History of Indian National Flag in Hindi : भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

History of Indian National Flag in Hindi

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास (History of Indian National Flag in Hindi) : विद्यादूत (vidyadoot) के ऑल अबाउट इंडिया कैटेगरी में आज हम भारत के राष्ट्रीय ध्वज (National Flag of India) के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे | इस लेख में हम राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के बारे में बात करेंगे | आपको यह जानकारी देंगें कि राष्ट्रीय ध्वज संहिता क्या है, राष्टीय ध्वज का अपमान कब होता है, राष्ट्रीय ध्वज कब अपनाया गया | राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा किसने बनाया था, राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के नियम क्या है | यह लेख भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध (भारतीय राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध) लिखने के लिए भी महत्वपूर्ण है | आपको मालूम होना चाहिए कि प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक राष्ट्रीय ध्वज अवश्य होता है क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज ही किसी देश के स्वतंत्र होने का संकेत है |

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है | यह भारत के नागरिकों की आशाओं व आकांक्षाओं का प्रतिरूप है | हमारे अनेक सैनिकों ने हमारे तिरंगे को शान व पूर्ण गौरव के साथ फहराते रहने के लिए सहजतापूर्वक ख़ुशी-ख़ुशी अपने प्राणों का बलिदान दिया है | हम सभी भारत के लोगों के दिलों में हमारे राष्ट्रीय ध्वज के लिए प्यार, आदर और निष्ठा मौजूद है |

भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगे (Tricolor) के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस ध्वज में तीन रंगों की पट्टियां है | भारत में तिरंगे का अर्थ भारत का राष्ट्रीय ध्वज है | हमारे वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज की अभिकल्पना पिंगली वेकैया (Pingali Venkayya) ने की थी |

भारत के राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगे’ में बराबर अनुपात में क्षैतिज पट्टियाँ है | तिरंगे के सबसे ऊपर केसरिया रंग बीच में सफेद रंग और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी है | भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों के अपने विशेष महत्व है |

हमारे राष्ट्रीय ध्वज “तिरंगे” के सबसे ऊपर केसरिया रंग भारत की ताकत और साहस को प्रदर्शित करता है, जबकि बीच में स्थित सफेद रंग धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य को प्रदर्शित करता है सबसे नीचे हरा रंग भारत के शुभ विकास और उर्वरता को दर्शाता है | हमारा राष्ट्रीय ध्वज “तिरंगा” स्वयं में भारत की एकता, समृद्धि, शांति व विकास को प्रदर्शित करता हुआ दिखाई देता है |

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भारत के राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2  है | राष्ट्रीय ध्वज के सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का एक चक्र (अशोक चक्र) है | इस गहरे नीले रंग के चक्र का प्रारूप सारनाथ में अशोक सम्राट के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है | 

इस नीले रंग के इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर है | इस चक्र में कुल 24 तीलियां है | यह नीला चक्र इस बात का प्रतीक है कि हमारा देश लगातार प्रगतिशील है |

राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र (पहले यहाँ चरखा बना था) डॉ. भीमराव आंबेडकर ने लगवाया था | इस चक्र (धर्म चक्र) को विधि का चक्र कहते है |

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान प्रारूप 22 जुलाई 1947 को भारत की संविधान सभा ने अपनाया था | राष्ट्रीय ध्वज निर्दिष्टीकरण के अनुसार ध्वज खादी कपड़ा से ही बना होना चाहिए |

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का विकास (History of Indian National Flag in Hindi)

भारत के राष्ट्रीय ध्वज की विशेषताओं को जानने के बाद अब हम यह जानेंगे कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा अपने प्रारंभ से किन-किन परिवर्तनों से होकर  गुजरा |

भारत के राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ के वर्तमान स्वरुप को भारत की संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को अपनाया था, यद्यपि इसके पहले कई ध्वजों के प्रारूप स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के माध्यम से अथवा अन्य नेताओं द्वारा प्रस्तुत किये जा चुके थें | लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने किसी ध्वज को अधिकृत रूप में राष्ट्रीय मान्यता वर्ष 1931 में ही प्रदान की |

भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता (कोलकाता) में पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था, जिसके मध्य में वन्देमातरम् लिखा था | भारत के इस पहले राष्ट्रीय ध्वज में भी तीन क्षैतिज पट्टियाँ थीं | इस ध्वज में सबसे ऊपर हरे रंग की, बीच में पीले रंग की और सबसे नीचे लाल रंग की पट्टी थी |

इसके बाद भारत का दूसरा राष्ट्रीय ध्वज 1907 में फहराया गया था | यह ध्वज वर्ष 1907 में पेरिस में मैडम भीकाजीकामा और उनके क्रांतिकारी साथियों ने फहराया था | (यह आपको बता दें कि कुछ इतिहासकार यह घटना 1905 की मानते हैं |) यह ध्वज भी पहले ध्वज के समान तिरंगा ही था | इस राष्ट्रीय ध्वज को बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था | भारत से बाहर विदेशी भूमि में फहराया गया यह पहला भारतीय ध्वज था |

भारत का तीसरा ध्वज वर्ष 1917 में अस्तित्व में आया | इस ध्वज को डॉ. एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने होम रूल आन्दोलन के समय फहराया था | इस तीसरे ध्वज में पांच लाल और चार हरी क्षैतिज पट्टियाँ एक-के-बाद-एक तथा सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर बने 7 सितारे थे | इस ध्वज में चाँद-तारा और ब्रिटिश यूनियन जैक भी अंकित था |

भारत का चौथा ध्वज वर्ष 1921 के विजयवाड़ा कांग्रेस अधिवेशन में आंध्रप्रदेश के एक युवक ने बनाकर गांधीजी को दिया था | यह झंडा दो रंगो लाल और हरा का बना था | जहाँ लाल रंग हिन्दू धर्म का और हरा रंग मुस्लिम धर्म का प्रतिनिधित्व करता है |

गाँधी जी ने इस ध्वज पर सुझाव दिया कि इसमे एक सफेद पट्टी भी होनी चाहिए जो कि भारत के शेष समुदाय (हिन्दू व मुस्लिम के अतिरिक्त) का प्रतिनिधित्व करेगा | साथ ही उन्होंने बताया कि राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए इस ध्वज में ‘एक चलता हुआ चरखा’ भी होना चाहिए | इस ध्वज को 1921 में गैर अधिकारिक रूप से अपना लिया गया था |

भारत का पांचवा ध्वज 1931 को अस्तित्व में आया | यह ध्वज भारतीय राष्ट्रीय सेना के संग्राम चिन्ह का भी प्रतिनिधित्व करता था | इस ध्वज में वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज की भांति केसरिया, सफेद और हरे रंग की तीन पट्टियाँ थी | इस ध्वज के बीच में गांधीजी के चलते हुए चरखे को दर्शाया गया था | इस ध्वज को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया गया था |

भारत के वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा ने स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया | इस ध्वज में पूर्व की भांति केसरिया, सफेद और हरे तीनो रंग की पट्टियाँ मौजूद थी, केवल चरखे के स्थान पर अशोक के धर्म चक्र को दर्शाया गया था, जोकि भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने लगवाया था | इस तरह कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्वज अंततः स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना |

भारतीय झंडा संहिता 2002 (भारतीय ध्वज संहिता 2002)

भारत के हर नागरिक के मन में हमारे राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा झंडा) के लिए आदर व निष्ठा है लेकिन अक्सर देखने को मिलता है कि भूलवश या अनजाने में कुछ लोग राष्ट्रीय ध्वज का अपमान कर देते है | इसका एक कारण यह भी है कि अधिकतर लोगों को राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगें झंडे) को फहराने के लिए जो नियम, रिवाज व औपचारिकताएं है, उसकी पूर्ण जानकारी नही प्राप्त है | भारत सरकार ने राष्ट्रीय झंडे से सम्बन्धित सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को सभी भारतीयों तक पहुचने के लिए भारतीय झंडा संहिता 2002 (भारतीय ध्वज संहिता 2002) में राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ से सम्बन्धित सभी जानकारियां प्रदान की है |

भारतीय झंडा संहिता 2002 : Flag Code of India 2002 (राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के नियम)

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के नियम : अब हम आपको भारतीय झंडा संहिता 2002 (Flag Code of India 2020) की संक्षिप्त जानकारी सरल शब्दों में देंगे | 26 जनवरी 2002 से ‘झंडा संहिता-भारत‘ के स्थान पर “भारतीय झंडा संहिता, 2002” (Flag Code of India 2002) को लागू किया गया है |

26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन करके भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और व्यावसायिक स्थानों पर बिना किसी रुकावट के किसी भी दिन राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की अनुमति प्राप्त हुई | बशर्ते कि वें ध्वज की संहिता का नियम अनुसार पालन करें |

राष्ट्रीय झंडा हाथ से काते गये और हाथ से बुने गये सूती/ऊनी/सिल्क खादी के वस्त्र से निर्मित होना चाहिए | इसका आकार आयताकार (अनुपात 3:2) होना चाहिए |

राष्ट्रीय झंडे का प्रयोग व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए नही किया जायेगा | किसी व्यक्ति अथवा वस्तु को सलामी देने के लिए कभी भी राष्ट्रीय झंडे को झुकाया नही जा सकता है |

किसी भी प्रकार की पोशाक अथवा वर्दी के भाग में राष्ट्रीय झंडे का प्रयोग कभी भी किया जा सकता है | झंडे पर किसी भी प्रकार के अक्षर अंकित नही किये जा सकते है |

कभी भी राष्ट्रीय झंडे को जानबूझकर फर्श अथवा जमीन को स्पर्श करने या जल में घसीटने नही दिया जा सकता है |

राष्ट्रीय ध्वज को किसी अन्य ध्वज के साथ एक ही ध्वज-दंड से नही फहराया जा सकता है | किसी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊँचा या उससे ऊपर अथवा उसके बराबर में नही लगाया जा सकता है |

जब राष्ट्रीय ध्वज गंदा हो जाये या फट जाये तो उसे एकांत में पूरा नष्ट कर देना चाहिए | बेहतर यह होगा कि उसे जलाकर या उसकी मर्यादा के अनुकूल किसी अन्य तरह से पूर्ण नष्ट कर दिया जाये |

राष्ट्रीय झंडे को साम्प्रदायिक लाभ, पर्दें अथवा वस्त्रों के रूप में कभी भी प्रयोग नही किया जा सकता है |

जहाँ तक सम्भव हो राष्ट्रीय झंडे को मौसम से प्रभावित हुए बना सूर्य-उदय से सूर्य-अस्त तक फहराना चाहिए |

केसरी पट्टी को नीचे रखकर राष्ट्रीय झंडा नही फहराना चाहिए |

किसी भी तरह के विज्ञापन के रूप में राष्ट्रीय झंडे का उपयोग नही किया जायेगा | न ही उस डंडे पर कोई विज्ञापन लगाया जा सकता है जिस पर राष्ट्रीय झंडा फहराया जा रहा हो |

राष्ट्रीय झंडे को राष्ट्रीय शोक के समय आधा झुका दिया जायेगा | राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री की मृत्यु के समय पूरे भारत में, लोकसभा अध्यक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश की मृत्यु पर दिल्ली में, केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री की मृत्यु पर दिल्ली व राज्यों की राजधानियों में, केन्द्रीय राज्यमंत्री व उपमंत्री की मृत्यु पर दिल्ली में, राज्यपाल, उपराज्यपाल, राज्य के मुख्यमंत्री और संघ शासित क्षेत्र के मुख्यमंत्री की मृत्यु पर सम्बन्धित पूरे राज्य या संघ शासित क्षेत्र में और राज्य के कैबिनेट मंत्री की मृत्यु पर सम्बन्धित राज्य की राजधानी में राष्ट्रीय झंडे को आधा झुका दिया जायेगा |

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FAQ’s : राष्ट्रीय ध्वज से सम्बन्धित प्रश्न उत्तर

History of Indian National Flag in Hindi (भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास)

प्रश्न : हमारे राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा क्यों कहते है ?

उत्तर : हमारे राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा (Tricolor) इसलिए कहते है, क्योंकि हमारे राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगे’ में बराबर अनुपात में क्षैतिज पट्टियाँ है | इसमे सबसे ऊपर केसरिया रंग, मध्य में सफेद रंग और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी है | यहाँ केसरिया रंग भारत की ताकत और साहस को, सफेद रंग धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य को और हरा रंग भारत के शुभ विकास और उर्वरता को दर्शाता है | इस प्रकार हमारा राष्ट्रीय ध्वज “तिरंगा” स्वयं में भारत की एकता, समृद्धि, शांति व विकास को प्रदर्शित करता हुआ लहराता है |

प्रश्न : भारत की संविधान सभा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को कब अपनाया था ? / भारत के राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरुप को संविधान सभा ने कब अपनाया था ?

उत्तर : भारत की संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को भारत के राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप अपनाया था |

प्रश्न : भारत के राष्ट्रीय ध्वज को पहली बार कब प्रदर्शित किया गया ?

उत्तर : भारत के पहले राष्ट्रीय ध्वज को 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता (कोलकाता) में बंगाल विभाजन के विरोध में पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था | इस ध्वज के बीच में वन्देमातरम् लिखा था | भारत के इस पहले राष्ट्रीय ध्वज (पहले तिरंगे झंडे) में तीन क्षैतिज पट्टियाँ थीं, जिसमे सबसे ऊपर हरे रंग की, बीच में पीले रंग की और सबसे नीचे लाल रंग की पट्टी थी |

प्रश्न : 1907 पेरिस में भारतीय ध्वज को किसने फहराया था ?

उत्तर : मैडम भीकाजीकामा

प्रश्न : वर्ष 1921 में कांग्रेस के किस अधिवेशन में एक आन्ध्र युवक ने गांधीजी को भारतीय ध्वज प्रस्तुत किया था ?

उत्तर : विजयवाड़ा कांग्रेस अधिवेशन में

प्रश्न : किस दिन ‘झंडा संहिता-भारत’ के स्थान पर “भारतीय झंडा संहिता, 2002” (Flag Code of India 2002) को लागू किया गया है ?

उत्तर : 26 जनवरी 2002

प्रश्न : भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में चक्र किसका प्रतीक है ?

उत्तर : भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के सफेद पट्टी के मध्य में नीले रंग का एक चक्र (अशोक चक्र) है, जिसका प्रारूप सारनाथ में सम्राट अशोक के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है | नीले रंग के इस चक्र, जिसमे कुल 24 तीलियां है, का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर है | भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में चक्र इस बात का प्रतीक है कि हमारा देश लगातार प्रगतिशील है |

प्रश्न : राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात क्या है ?

उत्तर : राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 है |

प्रश्न : राष्ट्रीय ध्वज में गहरे नीले रंग के चक्र का प्रारूप कहाँ से लिया गया है ?

उत्तर : सारनाथ में अशोक सम्राट के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से

प्रश्न : हमारे वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज की अभिकल्पना किसने की थी ?

उत्तर : पिंगली वेकैया

प्रश्न : राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र (पहले यहाँ चरखा बना था) किसने लगवाया था ?

उत्तर : डॉ. भीमराव आंबेडकर

प्रश्न : पहली बार भारत से बाहर विदेशी भूमि में भारतीय ध्वज किसने फहराया था ?

उत्तर : पहली बार विदेशी भूमि में भारतीय ध्वज वर्ष 1907 में पेरिस में मैडम भीकाजीकामा और उनके क्रांतिकारी साथियों ने फहराया था |

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