इल्तुतमिश का प्रारंभिक जीवन (जीवन परिचय)

Early Life of Iltutmish

इल्तुतमिश का प्रारंभिक जीवन (जीवन परिचय) Early Life of Iltutmish (Biography) – इल्तुतमिश तुर्किस्तान की इल्बारी जनजाति का था | उसका पिता ईलम खां अपने कबीले का सरदार था | एक समृद्ध परिवार में जन्म लेने के साथ-साथ इल्तुतमिश सुंदर, बुद्धिमान तथा सरल स्वभाव वाला व्यक्ति था | इल्तुतमिश का पिता उसे अपने अन्य पुत्रों से अधिक प्यार करता था, जिस कारण उसके भाई उससे ईर्ष्या करते थे | उन्होंने इल्तुतमिश को धोखे से घोड़े के एक व्यापारी के हाथों बेच दिया |

घोड़े का व्यापारी इल्तुतमिश को बुखारा ले गया और उसे वहां बेच दिया | यहां से उसे एक व्यापारी ने खरीद कर जमालुद्दीन चस्तकबा नामक एक व्यापारी को बेंच दिया | अंत में वर्ष 1197 में दिल्ली में उसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने खरीद लिया |

अपनी योग्यता, पराक्रम और स्वामीभक्ति के बल पर इल्तुतमिश एक-के-बाद-एक पद प्राप्त करता हुआ ‘अमीर-ए-शिकार’ जैसे महत्वपूर्ण पद पर जा पहुंचा | वर्ष 1200 में ग्वालियर की विजय के पश्चात उसे ग्वालियर का किला सौपकर वहां का अमीर बनाया गया |

ग्वालियर की इक्ता प्राप्त करने के पश्चात उसे बरन (बुलंदशहर) की इक्ता प्राप्त हुई | अंततः उसे दिल्ली सल्तनत का सबसे महत्वपूर्ण बदायूं का इक्ता मिला, जो संभावित उत्तराधिकार को प्राप्त होता था |

उसकी सेवा और स्वामीभक्ति से प्रभावित होकर कुतुबुद्दीन ऐबक ने उसे अपना दामाद बनाया | इस प्रकार थोड़े ही वर्षों में इल्तुतमिश अपनी असाधारण योग्यता के बल पर राज्य का एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली व्यक्ति बन गया | 

इल्तुतमिश की दासता से मुक्ति

कुतुबुद्दीन ऐबक के विपरीत इल्तुतमिश को औपचारिक दास्यमुक्ति सुल्तान बनने के बहुत पूर्व भी प्राप्त हो चुकी थी | वर्ष 1205-6 में पंजाब के विद्रोही खोखरो (खोकरो) का दमन करने के लिए मुहम्मद गौरी भारत आया | ऐबक के संरक्षण में बदायूं की सेना के साथ इल्तुतमिश भी गौरी की सहायता हेतु पहुंचा |

खोखरो के दमन में इल्तुतमिश अत्यधिक साहस और कौशल का परिचय दिया, जिससे गौरी बड़ा प्रभावित हुआ | उसके आदेश पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने इल्तुतमिश को औपचारिक दास्यमुक्ति दे दी |

उल्लेखनीय है कि गोरी ने अपने पूरे जीवनकाल में ऐबक, याल्दौज और कुबाचा में से किसी को भी दासता से मुक्ति देने की रुचि कभी नहीं ली |