हड़प्पा सभ्यता और संस्कृति का सामान्य परिचय

Hadappa Sabhyata aur Sanskrti ka Samanya parichay

हड़प्पा सभ्यता और संस्कृति का सामान्य परिचय (Hadappa Sabhyata aur Sanskrti ka Samanya parichay) General Introduction to Harappan Civilization and Culture in Hindi : अनेक आरंभिक सभ्यताओं का उदय कतिपय नदी घाटियों में हुआ | इसका कारण था कि इन क्षेत्रों में स्थितियां सभ्यता के विकास के अनुकूल थीं | इन क्षेत्रों की भूमि उपजाऊ थी जिससे यहाँ आसानी से खेतीबाड़ी हो सकती थी और इसके लिए यहाँ प्रचुर मात्रा में पानी भी उपलब्ध था | नदी आवागमन हेतु ‘प्रकृति की सड़क’ भी है | मानव ने नाव बनाना सीखा और नदी के रास्ते खुद को और अपने समान को ले जाना आसान किया |

लगभग 2500 ईसा पूर्व के लगभग तुलनात्मक रूप से एक बृहद क्षेत्र पर संगठित शासन-प्रणाली के अर्थ में सभ्यता का विकास मिस्र में नील नदी घाटी, इराक (मैसोपोटामिया) में दजला व फ़रात की घाटी और सिन्धु नदियों की घाटी में लगभग साथ-साथ हुआ | इन सभी सभ्यताओं की कुछ समान विशिष्टताएं थी फिर भी इनमे से प्रत्येक का अपना एक विशिष्ट चरित्र था, जिसका मानव प्रगति में अपना विशेष योगदान रहा |

भारतीय उपमहाद्वीप में प्रथम सभ्यता का विकास उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों में हुआ | इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ा क्योकि हड़प्पा नामक स्थल पर ही इसकी खोज हुई थी | हड़प्पा सभ्यता भारत की प्रथम ज्ञात सभ्यता है, जिसके अस्तित्व का पता हमें बीसवीं शताब्दी के तीसरे दशक में चला | यह भारत के इतिहास में एक क्रांतिकारी खोज थी क्योकि इसने हमारे देश के इतिहास के आरम्भ को लगभग एक हजार वर्ष पीछे कर दिया |

ये भी देखें – हड़प्पा सभ्यता पर सभी लेख

हड़प्पा सभ्यता मध्य-पूर्व की ऋणी नही है और न ही यह विश्वास करने का कोई स्पष्ट कारण है कि इसका विकास कुछ अन्य सभ्यता जैसे मैसोपोटामिया आदि के प्रभाव के फलस्वरूप हुआ | प्रमाणों से हमे पता चलता है कि कुछ क्षेत्रों जैसे राजस्थान व बलूचिस्तान में आरंभिक कृषि प्रधान समुदाय निवास करते थें और इन्ही से हड़प्पा सभ्यता का विकास हुआ |

विविध रूपों व आकारों के मिट्टी के बर्तन कुम्हार के चाक पर निर्मित थे जो इस बात को स्पष्ट करती है कि यह पूर्णतया एक विकसित सभ्यता थी |

यहाँ के निवासी धातु की खुबसूरत मूर्तियाँ बनाते थें | मोहनजोदड़ो से कांसे की बनी हुई नर्तकी की मूर्ति प्राप्त हुई है जो मूर्तियों में सर्वाधिक विस्मयजनक और कुशल कारीगरी का एक आश्चर्यजनक उदाहरण है |

हड़प्पा सभ्यता की विशेषता यहाँ असंख्य छोटे बड़े नगरों की उपस्थिति थी | यहाँ के लोगों की नगर-योजना अत्यधिक कुशल थी | नगरों में मकान और वहां की जलनिकासी प्रणाली को देखकर यहाँ के लोगों की अनोखी भौतिक उपलब्धियों मी जानकारी मिलती है |

यहाँ से प्राप्त मुहरें व मनके कारीगरी के सुंदर नमूने है | इनकी मुहरें हड़प्पा संस्कृति की सर्वोत्तम कलाकृतियाँ है | मुहरों पर गैंडा, चीता, सांड, हाथी, मगर जैसे जानवरों की आकृतियाँ बहुत स्पष्ट व सुंदर बनाई गयी है | जानवरों की आकृतियों के सूक्ष्म से सूक्ष्म अंगों को जिस कुशलता से उनमे ढाल कर दर्शाया गया है, वो किसी को भी आश्चर्यचकित कर सकता है | कुछ मुहरों पर लघु-लेख भी मिला है, जो अभी तक पढ़ा नही गया है | हमें अभी तक स्पष्ट रूप से यह जानकारी नही हो पाई है कि यें मुहरें किस काम में लायी जाती थी | 

मैसोपोटामिया की भांति हड़प्पावासियों ने भी लेखन-कला का आविष्कार किया था, लेकिन इसकों पढ़ पाना अभी तक सम्भव नही हो पाया है | मिस्र व मैसोपोटामिया की समकालीन लिपियों के साथ हड़प्पाई लिपि की तुलना करने के प्रयत्न किये गयें लेकिन यह लिपि हड़प्पा सभ्यता की ही आविष्कार थी और पश्चिम एशिया की लिपियों के साथ इसका कोई सम्बन्ध नही मिलता है |

इस सभ्यता की जीवन-निर्वाह व्यवस्था अनेक फसलों की खेती व पालतू पशुओं पर निर्भर करती थी | इससे वहां की अर्थव्यवस्था नगरवासियों का भरण-पोषण करने में समर्थ हो सकी |

हड़प्पा सभ्यता के राजनीतिक संगठन के विषय में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नही मिलती है | लेकिन यह स्पष्ट है कि इस सभ्यता की सांस्कृतिक एकता बिना किसी केन्द्रित सत्ता के सम्भव नही हो सकती है | चूँकि यहाँ कोई बड़ें महल नही प्राप्त हुए है इसलिए कुछ विद्वानों का मानना है कि इनके नगर राजा द्वारा शासित नही थें बल्कि इनका शासन कुछ विशिष्ट नागरिकों का समूह चलाता था |

हमें यहाँ के निवासियों के धर्म के विषय में कोई विशेष जानकारी नही मिलती है | मैसोपोटामिया व मिस्र के बिल्कुल विपरीत हड़प्पा सभ्यता में मंदिर के अवशेष नही प्राप्त हुए है | हमें यह भी स्पष्ट रूप से नही ज्ञात है कि मिस्रवासियों की भांति हड़प्पावासी भी मातृ-सत्तात्मक थें अथवा नही |

करीब 1500 ईसा पूर्व में हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया | लेकिन इसका पतन क्यों और कैसे हुआ इसकी स्पष्ट जानकारी हमारे पास नही है | विभिन्न विद्वानों ने इसके पतन के लिए अपने अलग-अलग मत दिए है, जिसमे बाढ़, संस्कृति का क्रमिक पतन और आर्यों का आक्रमण प्रमुख है |

1500 ईसा पूर्व में आर्यों के आगमन के पश्चात् हड़प्पा सभ्यता के समृद्ध नगर सुनसान हो गये और टीले मात्र रह गये, जिनकी खुदाई लगभग 3500 वर्ष बाद हुई | भारत में करीब 1000 वर्ष तक इतने भव्य नगर नही देखने को मिले |    

ये भी देखें – आधुनिक भारत के सभी लेख | मध्यकालीन भारत के सभी लेख | प्राचीन भारत के सभी लेख