आदर्शवाद का अर्थ और परिभाषा : Meaning and Definition of Idealism in Hindi

Meaning and Definition of Idealism in Hindi

आदर्शवाद का अर्थ और परिभाषा (Meaning and Definition of Idealism in Hindi) : विद्यादूत (vidyadoot) के इस लेख में हम आदर्शवाद का अर्थ और आदर्शवाद की परिभाषा (aadarshvad ka arth aur aadarshvad ki paribhasha) पर चर्चा करेंगें | आप इस लेख के अंत में दिए गये आदर्शवाद से सम्बन्धित अन्य लेख भी जरुर पढ़ें | आदर्शवाद विचारों और आदर्शों को वस्तु की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण मानता है | यह प्रकृति की अपेक्षा मनुष्य व उसके व्यक्तित्व के विकास और आध्यात्मिक मूल्यों को जीवन का उद्देश्य मानता है |

आदर्शवाद आध्यात्मिक व मानसिक सत्ता को ही परम सत्ता मानता है | इसके अनुसार आध्यात्मिक जगत् ही सत्य है और भौतिक जगत् नाशवान व असत्य है | आदर्शवाद मानता है कि मनुष्य अन्य प्राणियों की तुलना में अधिक श्रेष्ठ और बुद्धिमान है |

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आदर्शवाद का अर्थ : Meaning of Idealism in Hindi

आदर्शवाद का जन्म विचारवादी सिद्धांत (Theory of ideas) से हुआ है | आदर्शवाद को अंग्रेज़ी भाषा में ‘आइडियलिज्म’ (Idealism) कहते है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है – आइडिया (Idea) और इज्म (ism) | आइडिया शब्द का अर्थ है ‘विचार’ और इज्म का अर्थ है ‘वाद’ | इस प्रकार ‘आइडिया-इज्म’ का अर्थ है ‘विचारवाद’ |

आइडिया (idea) शब्द में उच्चारण की सुविधा के लिए एल (L) अक्षर जोड़ देने से आइडियलिज्म (Ideal+ism) शब्द बना है, जिसका अर्थ है ‘आदर्शवाद’ | इस प्रकार विचारवाद (ideaism) ने आदर्शवाद (idealism) का रूप ले लिया |

विचारवाद को आदर्शवाद इसलिए कहा गया क्योकि ‘विचारवाद’ में विचारों को महत्व देते हुए आदर्शों की व्याख्या व खोज करके उनकी स्थापना को अत्यधिक महत्व दिया गया है | आदर्शवाद वस्तु की अपेक्षा विचारों, भावों और आदर्शों को श्रेष्ठ मानता है |

इसलिए यह कहा जाता है कि विचारवाद अपने परिणामों में आदर्शवाद का ही एक रूप है | यही कारण है कि विचारवाद शब्द आदर्शवाद में परिवर्तित हो गया |

आदर्शवाद को ‘प्रत्ययवाद’ (Conceptualism) भी कहा जाता है, क्योकि ;प्रत्यय’ और ‘विचार’ समानार्थक शब्द है | प्रत्ययवाद शब्द से भी विचारवाद या आदर्शवाद का अर्थ प्रस्फुटित होता है | आदर्शवाद (Idealism) में आदर्श (Ideal) को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है |

एडम्स अपनी पुस्तक “द इवोल्यूशन ऑफ़ एजुकेशनल थ्योरी” में लिखते है कि ‘आदर्शवाद दर्शनशास्त्र के सम्पूर्ण इतिहास में किसी न किसी रूप में व्याप्त है |”

आदर्शवादी विचारधारा के प्रमुख समर्थक (आदर्शवाद के प्रमुख प्रवर्तक) थे – सुकरात, प्लेटो, अरस्तु, देकार्ते, स्पिनोजा, लाइबनित्ज, बर्कले, कान्ट, फिश्टे, हीगल, शैलिंग, शॉपेनहावर, आदि थें |

आदर्शवाद की परिभाषा (Definition of Idealism)

आदर्शवाद के अर्थ को समझने के बाद हम अब आदर्शवाद की परिभाषाओं पर चर्चा करेंगें | आदर्शवाद की विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न परिभाषाएं दी है, जो निम्न प्रकार से है –

जेम्स एस. रॉस – “आदर्शवाद के अनेक रूप है किन्तु सबका सार यह है कि मन या आत्मा ही इस जगत् का पदार्थ है और मानसिक स्वरुप वास्तविक सत्य है |”

ब्रूबेकर – “आदर्शवादियों का मानना है कि इस जगत् को समझने के लिए मन केन्द्रीय बिन्दु है | इस जगत् को समझने के लिए मन की क्रियाशीलता से बढ़कर उनके लिए अन्य कोई वास्तविकता नही है |” 

डी. एम. दत्ता – “आदर्शवाद वह सिद्धान्त है जो अन्तिम सत्ता को आध्यात्मिक मानता है |”

हर्मन एच. हॉर्न – “आदर्शवादी शिक्षा दर्शन मानव को वह स्वरुप प्रदान करता है, जिससे वह अपने को मानसिक विश्व से अविभाज्य समझने लगे |”

हेंडरसन – “आदर्शवाद मनुष्य के आध्यात्मिक पक्ष पर जोर देता है, क्योकि आदर्शवादियों के लिए आध्यात्मिक मूल्य जीवन के तथा मनुष्य के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू है | एक तत्वज्ञानी आदर्शवादी का विश्वास है कि मनुष्य का सीमित मन, असीमित मन से पैदा होता है | व्यक्ति व जगत् दोनों बुद्धि की अभिव्यक्ति हैं और भौतिक जगत् की व्याख्या मन (मानसिक जगत्) से ही की जा सकती है |”

शिक्षा शब्दकोश के अनुसार – “आदर्शवाद व्यापक रूप में व्याख्या के विशिष्ट सिद्धांत के रूप में मन या आध्यात्मिकता को जोर देने के लिए विचारोंकी कोई व्यवस्था या व्यावहारिक विचार है |”

इस प्रकार हम देखतें है कि जेम्स एस. रॉस ने आदर्शवाद के आध्यात्मिक और मानसिक स्वरुप पर ज्यादा जोर दिया है और हर्मन एच. हॉर्न ने आदर्शवाद का केंद्र प्रकृतिवाद और मानववाद को माना |

इसीप्रकार हेंडरसन के अनुसार आदर्शवाद मानव के आध्यात्मिक पक्ष पर जोर देता है | इन सभी विचारों के आधार पर हम कह सकते है कि आदर्शवाद जीवन के आध्यात्मिक पक्ष पर अत्यधिक जोर देता है और उन विचारधाराओं को नकारता है जिसका केंद्र प्रकृति, मानव अथवा विज्ञान है |

इस प्रकार आदर्शवाद को हम निम्न प्रकार से परिभाषित कर सकते है –

“आदर्शवाद पाश्चात्य दर्शन की वह प्राचीन विचारधारा है जो यह मानती है कि हमारा ब्रह्माण्ड ईश्वर द्वारा निर्मित है और इसका मानना है कि आध्यात्मिक जगत इस भौतिक जगत की अपेक्षा श्रेष्ठ है | यह मानती है कि ईश्वर अंतिम सत्य है व आत्मा ईश्वर का अंश है और यह प्रतिपादित करती है कि मानव जीवन का अंतिम उद्देश्य आत्मा-परमात्मा के वास्तविक स्वरुप का ज्ञान प्राप्त करना है, जो शाश्वत मूल्यों व नैतिक नियमों के पालन द्वारा प्राप्त किया जा सकता है |”

इस प्रकार आदर्शवाद की उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि –

1. इस ब्रह्माण्ड की रचना ईश्वर ने की है |

2. आध्यात्मिक जगत ही सत्य है और भौतिक जगत असत्य व नाशवान है |

3. आध्यात्मिक जगत भौतिक जगत की अपेक्षा श्रेष्ठ है |

4. मानव इस ब्रह्माण्ड की सर्वश्रेष्ठ रचना है | मानव अन्य पशुओं की तुलना में श्रेष्ठ है |

5. मानव जीवन का अंतिम उद्देश्य आत्मानुभूति या ईश्वर की प्राप्ति है |

6. आत्मा एक आध्यात्मिक तत्व है व परमात्मा सर्वश्रेष्ठ आत्मा है |

7. आध्यात्मिक मूल्यों की प्राप्ति के लिए नैतिक आचरण अनिवार्य है |

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