में प्रवेश किया |

इराक में मिले लगभग 1600 ई.पू. के कस्सी अभिलेखों और एशिया माइनर में मिले 1400 ई.पू. के बोगाजकोई अभिलेख में हमे कुछ आर्य नामों का उल्लेख मिलता हैं जिससे पता चलता है कि ईरान से आर्यों का एक समूह पश्चिम दिशा की ओर चला गया था |

उल्लेखनीय है कि बोगाजकोई अभिलेख में हिताइतों और मितानियों के राजाओं के बीच हुई संधि का उल्लेख है, जिसमे इंद्र, मित्र, वरुण और नासत्य वैदिक देवताओं के नाम मिलते है, जिनका वर्णन इस संधि को पुष्ट करने हेतु किया गया है |

जहाँ तक आर्यों के भारत आगमन का प्रश्न है, अभी तक ऐसा कोई ठोस और स्पष्ट पुरातात्विक प्रमाण नही मिला है जो इस प्रश्न का उत्तर दे सके |

ऐसा माना जा रहा है कि भारत में आर्यों का आगमन 1500 ई.पू. से कुछ पहले हुआ | विद्वानों का मत है कि आर्यों का आरम्भिक निवास पूर्वी अफगानिस्तान व पंजाब में था साथ ही पश्चिमी उत्तर-प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी ये बसे हुए थे |

ऋग्वेद में आर्यों के निवास स्थल के लिए ‘सप्तसिन्धवः’ (सात नदियों की भूमि) शब्द का इस्तेमाल किया गया है | विद्वानों के अनुसार ऋग्वेद के भौगोलिक क्षेत्र में दक्षिणी अफगानिस्तान, पाकिस्तान, पश्चिमी उत्तर-प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात सम्मिलित थे |