ज्ञान प्राप्त करने की विधियाँ : Methods of Acquiring Knowledge

Methods of Acquiring Knowledge

ज्ञान प्राप्त करने की विधियाँ (Methods of Acquiring Knowledge) : यह लेख यूजीसी नेट पेपर फर्स्ट (NTA UGC NET Paper First), यूजीसी नेट पेपर 2 शिक्षाशास्त्र (NTA UGC NET Paper Second Education Study Material), पीजीटी शिक्षाशास्त्र (UP PGT Education Study Material), बीएड (B.Ed.Study Material), एमएड (M.Ed. Study Material) की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए महत्वपूर्ण है | इस लेख में हम शोध अभिवृत्ति (Research Aptitude) अध्याय के अंतर्गत ज्ञान प्राप्त करने की विधियाँ (Methods of Acquiring Knowledge) पर चर्चा करेंगें |

कोई भी प्राणी ज्ञान अपने अनुभवों और बुद्धि से प्राप्त करता है | वास्तविक तथ्यों व सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त होना ही सामान्यतः ज्ञान का आधार माना जाता है | मानव के ज्ञान की कोई सीमा नही होती | मानव के ज्ञान का दायरा जब बढ़ने लगता है तो वह सुव्यवस्थित व सुनियोजित प्रयास के लिए प्रेरित होता है |

उसकी यही प्रेरणा अनुसंधान का रूप लेती है | अपने पूर्व ज्ञान को प्रमाणित करने के लिए मानव अनुसंधान का सहारा लेता है | अनुसन्धान (Research) द्वारा जो परिणाम व निष्कर्ष निकलते है, वें उनके ज्ञान (Knowledge) को और बढ़ाते है |

इसप्रकार अनुसंधान व ज्ञान की यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है | इस प्रक्रिया में पहले ज्ञान की प्राप्ति होती है तत्पश्चात् उसी ज्ञान के आधार पर अनुसंधान किये जाते है | 

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मानव की ज्ञान प्राप्ति के लिए अनुसन्धान एकमात्र विकल्प नही है | अनुसन्धान के अलावा भी ज्ञान प्राप्ति की कई विधियाँ समाज में प्राचीन काल से प्रचलित रही है |

अमेरिकी दार्शनिक चार्ल्स पीयर्स (Charles Peirce) ने मानव द्वारा ज्ञान प्राप्ति के निम्नलिखित चार स्रोत बताये है –

  1. दृढ़ आस्था (Tenacity)
  2. सत्ता (Authority)
  3. अनुभव निरपेक्ष विधि (A Priori Method)
  4. वैज्ञानिक विधि (Scientific Method)

दृढ़ आस्था (Tenacity)

प्राचीन काल में ज्ञान का एक प्रमुख स्रोत दृढ़ आस्था (Tenacity) था | मानवों में समान्यतः कुछ विशेष बातों में आस्था देखी जाती है | लोगों का अपनी आस्थाओं पर दृढ़ विश्वास होता था और उन आस्थाओं की पुनरावृत्ति से विश्वास और अधिक दृढ होते जाते थें | 

लोगों का अपनी आस्थाओं पर इतना दृढ़ विश्वास होता है कि वें अपनी आस्थाओं से जुड़े तथ्यों का विश्लेषण करने अथवा उन्हें तार्किक आधार प्रदान करके उसे बदलने का प्रयास तक नही करते है | इस प्रकार उन मानवों में ज्ञान प्राप्ति के स्रोत उनकी दृढ़ आस्थाएं होती है |

सत्ता (Authority)

ज्ञान प्राप्त करने दूसरी विधि सत्ता (Authority) है | ज्ञान प्राप्ति के लिए सत्ता विधि आस्था से ज्यादा विश्वसनीय मानी जाती है | सत्ता विधि को लोग लम्बे समय से विश्वास करते चले आये है | अक्सर हम अपनी किसी बात या जानकारी की सत्यता प्रमाणित करने के लिए कहते है कि यह बात अमुक गन्थ में लिखी हुई है | 

सामान्य लोग अक्सर अपने ज्ञान का स्रोत क्षेत्र विशेष के विद्वानों को मानते है | जैसे बीमारी में डॉक्टर, क़ानूनी सलाह के लिए किसी वकील की राय को सही मानते है |

अनुभव निरपेक्ष विधि (A Priori Method)

अनुभव निरपेक्ष का अर्थ तर्क सहित सहमति (Agree with reason) से है | अनुभव निरपेक्ष विधि (A Priori Method) में हमे ज्ञान की प्राप्ति किसी के तर्कों से सहमत होकर होती है | अनुभव निरपेक्ष विधि बुद्धि अथवा तर्क को सर्वाधिक महत्व देती है | इस विधि में तर्क द्वारा सिद्ध होने वाली जानकारी या सूचना को ही सही माना जाता है |

वैज्ञानिक विधि (Scientific Method)

ज्ञान प्राप्त करने कि वैज्ञानिक विधि (Scientific Method) अन्य सभी विधियों से उत्तम है | इस विधि को इंद्रियानुभविक विधि भी कहते है | वैज्ञानिक विधि की दो प्रमुख विशेषताएं है | एक वस्तुनिष्ठता (Objectivity) और दूसरी स्वयं-शुद्धिकरण (Self Correction) |

वैज्ञानिक विधि (Scientific Method) केवल उसी बात को सही मानती है जो वस्तुनिष्ठ हो | वस्तुनिष्ठता का अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति प्रयास करने पर उस साक्ष्य को प्राप्त कर सके | ऐसा साक्ष्य निरीक्षण करने वाले के तर्क व विश्वास पर निर्भर करता है |

स्वयं-शुद्धिकरण का तात्पर्य है कि इसी विधि में प्राप्त ज्ञान का कई बार अध्ययन किया जाता है | इसलिए अगर कोई त्रुटि संयोगवश रह गयी हो तो वह स्वयं शुद्ध हो जाती है |

ए. वोल्फ (A. Wulfe) लिखते है कि “सामान्य तौर से कोई भी खोज की विधि जिसके द्वारा विज्ञान का निर्माण और विकास हो, वैज्ञानिक विधि कही जा सकती है |”

वैज्ञानिक विधि की विशेषाएं (Characteristics Scientific Method)

निश्चयात्मकता (Definiteness)

वैज्ञानिक विधि में निश्चयात्मकता पायी जाती है | वैज्ञानिक विधि में प्रत्येक चरण पूर्व-निश्चित व सुव्यवस्थित होता है | वैज्ञानिक विधि के द्वारा किये गये किसी भी अध्ययन को पुनः करके उसके परिणामों की सत्यता को जांचा जा सकता है |

वस्तुनिष्ठता (Objectivity)

वस्तुनिष्ठता वैज्ञानिक विधि की एक प्रमुख विशेषता है | यदि परीक्षण में शामिल किये गये प्रश्न स्पष्ट होते है और उनका एक ही निश्चित उत्तर होता है, तो परीक्षण का अंकन करना त्रुटिहीन व परीक्षक की विषयनिष्ठता से मुक्त हो जाता है | ऐसे परीक्षण को वस्तुनिष्ठ परीक्षण कहते है | सत्यापन के लिए वस्तुनिष्ठता का होना अति आवश्यक होता है | 

वस्तुनिष्ठता के द्वारा निरीक्षण को उन्ही दशाओं में दुबारा किया जा सकता है और अनेक निरीक्षकों द्वारा उसके सत्यापन को जांचा जा सकता है |  

सत्यापनशीलता (Verifiability)

वैज्ञानिक विधि द्वारा प्राप्त हुए निष्कर्षों का सत्यापन किया जा सकता है | सत्यापन का अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति उसी विधि के द्वारा सामान्य निष्कर्ष निकाल सकता है | इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति को किसी घटना के परिणामों को मानने के लिए बाध्य नही किया जाता है बल्कि व्यक्ति खुद परीक्षण करके उसी निष्कर्ष पर पहुंच सकता है |

सामान्यता (Generality)

वैज्ञानिक विधि की एक प्रमुख विशेषता होती है कि उसके द्वारा प्राप्त हुए परिणाम किसी व्यक्ति या वस्तु-विशेष पर लागू नही होते बल्कि वर्ग-विशेष पर आरोपित होते है | जैसे यदि हम किसी शिक्षार्थी समूह का अध्ययन करते है तो उससे प्राप्त परिणाम सभी शिक्षार्थियों के लिए होते है न कि केवल उस समूह के लिए |  

पूर्वानुमान (Predictability)

वैज्ञानिक विधि के द्वारा निकाले गये परिणाम में पूर्वानुमान की क्षमता होती है | पूर्वानुमान परिणामों के कार्य-कारण संबंधों पर आधारित होने पर ही सम्भव होता है |

कारणता (Causation)

वैज्ञानिक विधि की एक प्रमुख विशेषता कारणता (Causation) है | कारणता के अंतर्गत वे सभी प्रयास आ जाते है जिनके माध्यम से घटनाओं के बीच कार्यकारी सम्बन्धों की खोज और स्थापना की जाती है |

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