Shiksha Ek Prakriya Hai : शिक्षा एक प्रक्रिया के रूप मे

Shiksha Ek Prakriya Hai

Shiksha Ek Prakriya Hai : शिक्षा एक प्रक्रिया के रूप मे (Education as a Process) : विद्यादूत (vidyadoot) के इस लेख में हम शिक्षा की प्रक्रिया (shiksha ek prakriya hai) को समझेंगे | शिक्षा को एक प्रक्रिया माना जाता है | प्रक्रिया का अर्थ हैं एक विशेष प्रकार की क्रिया, जिससे मानव में कुछ विशेषाएं आ जाती है | मानव कुछ जन्मजात शक्तियों के साथ इस संसार में आता है | इन जन्मजात शक्तियों के साथ मानव को कुछ बाहरी शक्तियां (भौतिक और सामाजिक शक्तियां) भी प्राप्त होती है | मानव की इन जन्मजात व बाहरी शक्तियों में क्रिया-प्रतिक्रिया होती रहती है | यही क्रिया-प्रतिक्रिया शिक्षा की प्रक्रिया है |

शिक्षा के शाब्दिक अर्थ के अनुसार शिक्षा मानव की आंतरिक शक्तियों का विकास करने की प्रक्रिया है | मानव में जो जन्मजात आंतरिक विद्यमान होती है, उनका विकास वातावरण के सम्पर्क में से होता है |

मानव अपने विकास के लिए जन्म से प्राप्त शक्तियों और भौतिक व सामाजिक शक्तियों में सामंजस्य स्थापित करने हेतु क्रिया-प्रतिक्रिया करता रहता है | इस प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप मानव ज्ञान व अनुभव प्राप्त करता है और वह सीखता है |

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विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों ने शिक्षा को एक प्रक्रिया मानकर अपने विचार व्यक्त किये है | शिक्षा का एक प्रक्रिया के रूप (shiksha ek prakriya hai) में वर्णन निम्नलिखित है |

  1. शिक्षा एक सतत् प्रक्रिया है (Education is a Continuous Process)
  2. शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है (Education is a Dynamic Process)
  3. शिक्षा एक सामाजिक विकास की प्रक्रिया (Education is a Process of Social Development)
  4. शिक्षा एक विकास की प्रक्रिया है (Education is a Process of Development )
  5. शिक्षा एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया (Education is a Purposeful Process)
  6. शिक्षा एक सीखने-सिखाने की प्रक्रिया (Education is a Learning-Teaching Process)
  7. शिक्षा एक समायोजन की प्रक्रिया (Education is a Process of Adjustment)
  8. शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया (Education is a Bi-polar Process)
  9. शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया  (Education is a Tri-polar Process)
  10. शिक्षा एक बहुमुखी प्रक्रिया (Education is a Multi-polar Process)
  11. शिक्षा एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है | (Education is a life long process)

अब हम शिक्षा एक प्रक्रिया है (Shiksha Ek Prakriya Hai) को विस्तार से समझेंगें |

Shiksha Ek Prakriya Hai : शिक्षा एक प्रक्रिया के रूप मे

1. शिक्षा एक सतत् प्रक्रिया है (Education is a Continuous Process)

शिक्षा एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है (shiksha ek satat prakriya hai) | यह व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन में अनवरत चलती रहती है | हर व्यक्ति चाहे व शिक्षित हो या अशिक्षित जीवनभर कुछ न कुछ सीखता रहता है और कभी-कभी मरनोपरांत भी दूसरों को सिखने हेतु कुछ छोड़ जाता है | इस प्रकार शिक्षा की प्रक्रिया सतत् पीढ़ी-दर-पीढ़ी निरंतर चलती रहती है |

2. शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है (Education is a Dynamic Process)

शिक्षा की क्रिया स्थिर (Static) नही रहती है बल्कि शिक्षा एक गतिशील (Dynamic) रहने वाली प्रक्रिया है (shiksha ek gatishil prakriya hai) | इसकी प्रकृति गत्यात्मक है, जो सदैव आगे की ओर बढ़ती रहती है | इसकी गतिशील प्रकृति मनुष्य व समाज को विकास की ओर ले जाती है |

गतिशील होने के कारण इसमे निरंतर बदलाव होता रहता है | समय व परिस्थिति के अनुसार इसके उद्देश्य, पाठ्यचर्या, शिक्षण विधियों आदि में निरंतर बदलाव होता रहता है | अपनी गतिशील प्रकृति के कारण शिक्षा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती रहती है | इसलिए शिक्षा को एक गतिशील प्रक्रिया माना गया है |  

3. शिक्षा एक सामाजिक विकास की प्रक्रिया है (Education is a Process of Social Development)

शिक्षा एक सामाजिक विकास की प्रक्रिया है (shiksha ek samajik prakriya hai) | मनुष्य समाज में जन्म लेता है और उसका अभिन्न अंग होता है | रेमन्ट के अनुसार ‘समाज से अलग व्यक्ति कोरी कल्पना है | [‘An isolated individual is a figment of the imagination. – T. Raymont] समाज भी मनुष्य से ही बनता है, बिना मनुष्य के समाज का निर्माण सम्भव नही है | इसीलिए अरस्तू (Aristotle) ने मनुष्य को एक समाजिक प्राणी कहा है |

मनुष्य सब कुछ समाज में रहकर ही सीखता है साथ ही उसके विकास से ही समाज का विकास होता है | मनुष्य के विकास में सबसे बड़ा योगदान शिक्षा का होता है | शिक्षा मनुष्य का सामाजिक विकास करती है | अतः शिक्षा सामाजिक विकास की प्रक्रिया कहलाती है |

4. शिक्षा एक विकास की प्रक्रिया है (Education is a Process of Development )

शिक्षा एक विकास की प्रक्रिया है (shiksha ek vikas ki prakriya hai) | जॉन लॉक के अनुसार “जन्म के समय बालक का मन (मष्तिष्क) कोरी पट्टी (tabula rasa) के समान होता है” | जैसे जैसे बालक बड़ा होता है वह सीखने लगता है, उसे माँ से, परिवार से, समाज से, विद्यालय से शिक्षा प्राप्त होती है |

शिक्षा के द्वारा उसे सही-गलत का ज्ञान होता जाता है और उसका विकास होता है | शिक्षा के कारण ही बालक के आन्तरिक शक्तियों और गुणों का विकास होता है | शिक्षा के अभाव में यह सब सम्भव नही है | शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा मानव की अंतर्निहित शक्तियों का दिग्दर्शन होता है | इस प्रकार शिक्षा विकास की प्रक्रिया है | 

5. शिक्षा एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है (Education is a Purposeful Process)

शिक्षा एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है (shiksha ek uddeshyapurn prakriya hai) | किसी भी कार्य में सफलता तभी प्राप्त हो सकती है जब वह उद्देश्यपूर्ण हो | शिक्षा भी उद्देश्यपूर्ण होती है | शिक्षाशस्त्री रिवलिन के शब्दों में “शिक्षा एक उद्देश्यपूर्ण व नैतिक क्रिया है अतः बिना उद्देश्यों के इसकी कल्पना भी नही की जा सकती है |”[“education is purposeful and ethical activity. hence it is unthinkable without aims.” – Rivline] उपयुक्त और पूर्व निर्धारित उद्देश्यों के आभाव में किसी भी प्रकार की लाभदायक शिक्षा की कल्पना भी नही की जा सकती है |

शिक्षक किसी उद्देश्य को लक्ष्य बनाकर ही शिक्षार्थी को शिक्षा प्रदान करता है और शिक्षार्थी भी किसी उद्देश्य से ही शिक्षा ग्रहण करता है | इसके आलावा एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही पाठ्यचर्या का निर्माण किया जाता है | अतः शिक्षा एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है |

6. शिक्षा एक सीखने-सिखाने की प्रक्रिया है (Education is a Learning-Teaching Process)

शिक्षा एक सीखने-सिखाने की प्रक्रिया है (shiksa ek sikhne sikhane ki prakriya hai) | शिक्षा की प्रक्रिया में सीखना और सिखाना दोनों होता है | सामान्य रूप में शिक्षार्थी सीखता है और शिक्षक सिखाता है लेकिन व्यापक रूप में प्रत्येक व्यक्ति सीखता भी है और सिखाता भी है | शिक्षा में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है |

7. शिक्षा एक समायोजन की प्रक्रिया है (Education is a Process of Adjustment)

शिक्षा एक समायोजन की प्रक्रिया है (shiksha ek samayojan ki prakriya hai) | प्रत्येक व्यक्ति को जीवित रहने व अपने विकास के लिए समाज (वातावरण) से समायोजन करना अति आवश्यक होता है | शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति समाज में समायोजन करना सीखता है | शिक्षा ही व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में समायोजन की क्षमता प्रदान करती है तथा इस कार्य के लिए उसे योग्य बनती है | 

8. शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है (Education is a Bi-polar Process)

शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है (shiksha ek dwimukhi prakriya hai) | जॉन एडम्स के अनुसार, “शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है, जिसमे एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को प्रभावित करता है जिससे उसके (प्रभावित होने वाले के) विकास में परिवर्तन हो जाये” | [“Education is a bi-polar process in which one personality acts upon another in order to modify the development of the other”. John Adam (Evaluation of Educational Theory)]

जॉन एडम्स ये भी बताते है कि यह द्विमुखी प्रक्रिया सचेतन के साथ-साथ उद्देश्यपूर्ण भी होती है जिसमे शिक्षार्थी के विकास में परिवर्तन लाने के लिए शिक्षक के पास एक स्पष्ट प्रयोजन भी होता है |

द्विमुखी प्रक्रिया में शिक्षा के दो पक्ष होते है, जिसमे एक तरफ प्रभावित करने वाला (शिक्षक) होता है और दूसरी तरफ प्रभावित होने वाला (शिक्षार्थी) होता है | इस प्रक्रिया में दोनों के मध्य परस्पर क्रिया-प्रतिक्रिया चलती रहती है, जिसमे एक (शिक्षक) पथ-प्रदर्शन करता है और दूसरा (शिक्षार्थी) उसका अनुगमन करता है | दोनों के मध्य सहयोग होना अतिआवश्यक है, क्योकि दोनों के कार्य एक-दूसरे को प्रभावित करते है |

9. शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है (Education is a Tri-polar Process)

शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है (shiksha ek trimukhi prakriya hai) | जॉन डीवी (John Dewey) ने शिक्षा को एक त्रिमुखी प्रक्रिया माना है | डीवी के अनुसार त्रिमुखी प्रक्रिया में शिक्षा के तीन पक्ष होते है – (1) शिक्षक (2) शिक्षार्थी (3) समाज या सामाजिक शक्तियाँ | डीवी के अनुसार शिक्षा के माध्यम से शिक्षक, शिक्षार्थी और समाज (सामाजिक शक्तियों) के मध्य परस्पर अन्तर-क्रिया चलती रहती है |

सामाजिक शक्तियों को ही विस्तृत अर्थ में पाठ्यचर्या (पाठ्यक्रम) माना गया है | शिक्षक और शिक्षार्थी के मध्य पाठ्यचर्या का होना आवश्यक है, जिससे शिक्षक को ज्ञात रहता है कि क्या पढ़ाना है और शिक्षार्थी को भी ज्ञात रहता है कि उसे क्या पढ़ना है |

पाठ्यचर्या (पाठ्यक्रम) शिक्षक व शिक्षार्थी दोनों के मध्य की एक कड़ी है | पाठ्यक्रम शिक्षक व शिक्षार्थी दोनों को सक्रिय बनाता है | रायबर्न भी शिक्षा के तीन पक्ष मानते है – (1) शिक्षक  (2) शिक्षार्थी और (3) पाठ्यचर्या | इस प्रकार शिक्षा को एक त्रिमुखी प्रक्रिया माना गया है | 

10. शिक्षा एक बहुमुखी प्रक्रिया है (Education is a Multi-polar Process)

शिक्षा एक बहुमुखी प्रक्रिया है (shiksha ek bahumukhi prakriya hai) | अब शिक्षा केवल शिक्षक, शिक्षार्थी और पाठ्यचर्या तक ही सीमित नही रह गयी है | नित नये प्रयोग शिक्षा में हो रहे है | वर्तमान समय में शिक्षा केवल विद्यालय तक ही सीमित नही रह गयी है बल्कि शिक्षा का क्षेत्र अति व्यापक हो गया है |

वर्तमान में ऐसी शिक्षा को महत्व दिया जा रहा है जिससे शिक्षार्थी के व्यक्तित्व के सभी पक्षों का विकास हो | अब औपचारिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा, पत्राचार शिक्षा आदि पर समान रूप से ध्यान दिया जा रहा है | स्वः शिक्षण में सहायक संचार-साधनों, भाषा प्रयोगशाला, पुस्तकालय आदि का महत्व बढ़ गया है | इसप्रकार वर्तमान में शिक्षा को बहुमुखी प्रक्रिया माना जा रहा है |

11. शिक्षा एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है | (Education is a life long process)

शिक्षा एक आजीवन (जीवनपर्यन्त) चलने वाली प्रक्रिया है (shiksha ek aajivan chalne wali prakriya hai) | यह मानव के जन्म से प्रारम्भ होकर जीवन के अंतिम समय तक बिना रुके चलती रहती है | मेकेंजी लिखते है कि “व्यापक अर्थ में शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जो जीवनभर चलती रहती है व जीवन के प्रत्येक अनुभव से उसके ज्ञान-भंडार में वृद्धि होती रहती है |” मनुष्य सदैव अनुभव प्राप्त करता है रहता है तथा इन अनुभवों के द्वारा वह आजीवन बहुत कुछ सीखता रहता है | इसलिए शिक्षा को एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया माना जाता है |

विद्यादूत की इन पॉपुलर केटेगरी को भी देखें –

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इतिहाससंविधान
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