बुद्ध की कहानी 16 : महायोगी बुद्ध

बुद्ध की कहानी 16 : महायोगी बुद्ध | भगवान बुद्ध महामानव थें | उनका व्यक्तित्व बहुत विराट था, जिसका एक रूप महायोगी का भी था | अनेक मूर्तियों, चित्रों आदि में उन्हें हम ध्यानमग्न अवस्था में देखते है |

हमे मालूम है कि किस तरह उन्होंने बोधगया में एक अवश्त्थ वृक्ष के नीचे इस दृढ़ निश्चय के साथ समाधि लगाई थी कि ज्ञान प्राप्ति तक समाधि भंग नही करेंगें | वैशाली में मर्कट नामक सरोवर के तट पर एक वृक्ष के नीचे बैठ कर भगवान् ने गंभीर समाधि लगा कर अपने महापरिनिर्वाण का समय जान लिया था |

पालि गंथों में ऐसा वर्णन मिलता है कि कभी भगवान् घनघोर अंधियारी रात में मंद-मंद हो रही वर्षा में पर्वत पर बैठकर ध्यानमग्न हैं तो कभी किसी नदी के तट पर एक बिना छाई हुई कुटियाँ ध्यान लगाये हुए है | भगवान् के ध्यान व योग सम्बन्धी कई प्रसंग हमे मिलते है, जिसमे से एक का वर्णन यहाँ पर कर रहे है |

एक बार तथागत किसी गाँव के समीप एक शाला में विहार कर रहे थे | बरसात का समय था | दिन में काली घटाएं आकाश में घिर रही थीं और ज़ोरदार वर्षा हो रही थी |

बादलों की भयंकर गड़गड़ाहट हुई और वही पास ही बिजली गिर गयी, जिससे वहां काम करने वाले दो किसान और चार बैल उसकी चपेट में आकर मर गये | गांव वाले वहां एकत्र हो गये |

उस समय तथागत शाला के आंगन में ध्यान में टहल रहे थे | लोगों ने उन्हें बताया की अभी-अभी समीप ही आकाशीय बिजली गिरने से दो किसान व चार बैल मर गये है. जिन्हें देखने हेतु यह भीड़ एकत्रित है |

फिर गाँव वालों और तथागत में मध्य इस प्रकार संवाद हुआ –

“भंते ! आप उस समय कहां थे ?”

“आयुष्मान् ! यहीं था |”

“क्या भंते ! आपने बादलों को घुमड़ते और बिजली को चमकते देखा ?”

“नही आयुष्मान् ! नहीं देखा |”

“क्या भंते ! बिजली की कड़क का शब्द सुना ?”

“नहीं आयुष्मान् ! शब्द भी नहीं सुना |”

“क्या भंते ! सो गये थे ?”

“नहीं आयुष्मान् ! सोया नहीं था |”

“क्या भंते ! होश में थे |”

“हां आयुष्मान् ! होश में था |”

“तो भंते ! आपने होश में, जागते हुए, न गरजते बादलों को देखा, न बिजली की कड़क का शब्द सुना, न उसके गिरने को देखा ?”

“हां आयुष्मान् !”

उपरोक्त वार्तालाप से स्पष्ट होता है कि भगवान् की एकाग्रता इतनी महान्‌ थी कि आकाशीय बिजली की आँखों को चकाचौंध कर देने वाली रोशनी और कर्णभेदी गड़गड़ाहट भी उनका ध्यान नही भंग कर पाई | ऐसा महायोगी शायद ही कोई और हुआ हो |